”बीता समय कभी पुन: वापस नहीं आता।” -बैंजामिन फ्रैंकलिन
नमस्कार दोस्तो , जैसा कि आप सभी जानते हैं कि किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने हेतु समय प्रबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समय प्रबंधन वस्तुत: लक्ष्य के निर्धारण से संबंधित होता है। बिना उद्देश्य और लक्ष्य के आप प्रभावकारी तरीके से समय विभाजन नहीं कर पाते हैं। अक्सर ऐसा मानव स्वभाव के रूप में देखा जाता है। अत: समय प्रबंधन हेतु लक्ष्य का निर्धारण करना पहला चरण होता है।
सर्वव्रथम हम लक्ष्य निर्धारण की मूलभूत बातों को समझने का प्रयास करते हैं :
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Time Management for IAS Aspirants
लक्ष्य निर्धारण
लक्ष्य को स्मार्ट (SMART) होने की आवश्यकता होती है। इसे हम निम्न रूप में समझ सकते हैं:
विशिष्ट (Specific) – स्पष्ट उद्देश्य होने चाहिए
मापने योग्य (Measurable) – अस्पष्टता को समाप्त करना चाहिए
प्राप्त करने योग्य (Achievable) – निराशा को समाप्त करना चाहिए
यथार्थवादी (Measurable) – तनाव को समाप्त करना चाहिए
समय सीमा (Measurable) – लक्ष्य प्राप्ति हेतु समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए
लक्ष्यों का वर्गीकरण
मूलत: लक्ष्यों को इस प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है:
- आसन्न लक्ष्य
- अल्पावधि लक्ष्य
- मध्यावधि लक्ष्य
- दीर्घकालिक लक्ष्य
यदि आप सिविल सेवा परीक्षा में सफल होना चाहते हैं तो जीवन के इस काल में यह आपका दीर्घकालिक लक्ष्य होना चाहिए। आपको अपने आसन्न, अल्पावधि और मध्यावधि लक्ष्यों की पहचान करनी चाहिए और तद्नुरूप इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु विस्तार से योजना बनानी चाहिए।
दीर्घकालिक लक्ष्य
सिविल सेवा परीक्षा में सफलता का लक्ष्य एक प्रकार का दीर्घकालिक लक्ष्य ही है। मैं यहां यह कहना चाहूंगा कि प्रारम्भ में हमें हूलत: दो बर्षों की ही योजना बनानी चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो दीर्घकालिक लक्ष्य की प्राप्ति हेतु तीसरे वर्ष में प्रवेश करना चाहिए।
मध्यावधि मध्यवर्ती लक्ष्य
हमारी मुख्य तैयारी मुख्य परीक्षा के लिए ही होती है, क्योंकि प्रारम्भिक परीक्षा तो भीड़ को अलग करने का एक माध्यम है। शुरूआत में हमें प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा हेतु साथ-साथ समग्र तैयारी करनी चाहिए। मैं यह कहना चाहूंगा कि आपको अपने प्रथम प्रयास में परीक्षा से पहले लगभग तीन महीने का समय विशिष्ट रूप से प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी को देना चाहिए और द्वितीय तथा तृतीय प्रयास की अवधि में एक से दो महीने का समय पर्याप्त होता है।
अत: यह एक साल से भी अधिक का कार्यक्रम बन जाता है। हमारी मुख्य योजना मुख्य परीक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त करने की होनी चाहिए, क्योंकि अंतिम परिणाम में मुख्य परीक्षा के अंकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी प्रकार मुख्य परीक्षा के सम्पन्न होने के बाद व्यक्तित्व परीक्षण हेतु गम्भीर तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। परीक्षा परिणाम का इंतजार नहीं करना चाहिए। इस प्रकार की योजना पर कार्य करने से मुख्य परीक्षा परिणाम में सफल घोषित होने के बाद आपका आत्मविश्वास बढ़ जायेगा और सफलता की सम्भावना भी बढ़ जायेगी।
वर्तमान परीक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम के अनुसार मुख्य परीक्षा हेतु आपके पास दो भाषा अर्हता प्रश्न-पत्र, एक निबंध का प्रश्न-पत्र, सामान्य अध्ययन के चार प्रश्न-पत्र तथा किसी एक वैकल्पिक विषय के दो प्रश्नपत्रों के साथ कुल 09 प्रश्न-पत्र होते हैं।
भाषायी अर्हता और निबंध के प्रश्नपत्र को छोड़ दिया जाए (क्योंकि भाषा संबंधी ज्ञान आपको अपने स्कूल काल से ही रहता है और इन प्रश्न-पत्रों का स्तर भी दसवीं स्तर का रहता है। निबंध की तैयारी सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की तैयारी के दौरान लगभग पूर्ण हो जाती है।) तो औसत रूप से आपके पास प्रत्येक प्रश्नपत्र हेतु दो महीने का समय रहता है, लेकिन हम लगातार दो महीने तक एक ही विषय को नहीं पढ़ सकते हैं। यह पक्रिया हमारी तैयारी को उबाऊ बना देगी। हमें इस बात की भी आवश्यकता होती है कि हम समानान्तर रूप से अपने मस्तिष्क को आराम देते रहें, जिससे कि हमारी अच्छी याददाश्त बनी रहे। मैं यह सलाह देना चाहूंगा कि हम समानान्तर रूप से दो से तीन प्रश्न-पत्रों को तैयार करें और इसके बाद मासिक और तिमाही लक्ष्य निर्धारित करें। वैकल्पिक विषय को हमेशा पढ़ते रहें और इसके साथ-साथ एक या दो सामान्य अध्ययन के टॉपिक भी हमेंशा पढ़ें।
अल्पकालिक मध्यवर्ती लक्ष्य
हमारे पास साप्ताहिक लक्ष्य हो सकते हैं और तदनुरूप दैनिक लक्ष्य भी। दैनिक लक्ष्य घंटों में निर्धारित होने चाहिए, जैसे-एक दिन के बारह घंटों में या चौदह घंटों आदि में यह कार्य पूरा करना है। दैनिक लक्ष्य पाठ्यक्रम को पूर्ण करने पर आधारित नहीं होना चाहिए, क्योंकि सिविल सेवा परीक्षा का पाठ्क्रम कुछ घंटों में पूरा नहीं हो सकता है।
जब आप तैयारी कर रहे हैं तो सांसारिक मोह माया को भूल जाइये , भौतिक सुखों का त्याग कर दीजिये। आप अपना पूरा ध्यान सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगा दीजिये। यह एक समय है जब आप केवल सिविल सेवा परीक्षा के बारे में सोचेंगे , इसके अलावा और कुछ भी नहीं। अगर आप इस स्थिति को प्राप्त करते हैं तब आप निश्चित रूप से यह कह सकते हैं कि आप अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित है। तब आपके प्रतिदिन अध्ययन का समय भी निश्चित रूप से बारह से चौदह घंटों का हो जायेगा।
हमारे द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्रगति के मूल्यांकन और निगरानी के दौरान हमारे आसन्न और अल्पकालिक लक्ष्य हमेंशा समग्र होने चाहिए। लक्ष्यों की प्रगति की एक मासिक समीक्षा बहुत उचित होती है। यदि हम साप्ताहिक प्रगति की निरीक्षण करते हैं तो इस दौरान अध्ययन से संबंधित कई कार्यक्रम पुन: समायोजित हो जाते हैं।
प्राथमिकता
समय प्रबंधन हेतु यह बहुत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। हम अपनी समस्त गतिविधियों को चार विस्तृत कोटियों (Categories) में बांट सकते हैं, जिनका विवरण नीचे दिया गया है:
कोटि 1 | कोटि 2 |
अति आवश्यक और महत्वपूर्ण | अति आवश्यक लेकिन महत्वपूर्ण नहीं |
कोटि 3 | कोटि 4 |
महत्वपूर्ण लेकिन अति आवश्यक नहीं | न तो अति आवश्यक और न ही महत्वपूर्ण |
कोटि एक स्पष्ट रूप से हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। हम अपने अध्ययन काल में कोटि चार को पूर्णतया हटा सकते हैं। ये सारी गतिविधियों जो न तो अति आवश्यक हैं और न ही महत्वपूर्ण हैं, उन्हें हटा देना चाहिए।
कोटि चार संबंधित गतिविधियों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- गपशप करना
- सामान्य ज्ञान/रोमांस से युक्त पत्रिका
- मनोरंजन हेतु सामग्री खरीदना
- सीधा क्रिकेट प्रसार पूरा देखना
- मनोरंजन हेतु इंटरनेट सर्फिंग करना
- बिना उद्देश्य के मित्रों और पड़ोसियों के यहां जाना
- दूसरों के व्यक्तिगत मामलों में अनावश्यक रुचि लेना
- टेलीविजन में विभिन्न् चैनलों की सर्फिंग करना
- बिना उद्देश्य के घंटों तक दूरभाष पर बातें करना
मुख्य समस्या कोटि दो और तीन प्राथमिकता की है। अत्यावश्यकता (Urgency) के चक्कर में कभी-कभी महत्वपूर्ण चीजें पीछे छूट जाती हैं।
दोनों कोटियों के बीच सामंजस्य इस बात पर निर्भर होता है कि अत्यावश्यक चीज पूर्ण हो जाए, लेकिन दूसरी महत्वपूर्ण चीज की उपेक्षा भी न हो।
उदाहरण के लिए, तैयारी के काल में हमारे लिए समसामयिक मुद्दे आवश्यक और महत्वपूर्ण दोनों होते हैं, लेकिन यहां पर एक समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए, जिसमें हम इन्हें बांट सकें। प्रतिदिन अधिकतम दो घंटे का समय जिसमें टेलीविजन समाचार-पत्र, पत्रिका शामिल है, समसामयिक मुद्दों की तैयारी हेतु पर्याप्त होता है लेकिन कई बार कुछ अभ्यर्थी इसकी तैयारी में तीन से चार घंटे तक खचै कर देते हैं। वे कई अनुपयोगी समाचार सामग्री का अध्ययन करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि कई महत्पूर्ण लेख, टॉपिक्स समय की कमी के कारण पीछे छूट जाते हैं।
हमें कई अन्य दूसरी गतिविधिंयां भी दो से तीन वर्षों के लिए स्थगित कर देनी चाहिए। जैसे – रिश्तेदारों से मिलना और सामाजिक दायित्वों/कार्यक्रमों में सम्मिलित होना आदि व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण होता है, लेकिन दो वर्षों के लिए ये समस्त गतिविधियां स्थगित कर दीजिये। हम इसे एक अन्तराल कह सकते हैं। जीवन के इस दौर में दो वर्ष हेतु पूर्ण अन्तराल भी कह सकते हैं।
हम जीवन के क्षेत्र में कुछ अन्य महत्वपूर्ण चीजों को भी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की आवश्यकता को देखते हुए स्थगित कर सकते हैं। कई लोग सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के महत्व को देखते हुये अपनी शादी तक स्थगित कर देते हैं। हमें अपने सामान्य लेकिन आवश्यक मुद्दों को सीमित समय देना चाहिए। इस प्रकार की रणनीति से हमारे पास महत्वपूर्ण क्षेत्रों हेतु उपयोगी समय बचा रहता है।
हमें अपनी दैनिक सामान्य गतिविधियों से भी अपने लिए समय निकालना चाहिए। हमें अपनी दैनिक दिनचर्या, जैसे-सुबह उठते ही ब्रश करना, नहाना, नाश्ता लेना, दिन का भोजन करना, बाद की दिनचर्या में चाह या काफी हेतु ब्रेक लेना और शाम को भोजन ग्रहण करने के बाद थोड़ा समय टहलना आदि गतिविधियां एक निश्चित समय-सीमा में कर लेनी चाहिए, जिससे कि हम अपने अध्ययन हेतु समय बचा सकें। इन सारी गतिविधियों को यदि आप एक समय-सीमा में पूरा करने का दृढ़ निश्चय कर लें तो आप निश्चित रूप से पायेंगे कि आपका दैनिक अध्ययन 12 से 14 घण्टों का हो रहा है, तो इसका सामान्य सा अर्थ यह हुआ कि आपका पूरा ध्यान सिविल सेवा की तैयारी पर केंद्रित है।
‘नहीं’ कहने की कला
हमें अपने कुछ रिश्तेदारों और मित्रों को अपने समय को बचाने हेतु कभी-कभी ‘नहीं’ भी कहना चाहिए, हमें दृढ़ निश्चय रखते हुये एवं उचित समय को ध्यान में रखकर बड़ी ही विनम्रतापूर्वक ‘नहीं’ कहना चाहिए।
समय अंकेक्षण/आकलन
हमें अपने व्यतीत हो चुके समय का प्रत्येक दिन आकलन करना चाहिए और इसी के अनुसार अपने लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए।
सर्वप्रथम तिमाही लक्ष्य, उसके बाद मासिक लक्ष्य, एवं अंत में साप्ताहिक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। मैं यह सलाह देना चाहूंगा कि हमें लक्ष्यों के विपरीत साप्ताहिक रूप से समय का आकलन करना चाहिए। यदि आप लक्ष्य प्राप्ति में पीछे चल रहें हैं, तो आप अपने आपसे कुछ निम्नलिखित प्रश्न पूछिये :
- हो सकता है कि आपने कम महत्वपूर्ण टॉपिक्स में बहुत अधिक समय खर्च कर दिया हो।
- हो सकता है कि आप किसी महत्वपूर्ण टॉपिक को मजाक में ले रहे हों उसका गहराई में अध्ययन नहीं कर रहे हों।
- हो सकता है कि आप अन्य लोगों के साथ मिलकर अपना मूल्यवान समय नष्ट कर रहें हों।
इस प्रकार का समय सम्बन्धी आकलन आपकी अपनी दक्षता में सुधार करेगा।
दिन की योजना बनाना
पूरे दिन के दौरान अपने एक सामान्य समय प्रबंधन हेतु आपको रात में 6 से 7 घण्टे की पर्याप्त नींद अवश्य लेनी चाहिए। हमें दो घण्टे प्रत्येक दिन अपनी दैनिक दिनचर्या हेतु निकालने चाहिए। इन दैनिक दिनचर्याओं में शामिल हैं-नहाना, खाना-खाना, कपड़े धोना आदि। प्रत्येक दिन एक घण्टे का समय शारीरिक व्यायाम हेतु भी निकालना चाहिए और एक घण्टे की पढ़ाई के बाद 10 मिनट का विराम लेकर पुन: पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए, इसी प्रक्रिया का पालन करके आप पूरे दिन भर में 14 घण्टे तक का अध्ययन कर सकते हैं। मनोवैज्ञानिक भी एक बार में 45 से 50 मिनट का लगातार अध्ययन करने की बात करते हैं, इसके बाद मुनष्य को ब्रेक की आवश्यकता होती है अन्यथा पढ़ाई में ध्यान केन्द्रित नहीं हो पाता है। ब्रेक लेकर आप मस्तिष्क को तरोताजा कर सकते हैं। आपका औसत रूप में 10 से 12 घण्टे तक का अध्ययन कार्यक्रम प्रत्येक दिन के लिए होना चाहिए।
जो अभ्यर्थी रात में अध्ययन करना पसंद करते हैं उनको सुबह अध्ययन करने की बजाय रात में ही अध्ययन करना चाहिए। आपका अध्ययन का प्रत्येक सत्र कम-से-कम दो घण्टे का और अधिकतम चार घण्टे तक का होना चाहिए और प्रत्येक सत्र के बाद आप लंच या डिनर ब्रेक जैसा भी हो ले सकते हो।
आपकी लंच तथा डिनर के बाद थोड़ा अपने समूह के साथ घूमने की आदत अवश्य होनी चाहिए। यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होगी और आपको तरोताजा भी रखेगी। इसी समय आप अपने समूह के साथ कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों तथासमसामयिक मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं। हमें यह अवश्य याद रखना चाहिए कि एक उपयुक्त परिचर्चा आपकी अवधारणाओं में स्पष्टता लाती है।
कार्यक्रम में लचीलापन
हमें अपने अध्ययन कार्यक्रम में कुछ लचीलापन भी बनाये रखना चाहिए, क्योंकि कुछ टॉपिक्स कभी-कभी निर्धारित समय से अधिक समय में तैयार हो पाते हैं और कभी-कभी ठीक इसके विपरीत स्थिति भी होती है।
और कभी-कभी हम लंबं सत्र तक पढ़ने के योग्य भी नहीं हो पाते हैं, इसके कई कारण हो सकते हैं, इसीलिए हमारे पास 10 से 20 प्रतिशत तक अपने कार्यक्रम को समय प्रबंधन की दृष्टि से लचीला बनाये रख सकने की संभावना होनी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो प्रत्येक सप्ताह कार्यक्रम की समीक्षा भी करनी चाहिए।
अध्ययन के दौरान समयान्तराल लेना
अध्ययन के अन्तराल के दौरान आप कई प्रकार के सांसारिक और मनोरंजक कार्य कर सकते हैं।
उदाहरण के रूप में निम्नलिखित कार्यों के लिए 5 से 10 मिनट का समय दिया जा सकता है:
- तेज घूमना।
- ई-मेल को चैक करना और ई-मेल का प्रत्युत्तर देना।
- इस अवधि में मोबाईल/दूरभाष के द्वारा कोई महत्वपूर्ण बात कर लेना।
- इस दौरान अपने अध्ययन कार्यक्रम की सूची पर एक नजर डाल लेना तथा उसी अनुसार कार्य योजना तैयार करना।
- इस अवधि में आप किसी अच्छी प्रेरणादायी पुस्तक, उपन्यास के तीन से चार पृष्ठ पढ़ सकते हैं।
- प्राणायाम और योग करना।
- गूगल सर्च इंजन में यू.पी. एस.सी पाठ्यक्रम से संबंधित महत्वपूर्ण वेबसाइट्स को देखना।
समय नष्ट करने वाली गतिविधियों के प्रति जागरूक रहना
समय नष्ट करने वाली गतिविधियों का समय प्रबंधन में बिल्कुल भी योगदान नहीं होता है। समय नष्ट करने वाली गतिविधियां कार्यालय, शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और परिवार से संबंधित हो सकती हैं।
हमें इन गतिविधियों की पहचान कर लेनी चाहिए और उसी अनुसार इन पर नियंत्रण हेतु कार्य योजना बनाते हुए दृढ़ निश्चय के साथ इन गतिविधियों को अपने से दूर कर लेना चाहिए।
हम समय नष्ट करने वाली गतिविधियों की एक विस्तृत सूची आपकी मदद हेतु यहां प्रस्तुत कर रहे हैं, जो इस प्रकार है:-
- देर से अपनी दिनचर्या की शुरूआत करना।
- टेलीविजन में प्रसारित होने वाले धारावाहिक व सिनेमा देखने की आदत होना।
- लगातार बाजार में खरीदारी करने जाना।
- अनावश्यक आगंतुकों से मिलना।
- बिना उद्देश्य के मित्रों से मिलना और अति सामाजिक होना।
- कई उपन्यास और पत्रिकाओं को पढ़ना जो राजनीति, जीवन चक्र, सिनेमा और खेल आदि से संबंधित होती हैं।
- समाचार-पत्र पढ़ने में अत्यधिक समय लगाना।
- स्वच्छता न बनाये रखने की आदत और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होना।
- सफाई के प्रति जरूरत से ज्यादा ध्यान देना।
- किसी को ‘नहीं’ कहने में शर्माना और किसी को ‘क्षमा’ करने में अत्यधिक सोचना।
- फेसबुक, व्हाट्सएप आदि इंटरनेट गतिविधियों में अत्यधिक सर्फिंग करना।
- व्यक्तिगत रूप से अनुशासन की कमी तथा वस्तुओं को अस्त–व्यस्त रखना।
- अनावश्यक यात्रा करना।
समय प्रबंधन हेतु महत्वपूर्ण निर्देश
- अपनी मेज को साफ-सुथरा रखना तथा एक समय में एक ही गतिविधि पर ध्यान केंद्रित करना।
- यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम एक समय में एक बड़े कार्य या लक्ष्य को लेकर चलें उसे पूर्ण करने के बाद ही दूसरे कार्य को ग्रहण करें।
- कार्य पूरा करने के समय कार्य संबंधी गुणवत्ता का ध्यान रखें।
- एक विशेष समय में उस काल की सारी चीजें कर लें।
- प्रत्येक गतिविधि को अन्तत: लक्ष्य से ही केंद्रित करने का प्रयास करें।
- लक्ष्य प्राप्ति हेतु संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना सुनिश्चित करें।
- कार्य के परिणाम पर लगातार निगरानी रखें, इससे आगे आने वाले जोखिमों का खतरा कम हो जाता है।
- एक साफ कमरा और साफ मेज अच्छे प्रबंधन कौशल से युक्त व्यक्ति की पहचान कराता है तथा इस प्रकार का व्यक्ति अपने कार्य के प्रति अनुशासित होता है और साथ ही साथ अपने ऊपर भी उस व्यक्ति का पूर्ण नियंत्रण होता है। ठीक इसके विपरीत एक अस्त-व्यस्त मेज तथा गंदगी ये युक्त कमरा आलसी, लापरवाह और भ्रमित व्यक्ति की पहचान है।
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