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पढाई के दौरान आने वालीं रुकाबटों को कैसे दूर करें ? ( Problems Faced by Students in Studies )

Problems Faced by Students in Studies
Written by Nitin Gupta

नमस्कार दोस्तो , कैसे हैं आप सब ?  आशा करता हूं कि आपकी पढाई बहुत अच्छी चल रही होगी 🙂

दोस्तो आज की हमारी पोस्ट में हम आपकी आपकी तैयारी के दौरान आने बाली कुछ महत्वपूर्ण  रुकाबटों के बारे में चर्चा करेंगे जो सामान्यता प्रत्येक छात्र को पढाई के दौरान आती है और उनसे कैसे निपटें इसके बारे में भी हम चर्चा करेंगे ! 

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 Problems Faced by Students in Studies 

पढाई के दौरान आने वालीं कुछ रुकाबटें निम्न हैं – 

 1.दिशाविहीन अध्‍ययन – 

किसी भी परीक्षा में दिशाविहीन अध्‍ययन छात्र/अभ्‍यार्थी के सफल होने के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है,क्‍येांकि दिशाविहीन अध्‍ययन छात्र/अभ्‍यार्थी को उसके सफलता के मार्ग से विलग कर देता है। अत: किसी भी क्षेत्र में सर्वश्रेष्‍ठ स्‍थान प्राप्‍त  करने के लिए सर्वप्रथम उद्देश्‍य एवं उसके अनुरूप दिशा निर्धारित की जानी चाहिए।

आप जिस भी परीक्षा की तैयारी कर रहे है, उस परीक्षा के लिए आपकी दिशा निश्चित होनी चाहिए। आपकी पढ़ाई उस अभीष्‍ट परीक्षा के अनुसार निर्दिष्‍ट होनी चाहिए। आपको समुचित रूप से पता होना चाहिए कि उस परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्‍न पूछे जाते हैं अर्थात् वस्‍तुनिष्‍ठ या वर्णनात्‍मक ?

वर्णनात्‍मक में भी प्रश्‍नों का प्रकार क्‍या हैं? 20 शब्‍दों में उतर देना हैं, या 50 शब्‍दों में या 100-200 शब्‍दों में अथवा निबन्‍ध की तरह प्रश्‍नों का उतर देना हैं ? इस तरह, प्रश्‍न-पत्र की जानकारी होने से आपकी तैयारी भी उसी अनुसार निर्दिष्‍ट हो जाएगी।

इसी प्रकार यदि वस्‍तुनिष्‍ठ प्रश्‍न-पत्र आता हैं, तो कितने भागों (sections या parts) में विभाजित हैं? किस भाग में किस प्रकार से प्रश्‍न पूछे जाएँगे? पूर्व में ही प्रकार की पूर्व जानकारी प्रश्‍न-पत्र में अच्‍छे अंक लाने में मददगार साबित होगी !

 2. अतिविस्‍तृत पढ़ाई – 

बहुत से मेधावी छात्र, जब किसी परीक्षा विशेष की तैयारी करते हैं, तो उनकी पढ़ाई इतनी विस्‍तृत होती है जैसे वह कोई (Research paper) की तैयारी कर रहे हों, Ph.D कर रहें हों। आपकी पढ़ाई उस परीक्षा के स्‍तर तक ही की जाने की आवश्‍यकता है। अतिविस्‍तृत (Too extensive) पढ़ाई करने से कुछ confusion भी हो सकता है तथा आपके समय एवं श्रम का भी अपव्‍यय होता है। आपको अपनी पढ़ाई उस परीक्षा के अनुसार ही केन्द्रित करनी चाहिए।

 3. गुणात्‍मकता की अपेक्षा मात्रात्‍मकता को महत्‍व – 

बहुत-से छात्र किसी अभीष्‍ट परीक्षा की तैयारी करते समय, एक-एक विषय की 5-5 किताबें खरीद लेते हैं। किसी मित्र के पास कोई किताब देखी, तो उस किताब को Recommend कर दिया, तो उस किताब को भी खरीद लेते हैं। इस तरह कई छात्रों के पास एक-एक विषय की कई-कई किताबें हो जाती है। उन सभी को पढ़ने में उनका जो समय एवं श्रम व्‍यय होता है, वह तो एक नुकसान है ही, दूसरा बहुत बड़ा नुकसान किताबों में पाई जाने वाली ग‍लतियों से होने वाले Confusion या गलत उतर लिखने से होता है। एक ही विषय पर पाँच-पाँच किताबों का अध्‍ययन करने से आपकी Quality प्रभावित हो सकती है। पढ़ाई में गुणात्‍मकता का अर्थ है कि आप जो भी पढ़ रहे है, वह आपकी समझ में पूरी तरह से आ रहा हैं। आप रटन्त पढ़ाई नहीं कर रहे है। आपने जो पढ़ा है, उस पर आपकी अच्‍छी पकड़ है। समझकर की गई पढ़ाई, अधिक समय तक मानस में बनी रहती है, ज‍बकि ‘रटने’ पर आप बहुत शीघ्र ही उसे भूल जाते है। पढ़ाई में Quality का महत्‍व है, Quantity का नहीं।

 4. डगमगाता आत्‍मविश्‍वास – 

आत्‍मविश्‍वास सफलता की सबसे प्रमुख अनिवार्यता है। बिना आत्‍मविश्‍वास के आप किसी भी क्षेत्र में सफलता हेतु पूर्ण प्रयासरत नहीं हो सकते। यदि किसी छात्र को स्‍वंय पर विश्‍वास ही नहीं है, तो वह अपनी समस्‍त ऊर्जा, क्षमता एवं योग्‍यता को अपने लक्ष्‍य संधान हेतु प्रयुक्‍त नहीं कर सकता है। आप जिस किसी भी परीक्षा हेतु तैयारी कर रहे है, आपको स्‍वयं यह विश्‍वास होना चाहिए। कि आप उसमें सफल होने की क्षमता एवं योग्‍यता रखते है।

कई बार ऐसी नकारात्‍मक परिस्थितियां बन जाती हैं कि छात्र का विश्‍वास डगमगाने लगता हैा ऐसी नकारात्‍मक परिस्थितियाँ के लिए कई बार आपके मित्र और संगी-साथी भी दोषी होते हैं। कई बार ऐसी परिस्थितियां अनजाने में पैदा हो जाती हैं, तो कई बार कुछ लोग आपको परेशान  करने के लिए जान-बूझकर भी पैदा कर देते हैं। कई छात्र किसी अभीष्‍ट परीक्षा हेतु अन्‍य छात्रों को अपनी तैयारियां इतनी बढ़ा-चढ़ाकर व्‍यक्‍त करते हैं कि दूसरा छात्र स्‍वयं को बहुत हीन महसूस करने लगता हैं। कई छात्र अन्‍य छात्रों से अजीब से प्रश्‍न करके, उसका आत्‍मविश्‍वास तोड़ना चाहते है। कई बार छात्र स्‍वयं भी अन्‍य छात्रों की व्‍यापक तैयारियों को देखकर बिना कारण ही हताशा से भर उठता हैं। कई बार किसी कोंचिग सेन्‍टर द्वारा लिए गए टेस्‍ट में कम अंक आने से भी ऐसे नकारात्‍मक विचार मन में आने लगते है।

एक बात समझ लीजिए, यदि आपने अपना आत्‍मविश्‍वास खो दिया, तो आपके द्वारा सफलता की कल्‍पना करना भी गलत होगा।

                     ” होकर मायूस यूं न अपना इरादा बदल ,

                  अपनी किस्‍मत अपने बूते चमकाई जा सकती हैं। “

पुरूपार्थ करें, स्‍वयं की क्षमता, योग्‍यता का भरपूर उपयोग करें तथा अपनी सारी ऊर्जा एवं शक्ति को अपने लक्ष्‍य के संधान में समर्पित कर दें। ऐसा कौन-सा कार्य हैं, जो मेहनत एवं लगन से सम्‍भव नहीं हैं ! पूर्ण निष्ठा एवं लगन से जुट जायें , अर्जुन की तरह लक्ष्य संधान हेतु प्रयास करें , यकीन मानिये सफ़लता आपके कदम चूमेगी ! 

 5. आप जो कर रहे हैं उसमें रूचि का अभाव – 

ऐसा देखने में आया हैं कि कई बार छात्र अन्‍य किसी के दबाव में, नकल करके या ईर्ष्‍यावश किसी अभीष्‍ट परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं, लेकिन वसतुत: उसमें उनकी वास्तिविक रूचि नहीं होती, ऐसी स्थिति में छात्र मेधावी और होनहार होने के बाद भी पूर्ण सफलता प्राप्‍त नहीं कर पाते हैं।

अधूरे से किया गया कार्य अथवा पूर्ण लगन या निष्‍ठा से कार्य नहीं करने पर मिलने वाली सफलता भी अपूर्ण ही रहती है। टॉपर्स का कहना है कि आप जो भी करना चाहते हैं, उसे पूर्ण रूचि लेकर करें। पूर्ण निष्‍ठा एवं आत्‍मविश्‍वास से अपनी समस्‍त क्षमता एवं योग्‍यता का पूरा प्रयोग करते हुए किसी कार्य को एकाग्रता से करें, आपको सफलता अवश्‍य मिलेगी।

” बिना रूचि के किया गया प्रयास आपकी लक्ष्‍य प्राप्ति को संदिग्‍ध बनाता हैं। “

 6. परीक्षा के दिनों का तनाव – 

कई बार ऐसा भी होता हैं कि आपकी किसी अभीष्‍ट परीक्षा हेतु तैयारी पूर्ण हैं, लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं कि आप परीक्षा के दिनों में तनावग्रस्‍त हो जाते हैं। परीक्षा के दिनों में तनावग्रस्‍त होने से आप उतने अच्‍छे अंक प्राप्‍त नहीं कर सकते हैं, जितने तनावरहित रहकर कर सकते हैं।

परीक्षा के दिनों में तनाव कई बार दुर्भाग्‍यवश हो जाता है, जो व्‍यक्ति के हाथ में नहीं होता, जबकि कई बार उस तनाव के लिए छात्र स्‍वयं भी जिम्‍मेदार होते हैं। यदि आपके तनाव का कारण, आपका परीक्षा के दिनों में अस्‍वस्‍थ्‍य हो जाना है, तो इसके लिए आप अन्‍य किसी को दोष नहीं दे सकते हैं।

यदि आपके तनाव का कारण, आपके द्वारा एक दिन पूर्व लिख गए, किसी प्रश्‍न-पत्र का ठीक नहीं होता है, तो इसके लिए भी आप स्‍वयं ही जिम्‍मेदार हैं। बहुत-से छात्र परीक्षा देने के बाद उस प्रश्‍न-पत्र के प्रश्‍नों के हल अन्‍य छात्रों से मिलाते हैं या उन पर विचार-विमर्श करते है। यदि आपकी परीक्षा आगे भी जारी है, तो किसी भी स्थिति में उस प्रश्‍न-पत्र के हल के सम्‍बन्‍ध में किसी से बात करना न केवल अपने बहुमूल्‍य समय को व्‍यर्थ करना है, बल्कि तनाव को आमन्त्रित करना भी है।

कई बार आप परीक्षा स्‍थल पर जाने के लिए तैयार होने पर देखते हैं कि आपका वाहन पंचर है या उसमें पेट्रोल नहीं है या आप एकदम समय पर जान के लिए तैयार होते है और रास्‍ते में जाम मिल जाता है। आप अपना प्रवेश-पत्र ले जाना भूल जाते हैं या आप अपना पेन/पेन्सिल या शॉर्पनर ले जाना भूल जाते हैं। ये सब बहुत छोटी-छोटी भूलें लगती हैं, लेकिन ये अनावश्‍यक तनाव को आमन्त्रित करने वाली भूलें है, जो परीक्षा के दौरान आपकी परफॉरमेन्‍स को दुष्प्रभावित करती है।

परीक्षा में अच्‍छे अंक लाना, मात्र कठिन मेहनत पर ही निर्भर नही हैं। वास्‍तव में आपको पूर्ण सन्‍तुलन बनाकर, तनावरहित रहकर, पूर्ण स्‍वस्‍थ्‍य रहकर अपनी पूरी ऊर्जा, क्षमता एवं योग्‍यता के साथ परीक्षा देनी चाहिए, तभी आप अच्‍छे अंक प्राप्‍त कर सकते हैं। नीचे दी गई कविता को आपने अपनी सकूल शिक्षा के दौरान अवश्‍य पढ़ा होगा। 

” हैं कौन विघ्‍न ऐसा जग में

टिक सके आदमी के मग में

खम ठोक ठेलता है जब नर

परबत के जाते पाँव उखड़

मानव जब जोर लगाता है

पत्‍थर पानी बन जाता है

गुण बड़े एक से एक प्रखर

हैं छिपे मानवों के भीतर “

कवि ने बहुत थोड़े शब्‍दों में मानव की अदम्‍य शक्ति का इसमें गुणगान किया हैं।

यह शाश्‍वत सत्‍य है कि व्‍यक्ति यदि ठान ले, तो वह हर असम्‍भव-से दिखाई देने वाले कार्य को सम्‍भव कर सकता हैं। व्‍यक्ति में इतनी ऊर्जा, शक्ति एवं सबलता हैं कि यदि वह पूर्ण मनोयोग से किसी भी कार्य को करने में जुट जाए तो उसे वह पूर्ण कर सकता है।

 7. ‘मूड न बनने’ की बीमारी – 

आज कल अनेक छात्र पढ़ाई का ‘मूड न बनने’ की बीमारी से पीडि़त नजर आते हैं। आपस से बातचीत, वार्तालाप में आपको सुनने को मिल जाएगा। ‘’यार! पढ़ाई का मूड ही नहीं बर रहा’’ या ‘’आज अभी पढ़ने का मूड नहीं है।‘’

वस्‍तुत: यह मूड है क्‍या? इसका अर्थ है कि अभी पढ़ने का मन नहीं हो रहा हैं या पढ़ने का मन नहीं हैं। इसका अर्थ यह भी हुआ कि आपका मन कहीं अन्‍य लगा हुआ है, जो पढ़ाई से अधिक महतवपूर्ण है या यह कहें कि आपका मन पढ़ाई को अन्‍य किसी चीज की तुलना में गौण या कम महत्‍वपूर्ण समझ रहा है। इसका एक अर्थ यह भी हुआ कि आपका मन किसी अन्‍य चीज में उलझा हुआ है। फिर पढ़ाई का मूड कैसे बनेगा? ध्‍यान रखें, यह जीवन आपका है। आपको अपने भविष्‍य निर्माण हेतु पढ़ाई करनी है। छात्र-जीवन जैसा फ्री समय, जब आपके ऊपर कोई भी सा‍माजिक, आर्थिक दबाव या बन्‍धन नहीं है, फिर कभी नहीं मिलेगा। यदि इस समय को आप किसी अन्‍य प्रयोजन हेतु व्‍यर्थ करते हैं, तो इसका अर्थ हुआ कि आप अपने निर्धारित लक्ष्‍य से भटक रहे हैं। आपका मन किसी अन्‍य चीज मं उलझ रहा हैं। ऐसे में आप निश्चित ही न केवल स्‍वयं से नाइन्‍साफी कर रहें हैं, बल्कि आप अपने परिजनों की अपेक्षाओं के साथ भी खिलवाड़ कर रहे है। आपके माता-पिता ने आपको अपने भविष्‍य निर्माण हेतु यही समय दिया है। वे अपना पेट काटकर, अपनी आवश्‍यकताओं को कम करके, आपकी हर आवश्‍यकता की पूर्ति करते हैं। अत: इस समय को आप व्‍यर्थ न करें। अपने मूड को, अपने मन को नियन्‍त्रण में रखें। इस समय का नियन्‍त्रण, स्‍वयं पर संयम आपकी सफलता हेतु बहुत आवश्‍यक है। अपने जीवन को सँवारने के इस सुनहरे समय को वयर्थ न करें। विद्यार्थी जीवन का यह काल बहुत महत्‍वपूर्ण हैं। अपने मन को नियन्‍त्रण में रखें एवं ‘मूड’की बीमारी से मुक्‍त रहें।

तो दोस्तो ये थी कुछ खास रुकाबटें जो प्रत्येक तैयारी करने बाले के जीबन में होती है , उम्मीद है कि इन खास टिप्स से आपको अपनी तैयारी को बेहतर करने में सहायता मिलेगी ! तो दोस्तो अच्छे से तैयारी कीजिये और कामयाब बनिए – अपने लिए , अपनों के लिए और उन सब के लिए जो आपको देखकर खुद को भरोसा दिलाएंगे कि मैं भी एक दिन इनकी तरह कामयाब हो जाऊँगा !!! तो आज से ही आप सबकी परबाह छोडकर लग जाये अपने लक्ष्य को पाने में ! में नितिन गुप्ता आपकी सफ़लता की कामना करता हूं !

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About the author

Nitin Gupta

My Name is Nitin Gupta और मैं Civil Services की तैयारी कर रहा हूं ! और मैं भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश से हूँ। मैं इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशील किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !!

मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है ! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

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