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अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्‍वपूर्ण शब्‍दावलियाँ एवं अवधारणाएं Part – 3 ( Most Important Terms and Concepts Related to Economy Part – 3 )

Most Important Economics GK Questions for Competitive Exams
Written by Nitin Gupta
नमस्कार दोस्तो , स्वागत है हमारी बेबसाइट पर 🙂 

दोस्तो , आज की पोस्ट में हम आपको अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ उपलब्ध कराने जा रहे हैं जिनमें से बहुत से Question आपके Exams में आ सकते हैं ! दोस्तो इस पोस्ट को हम तीन पार्ट में उपलब्ध करा रहे हैं ! यह इसका तीसरा और आखिरी भाग है , आप इसे अच्छे से पढिये और याद कर लीजिये ! इसके अन्य दो पार्ट की List भी इस पोस्ट के अंत में दी गई है ! आप उन्हें भी पढ सकते हैं ! 

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Most Important Economics GK Questions for Competitive Exams

भुगतान शेष का संकट :

भुगतान शेष का संकट एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें किसी देश के विदेशी मुद्राओं के कोष तेजी से तथा लगातार कम हो रहे हों।

भारतीय मानक ब्‍यूरो :

मानकीकरण, गुणवता प्रमाणन और विवणन गतिविधियों के सुव्‍यवस्थित विकास हेतु 6 जनवरी, 1947 को ”भारतीय मानक ब्‍यूरो” एक पंजीकृत संस्‍थान के रूप में अस्तित्‍व में आया। इसका मुख्‍यालय दिल्‍ली में है।

मूर्त सम्‍पत्तियां (Tangible Assets)

मूर्त सम्‍पत्तियां (Tangible Assets) एक ऐसी सम्‍पत्तियां होती हैं, जिन्‍हें देखा, छुआ तथा अनुभव किया जा सकता है। जैसे – भूमि, भवन, मशीनरी, माल, रोकड़, मोटरगाडि़यां आदि। इसके विपरीत ”अमूर्त संपत्तियॉ” (Intangible Assets) का भौतिक अस्तित्‍व नहीं होता किन्‍तु इनका मूल्‍य स्‍वामित्‍व एवं कब्‍जे के द्वारा प्रदत्‍त अधिकारों से प्राप्‍त (जैसे – ख्‍याति, पेटेंट, व्‍यापारिक चिन्‍ह, कॉपीराइट आदि) किया जाता है।

मध्‍य पतन व्‍यापार (Enterport Trade)

पुननिर्यात हेतु आयात करना मध्‍य पत्‍तन व्‍यापार (Enterport Trade) कहलाता है।

मानव विकास निर्देशांक (Human Development Index, HDI)

एक राष्‍ट्र में बुनियादी मानवीय योग्‍यता की औसत प्राप्ति को मानव विकास निर्देशांक (Human Development Index, HDI) द्वारा मापा जाता है। इसका आकलन संबंधित देश में जीवन प्रत्‍याशा, शिक्षा के स्‍तर तथा वास्‍तविक आय के आधार पर किया जाता है।

मुद्रा संकुचन (Deflation)

जब बाजार में मुद्रा की कमी के कारण कीम‍तें गिर जाती हैं, उत्‍पादन व व्‍यापार गिर जाता है तथा बेरोजगारी बढ़ती है, तो वह अवस्‍था ”मुद्रा संकुचन” (Deflation) कहलाती है।

मुद्रास्‍फी‍ति (Inflation)

सामान्‍य कीमत स्‍तर में काफी समय तक वृद्धि होने की प्रवृत्ति को ”मुद्रास्‍फीति” (Inflation) कहा जाता है। इस अवस्‍था में मुद्रा मूल्‍य गिर जाता है तथा कीमतें बढ़ जाती है, क्‍योंकि इससे उत्‍पादन में वृद्धि को प्रोत्‍साहन मिलता है, किन्‍तु एक सीमा से अधिक मुद्रास्‍फीति हानिकारक है।

मुद्रा बाजार या पूंजी बाजार (Money Market)

मुद्रा बाजार (Money Market) के अंतर्गत उन समस्‍त व्‍यक्तियों व वित्‍तीय संस्‍थाओं को शामिल किया जाता है, जो अल्‍पकाल के लिए मुद्रा उपलब्‍ध कराते है।

मिंट (Mint)

सरकारी मुद्रा का निर्गम करने वाली संस्‍था को मिंट (Mint) क‍हते हैं। इस संस्‍था के पास सिक्‍कों या करेंसी नोट के प्रकाशन का सर्वाधिक सुरक्षित रहता है।

मेरिट गुडस एवं मेरिट सब्सिडीज (Merit Goods and Merit Subsidies)

ऐसी वस्‍तुओं की आपूर्ति प्राय: सरकार जनहित के लिए कर सकती है, जैसे जन स्‍वास्‍थ्‍य, प्राथमिक शिक्षा आदि, वैसी वस्‍तुएं ”मेरिट गुड्स” कहलाती हैं। दूसरी ओर, ऐसा अनुदान जो अर्थव्‍यवस्‍था में उत्‍पादन बढ़ाने में सहायक हो, ”मेरिट सब्सिडीज” कहलाती है।

मौद्रिक नीति (Monetary Policy)

सरकार अथवा केन्‍द्रीय बैंक द्वारा अर्थव्‍यवस्‍था में प्रचलित ब्‍याज दर तथा मुद्रा (करेंसी एवं साख) पर नियंत्रण रखने वाली नीति ”मौद्रिक नीति” (Monetary Policy) कहलाती है।

मौद्रिक प्रणाली (Monetary System)

किसी देश की सरकार द्वारा मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित करने हेतु अपनाई गई नीतियां तथा तत्‍संबंधी तौर-तरीके ”मौद्रिक प्रणाली” (Monetary System) कहलाती है।

मिश्रित मांग (Composite Demand)

जब कोई वस्‍तु एक से अधिक उपयोगों में प्रयुक्‍त की जाती है, तो ऐसी वस्‍तु की कुल मांग उसकी विविध उपयोगों हेतु मांग का योग होती है। इसे ”मिश्रित मांग” (Composite Demand) कहा जाता है।

मुद्रा अस्‍फीति अथवा विस्‍फीति (Disinflation)

सामान्‍य कीमत स्‍तर में कमी जो प्राय: राष्‍ट्रीय आय में ह्रास के साथ-साथ चलती है, ”मुद्रा अस्‍फीति” (Disinflation) कहलाती है। जब मौद्रिक अधिकारी मुद्रा स्‍फीति पर अंकुश लगाने हेतु कोई कार्यवाही करते हैं और उसके फलस्‍वरूप जब कीमत स्‍तर में कमी होती है तो इसे अपस्‍फीति कहा जाता है।

मांग जमा :

मांग जमाओं के अंतर्गत उन समस्‍त जमा राशियों को सम्मिलित किया जाता है, जो जमाकर्ता द्वारा अपनी इच्‍छानुसार चाहे जब वापस मांगी जा सकती है। बैंकों के चालू खाते तथा बचत खाते में जमा राशियों इसके अंतर्गत ही आती हैं।

मर्चेंट बैंकिंग :

इसके अंतर्गत औद्योगिक तथा व्‍यापारिक संस्‍थानों को विशिष्‍ट प्रकार की सेवाएं उपलब्‍ध कराई जाती हैं।

मल्‍टीपल एक्‍सचेंज रेट (Multiple Exchange Rates)

ऐसी प्रणाली जिसमें किसी देश की विनिमय दरें किसी अन्‍य देश की मुद्रा के संबंध में दो या अधिक हो सकती हैं, उसे ”Multiple Exchange Rates” कहते हैं।

म्‍युचुअल फण्‍ड (Mutual Fund)

एक ऐसी वित्‍तीय संस्‍था जिसके पास निवेशकों की राशि रहती है, ”Mutual Fund” कहलाती है। भारत की सबसे बड़ा म्‍युचुअल फण्‍ड ”यूनिट ट्रस्‍ट ऑफ इण्डिया” है।

मोरटोरियम (Mortorium)

कानूनन ऋणों के भुगतान को टाल दिए जाने वाली अवधि को ”Mortorium” या ऋण शोध स्‍थगन कहा जाता है।

मंदी (Recession)

मंदी (Recession) व्‍यापार चक्र की उस अवस्‍था को कहा जाता है जब देश में व‍स्‍तुओं की मांग घट जाती है। 1930 के दशक में विश्‍वव्‍यापी मंदी उत्‍पन्‍न हुई थी।

यूरो निर्गम (Euro Issue)

भारत सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक तथा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कतिपय प्रावधानों के अंतर्गत चुनिंदा भारतीय कंपनियों को विदेशी पूंजी बाजारों में निर्गम जारी करके विदेशी मुद्रा में पूंजी एकत्रित करने की छूट प्रदान कर दी है। इसी के अंतर्गत जब कोई भारतीय कंपनी विदेशों में अपना निर्गम जारी करती है तो यूरो निर्गम (Euro Issue) कहा जाता है।

यूजरी (Usury)

सूदखोरी को ”यूजरी” (Usury) कहा जाता है।

यूटीलिटेरियनिज्‍म (Utilitarianism)

कल्‍याण हेतु सभी नियम एवं संस्‍थाओं का निर्माण ”Utilitarianism” कहलाता है।

यूनीफाइड बजट :

भारत में राजस्‍व तथा पूंजीगत दोनों प्रकार के बजटों का मिलाकर प्रस्‍तुत करना।

राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

किसी राज्‍य या संघीय सरकार के राजस्‍व घाटे, शुद्ध कर्ज की राशि, पूंजीगत प्राप्तियॉ तथा समग्र घाटे का योग राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) कहलाता है। एक अन्‍य परिभाषा के अंतर्गत राजस्‍व घाटे, पूंजीगत परिव्‍यय एवं शुद्ध उधार को राजकोषीय घाटा माना जाता है।

राजकोषीय कर्षण (Fiscal Drag)

इसका तात्‍पर्य यह है कि – वह बढ़ा हुआ भार जो कर की दरों में बिना किसी परिवर्तन किए हुए ”मुद्रा स्‍फीति” के परिणामस्‍वरूप उत्‍पन्‍न हो जाता है। राजकोषीय कर्षण (Fiscal Drag) की स्थिति में बढ़ी हुई मजदूरी एवं वेतन के कारण व्‍यक्ति ऊंचे कर स्‍लैब में पहुंच जाते हैं।

रिन्‍यूएबल रिसोर्सेज (Renewable Resources)

ऐसे संसाधन जो अनवरत् रूप से उपयोग में लाए जा सकते हैं, ”पुनर्प्रयोज्‍य संसाधन” (Renewable Resources) कहते हैं। जैसें- सौर ताप या हवा ऐसे साधन हैं जिनसे अनवरत् रूप से ऊर्जा बनाई जा सकती है।

रिफ्लेक्‍शन (Reflation)

मंदी की अवस्‍था से उबरने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के फलस्‍वरूप लोगों की क्रय शक्ति बढ़ती है तथा मांगों में वृद्धि होती है तो मूल्‍य स्‍तर में भी वृद्धि होती है। इसे ही ”Reflation” कहते हैं।

रिबेट (Rebate)

किसी संस्‍थान को दिए जाने वाले धन में छूट के रूप में एक निश्चत भाग कम कर दिया जाना ”Rebate” कहलाता है।

राशिपतन (Dumping)

राशिपतन (Dumping) उस प्रक्रिया को कहते हैं जब किसी वस्‍तु के अति उत्‍पादन से बाजार में वस्‍तु के मूल्‍य को एक न्‍यूनतम स्‍तर से नीचे गिरने से बाजार में बहुत कम मूल्‍य पर बेचा जाता है अथवा नष्‍ट कर दिया जाता है।

राजस्‍व :

सरकार की करों द्वारा प्राप्‍त आय (प्रत्‍यक्ष तथा परोक्ष दोनों प्रकार के कर) राजस्‍व (Revenue) कहलाती है।

लिमिटेड कंपनी 

लिमिटेड कंपनी उस कंपनी को कहते हैं जिसमें हर शेयर होल्‍डर (धारक) का दायित्‍व अपने अंशदान तक ही सीमित होता है।

ले ऑफ (Lay off)

किसी ओद्योगिक संस्‍थान में उत्‍पादन कम हो जाने या उस वस्‍तु की मांग कम हो जाने पर कर्मचारियों को नौकरी से पृथक करना ”Lay off” कहलाता है।

लागत प्रेरित मुद्रा स्‍फीति (Cost Push Inflation)

जब वस्‍तुओं की उत्‍पादन लागत में वृद्धि होने के परिणाम स्‍वरूप मूल्‍यों में वृद्धि होती है तथा मुद्रा स्‍फीति की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है, तो ऐसी मुद्रा स्‍फीति को लागत प्रेरित कहा जाता है। श्रमिक संघो के दबाव में मजदूरी के स्‍तर में अनावश्‍यक वृद्धि से ऐसी स्‍थिति उत्‍पन्‍न होती है।

लदान बिल (Bill of Loading)

लदान बिल (Bill of Loading) अथवा लदान रसीद जहाज कपंनी द्वारा माल प्राप्ति की रसीद होती है।

उदारीकरण (Liberalization)

मुक्‍त बाजार की दिशा में अर्थव्‍यवस्‍था को ले जाने वाली नीति को ”उदारीकरण” कहते है। इसकें अंतर्गत कर तथा मात्रात्‍मक प्रतिबंध को कम करना, मुद्रा को परिवर्तनशील बनाना, विदेशी पूंजी के देश में निवेश को प्रोत्‍साहन देना तथा देश के उद्योगों को यथासंभव बंधन मुक्‍त करने की नीतियां निहित होती हैं। परन्‍तु, उदारीकरण का यह अर्थ नहीं है कि अर्थव्‍यवस्‍था के प्रबंधन में सरकार की भूमिका पूर्णतया समाप्‍त हो जाती है।

लाभांश (Dividend)

वह धन जो किसी कंपनी द्वारा अपने शेयर धारकों को उनके अंशदान के बदले में दिया जाता है, लाभांश (Dividend) कहलाता है।

लिबोर (London Inter-Bank Offer Rate, LIBOR)

लिबोर (London Inter-Bank Offer Rate, LIBOR) दर यूरोपीय करेंसी बाजार में प्रचलित है तथा इस पर किसी विशेष मुद्रा को उधार लिया जा सकता है।

वृद्धिमान पूंजी निर्गत अनुपात :

अर्थव्‍यवस्‍था में उत्‍पादन की एक अतिरिक्‍त इकाई प्राप्‍त करने के लिए पूंजी की जितनी अतिरिक्‍त इकाइयों की आवश्‍यकता होती है, उसे वृद्धिमानपूंजी निर्गत अनुपात (ICOR) कहते हैं। इसका अधिक होना यह दर्शाता है कि उत्‍पादन की एक अतिरिक्‍त इकाई की प्राप्ति हेतु ज्‍यादा पूंजी की आवश्‍यकता है।

विनिवेश (Disinvestment)

विनिवेश के अंतर्गत निम्‍नांकित प्रमुख बातें शामिल हैं –

  1. किसी सार्वजनिक कंपनी के अंश, आंशिक या पूर्णरूप में किसी कंपनी को बेचना।
  2. किसी निजी कंपनीकी मशीनों को नष्‍ट करके उसकी पूंजी स्‍टॉक में कमी करना।
  3. किसी निजी कंपनी द्वारा स्‍वयं की अपने कुछ अंश खरीद लेना।

परन्‍तु (प्राय:) इन तरीकों से देश में विद्यमान कुल पूंजी का स्‍टॉक कम नहीं होता। ज्ञातव्‍य है कि विनिवेश का उदारीकरण से कोई संबंध नहीं है।

विमुद्रीकरण (Demonetization)

जब काला धन बढ़ जाता है और अर्थव्‍यवस्‍था के लिए खतरा बन जाता है, तो इसे दूर करने के लिए ”विमुद्रीकरण” (Demonetization) की विधि अपनाई जाती है। इसके अंतर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्‍त कर देती है तथा नई मुद्रा को जारी कर देती है।

विधिग्राह्य मुद्रा (Legal Tender Money)

ऐसी मुद्रा जिसमें भुगतान करने पर लेनदार कानूनी तौर पर स्‍वीकार करने से इनकार नहीं कर सकता है, उसे विधिग्राह्य मुद्रा (Legal Tender Money) कहते हैं।

विनिमय दर (Exchange Rate)

जिस दर पर एक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा में परिवर्तित हो जाती है, उसे ”विनिमय दर” (Exchange Rate) कहते हैं।

विवेकीकरण (Rationalzation)

साधनों के आवंटन को और अधिक दक्षतापूर्ण बनाना, विवेकीकरण कहलाता है। दूसरे शब्‍दों में, विवेक द्वारा उद्योगों की कार्यकुशलता में वृद्धि करना विवेकीकरण है। य‍दि साधनों का उपयोग विवेकपूर्ण न हो तो उद्योगों का पुनर्गठन करके उसे अधिक दक्षतापूर्ण बनाना होता है। प्राय: इस प्रक्रिया के अंतर्गत बहुत ऊंची लागत वाले प्‍लांटों को बंद करने से लेकर विभिन्‍न फर्मों में विलय तक के निर्णय लिए जा सकते हैं। इसी के अंतर्गत फर्मों में मौजूदा अधिकता को न्‍यूनतम करने के प्रयास आदि भी शामिल हैं।

विक्रेता बाजार (Sellers Market)

जब मांग अधिक होती है और पूर्ति कम, तब व्‍यापारी कमी का लाभ उठाकर वस्‍तुओं को मनमानी कीमतों पर बेचते हैं। ऐसे बाजार को विक्रेता बाजार (Sellers Market) कहते हैं।

विनिमय नियंत्रण (Exchange Control)

विनिमय नियंत्रण (Exchange Control) व्‍यवस्‍था के अंतर्गत कोई देश विदेशी मुद्राओं के स्‍वतंत्र बाजार पर नियंत्रण करके अपनी मुद्रा की विनिमय दर को उस दर से भिन्‍न रखने का प्रयास करता है, जो स्‍वतंत्र बाजार में निर्धारित होती है।

विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता [Foreign Currency (Non-Resident) Account]

भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय बैंकों को 1 नवम्‍बर, 1975 से उपर्युक्‍त प्रकार के खाते खोलने की अनुमति प्रदान की। इस प्रकार के खाते कुछ चुनी हुई परिवर्तनशील मुद्राओं में खोले जाते हैं। नकद जमाओं के अतिरिक्‍त विदेशों में निवासी भारतीय ड्राफ्ट, मेल ट्रांसफर, टेलीग्रॉफिक ट्रांसफर या चेक के द्वारा धनराशि भेज सकते हैं। जिस स्‍वीकृत मुद्रा में खाता रखा जाता है, ब्‍याज भी उसी मुद्रा में अदा किया जाता है तथा ब्‍याज पर भारतीय आयकर लागू नहीं होता।

वैश्विक गांव (Global Village)

मार्शल मकलुहान ने उस स्थिति को ”वैश्विक गांव” (Global Village) की संज्ञा से अभिहित किया है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी के कारण दिन-प्रतिदिन दुनिया के लोग एक-दूसरे के निकट होते जा रहें हैं।

वेबलेन प्रभाव (Veblen Effect)

जब उपभोक्‍ता किसी वस्‍तु की गुणवत्‍ता उसकी कीमत के आधार पर निर्धारित करता है तो उसे “Veblen Effect” कहते हैं।

व्‍यापार शेष (Balance of Trade)

भुगतान संतुलन के चालू खाते का लेखा-जोखा व्‍यापार शेष (Balance of Trade) कहलाता है। इसके अंतर्गत चालू खाते के सिर्फ दृश्‍य व्‍यापार को ही शामिल किया जाता है।

विदेशी विनिमय भण्‍डार (Foreign Exchange Reserve)

किसी देश के पास उपलब्‍ध स्‍वर्ण और विदेशी मुद्राओं के भण्‍डार को विदेशी विनिमय भण्‍डार (Foreign Exchange Reserve) कहते हैं।

स्‍वीट शेयर (Sweet Shares)

स्‍वीट शेयरों (Sweet Shares) से तात्‍पर्य ऐसे शेयरों से है, जो कंपनी के कर्मचारियों या किसी अन्‍य को रियायती मूल्‍य पर आवंटित किए गए हों या फिर कोई प्रौद्योगि की अथवा बौद्धिक संपदा अधिकार कंपनी को उपलब्‍ध कराने या कोई अन्‍य मूल्‍य संवर्द्धन करने की एवज में नि:शुल्‍क या रियायती मूल्‍य पर कंपनी द्वारा उपलब्‍ध कराए गए हों। ”सेबी” (SEBI) ने विशेष श्रेणी के स्‍वीट शेयरों के लिए 3 वर्ष का ”लॉक इन पीरियड” (इन्‍हें किसी अन्‍य को इस अवधि में बेचा नहीं जा सकेगा) निर्धारित किया है।

संविभाग निवेश (Portfolio Investment)

वित्‍तीय विपत्रों में अंतर्राष्‍ट्रीय निवेश को संविभाग निवेश (Portfolio Investment) कहते हैं। दूसरे शब्‍दों में, जब एक देश के निवेशक दूसरे देश की कंपनियों के अंशों, ऋण पत्रों, बाण्‍डों तथा अन्‍य प्रतिभूतियों में धन लगाते हैं तो ऐसे निवेश को संविभाग निवेश कहा जाता है।

साख संकुचन (Credit Squeeze)

साख संकुचन (Credit Squeeze) का तात्‍पर्य है – कम मात्रा में ऋण वितरित करना। मुद्रा स्‍फीति की स्थिति रोकने के लिए केन्‍द्रीय बैंक द्वारा यह विधि अपनाई जाती है।

संयुक्‍त क्षेत्र (Joint Sector)

संयुक्‍त क्षेत्र (Joint Sector) में लगाए गए उद्योगों में सरकार व निजी क्षेत्र के उद्योगपतियों का संयुक्‍त दायित्‍व होता है।

सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector)

सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) उसे कहते हैं, जिसके अंतर्गत संसाधन सरकार के स्‍वामित्‍व में होते हैं।

सार्वजनिक ऋण :

किसी देश में सरकार द्वारा लिया गया ऋण सार्वजनिक ऋण या ”लोक ऋण” कहलाता है।

सॉफ्ट लोन (Soft Loan)

जिस ऋण को कम ब्‍याज और लम्‍बी अ‍वधि जैसी आसान शर्तों पर प्राप्‍त किया जाता है, उसे “Soft Loan” कहते हैं।

स्‍टेगफ्लेशन (Stagflation)

स्‍टेगफ्लेशन (Stagflation) अर्थव्‍यवस्‍था की उस स्थिति को कहा जाता है, जिसमें मुद्रा स्‍फीति के साथ-साथ मंदी की स्थिति भी होती है।

सेमी बोम्‍बला (Semi Bombla)

किसी देश के अर्थशात्रियों द्वारा तैयार किया गया प्रपत्र, जिसके द्वारा कालाधन, मुद्रा प्रसार, कीमत वृद्धि आदि आर्थिक समस्‍याओं को सुलझाने हेतु सुझाव होते हैं, “Semi Bombla” कहलाता है।

शुद्ध पुनरूत्‍पादन दर या शुद्ध प्रजनन दर (Net Reproduction Rate)

इसे कुजिंस्‍की की प्रजनन दी भी कहा जाता है। ”शुद्ध प्रजनन दर” (Net Reproduction Rate) वह दर है जिस पर किसी देश की महिला जनसंख्‍या अपने आपको प्रतिस्‍थापित करती है। यदि NRR=1 हो तो देश की जनसंख्‍या में स्थिरता की प्रवृत्ति होगी। यह दर 1 से अधिक होने पर जनसंख्‍या में वृद्धि होती है तथा 1 से कम होने पर जनसंख्‍या घटने की प्र‍वृत्ति पाई जाती है।

स्‍पेशल ड्राइंग राइट्स (Special Drawing Rights, SDR)

अंतर्राष्‍ट्रीयमुद्रा कोष के सदस्‍य देशों की मौद्रिक सम्‍पत्ति जो उनके अंतर्राष्‍ट्रीय रिजर्व का हिस्‍सा है, एसडीआर कहलाता है। दिसंबर, 1971 से अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के समस्‍त लेन-देन ”विशेष आहरण अधिकार” (SDR) के रूप में व्‍य‍क्‍त किए जाने लगे। 1 जनवरी, 1981 से SRD का मूल्‍य 5 सबसे बड़े निर्यातक देशों (U.S.Dollar, Mark, Yen, Franc & Pound Sterling) की ”बास्‍केट” के आधार पर निर्धारित किया जाने लगा। 1987 में 6 बिलियन SDR या 8 बिलियन डॉलर का एक कोष (The Enhanced Structural Adjustment Facility, ESAF) बनाया गया।

सस्‍ती मुद्रा (Cheap Money)

वह मुद्रा जिसे नीची ब्‍याज दर पर प्राप्‍त किया जा सकता है, सस्‍ती मुद्रा (Cheap Money) कहलाती है।

समपार्श्विक प्रतिभूति (Collateral Security)

समपार्श्विक प्रतिभूति (Collateral Security) ऋण की सुरक्षा के दृष्टिगत प्राथमिक प्रतिभूति के अतिरिक्‍त ऋणी से प्राप्‍त की जाती है।

सरकारी प्रतिभूति (Government Securityes)

सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securityes) में सरकारी प्रतिज्ञा पत्र, राष्‍ट्रीय बचत पत्र तथा राष्‍ट्रीय बचत योजना व वाहक बंधक पत्र आदि शामिल हैं।

स्‍मार्टकार्ड :

डाक विभाग द्वारा जारी ”स्‍मार्ट कार्ड” के माध्‍यम से खातेदार विभिन्‍न डाकघरों में अपने खाते में धन जमा कर सकते हैं।

सीमांत उत्‍पादकता व उपयोगगिता (Marginal Productivity and Utility)

जब उत्‍पादन के किसी साधन की एक अतिरिक्‍त इकाई के उपयोग से संपूर्ण उत्‍पादन में वृद्धि होती है तो उसे सीमांत उत्‍पादकता (Marginal Productivity) कहते हैं। दूसरी ओर, जब किसी वस्‍तु की एक अतिरिक्‍त इकाई के उपभोग से संपूर्ण उपयोगिता में वृद्धि होती है तो उसे सीमांत उपयोगिता कहते हैं।

स्‍वर्णमान (Gold Standard)

स्‍वर्ण में परिवर्तनशील हो सकने वाली किसी देश की प्रधान मुद्रा जिसका मूल्‍य सोने में मापा जाता है ”स्‍वर्ण मान” (Gold Standard) कहलाता है।

सूचकांक (Index Number)

किसी वस्‍तु के मूल्‍य में किसी आधार वर्ष या किसी अवधि की तुलना में हुए प्रतिशत परिवर्तन को दर्शाने वाले अंक को सूचकांक (Index Number) कहते हैं।

हालमार्क 

इसका संबंध स्‍वर्णाभूषणों की गुणवत्ता को मापना है।

हार्ड करेंसी (Hard Currency)

अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में जिस मुद्रा की पूर्ति की तुलना में लगातार मांग अधिक होती है। वह हार्ड करेंसी (hard Currency) कहलाती (प्राय: विकसित देशों की मुद्रा) है।

हीनार्थ प्रबंध (Deficit Financing)

जब सरकार का बजट घाटे का होता है अर्थात् आय कम होती है किन्‍तु व्‍यय अधिक होता है तो ऐसी स्थिति में व्‍यय के आधिक्‍य को सरकार केन्‍द्रीय बैंक से ऋण लेकर तथा पत्र मुद्रा निर्गमन आदि का सहारा लेकर पूर्ण करती है। इस व्‍यवस्‍था को ”घाटे की वित्‍त व्‍यवस्‍था” या हीनार्थ प्रबंधन कहा जाता है।

हॉट मनी (Hot Money)

वह विदेशी मुद्रा “Hot Money” कहलाती है, जिसमें शीघ्र पलायन कर जाने की प्रवृत्ति होती है तथा जिस स्‍थान पर अधिक लाभ मिलने की संभावना होती है, वह वहीं स्‍थानांतरित हो जाती है।

हायर परचेज (Hire Purchase)

जब कोई वस्‍तु मासिक या वार्षिक किश्त के आधार पर खरीदी जाती है तो इस विधि को “Hire Purchase” कहा जाता है।

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About the author

Nitin Gupta

My Name is Nitin Gupta और मैं Civil Services की तैयारी कर रहा हूं ! और मैं भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश से हूँ। मैं इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशील किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !!

मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है ! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

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