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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार भारत की मिट्टियों का विभाजन

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Written by Nitin Gupta

नमस्कार दोस्तो , आज की इस पोस्ट में हम आपको  भारत की मिट्टियों के बारे में जानकारी देने जा रहे है , जोकि प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा की द्रष्टि से उपयोगी है ! 

मिट्टी भूपटल के ऊपर पायी जानेवाली चट्टानों की असं‍गठित परत होती है जिसमें खनिज, लवण, जल तथा वायु का मिश्रण पाया जाता है। इसमें जैविक अवशिष्‍ट ह्यूमस भी पाये जाते हैं !

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार भारत में 8 प्रकार की मिट्टिीयां पायी जाती हैं, जिनमें नाइट्रोजन की सर्वाधिक कमी है।

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1.जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)

  • भारत के सर्वाधिक क्षेत्र पर जलोढ़ मिट्टी का विस्‍तार पाया जाता है। यह भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 24 प्रतिशत भाग (7.68 लाख वर्ग किमी) पर विस्‍तृत है।
  • जलोढ़ मिट्टी में पोटाश तथा कैल्शियम की प्रचुरता तथा नाइट्रोजन और ह्यूमस की कमी पायी जाती है।
  • जलोढ़मिट्टी मुख्‍यतया खादर एवं बांगर दो प्रकार की पायी जाती है। खादर नवीन तथा बांगर पुरातन जलोढ़ मिट्टी होती है।

2.काली मिट्टी (Black Soil)

  • काली मिट्टी को रेगुर (Regur) मिट्टी कहा जाता है। यह बेसाल्‍ट चट्टानों के विखण्‍डन और वि‍योजन से बनी मिट्टी है।
  • काली मिट्टी का विस्‍तार लगभग 5.18 लाख गर्व किमी क्षेत्र पर पाया जाता है। इसका सर्वाधिक विस्‍तार महाराष्‍ट्र राज्‍य में है।
  • काली मिट्टी महाराष्‍ट्र के अतिरिक्त उत्‍तरी कर्नाटक, उत्‍तरी आंध्रप्रदेश, मध्‍यप्रदेश के मालवा क्षेत्र, गुजरात के सौराष्‍ट्र क्षेत्र में पायी जाती है।
  • काली मिट्टी में लौह तत्‍व, एल्‍युमिनियम तथा कैल्शियम की अधिकता किन्‍तु नाइट्रोजन, फास्‍फोरस एवं जैविक पदार्थों की कमी पायी जाती है।
  • इस मिट्टी की जलधारण क्षमता अधिक होती है जो गीली होने पर चिपचीपी तथा सूखने पर दरारी हो जाती है।

3.लाल मिट्टी (Red Soil)

  • लाल मिट्टी का विस्‍तार 5.12 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर पाया जाता है। यह ग्रेनाइट तथा मीस चट्टानों के विखण्‍डन और वियोजन से बनी है।
  • लाल मिट्टी का सर्वाधिक विस्‍तार तमिलनाडु राज्‍य में है। यह यहां के 2/3 क्षेत्र पर विस्‍तृत है।
  • तमिलनाडुके अतिरिक्‍त यह मिट्टी छोटा नागपुर पठार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक राज्‍यों के पठारी क्षेत्रों पर विस्‍तृत पायी जाती है।
  • इस मिट्टी में लौह तत्‍व की अधिकता किन्‍तु नाइट्रोजन, फास्‍फोरस और ह्यूमस की कमी पायी जाती है।
  • इस मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होने के कारण इसमें मुख्‍यत: मोटे अनाज, दलहन और तिलहन की कृषि की जाती है।

4.लेटेराइट मिट्टी (Laterite Soil)

  • भारत में लेटेराइट मिट्टी का विस्‍तार 1.26 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर पाया जाता है। यह उष्‍णार्द्र जलवायु में विकसित होने वाली मिट्टी है।
  • यह मिट्टी भारत में मेघालय पठार, पश्चिमी तथा पूर्वी घाट क्षेत्र में प्रधानत: पायीजाने वाली मिट्टी है।
  • इस मिट्टी का निर्माण बाक्‍साइट चट्टानों के विखण्‍डन और वियोजन से होने के कारणयह एल्‍युमिनियम में प्रचुर तथा नाइट्रोजन, फास्‍फोरस तथा कैल्शियम की कमी से युक्‍त होती है।
  • लेटेराइट मिट्टी में मुख्‍यत: मोटे अनाज, दलहन एवं तिलहन की कृषि की जाती है।

5.पर्वतीय मिट्टी (Mountain Soil)

  • भारत में पर्वतीय मिट्टी लगभग 2.85 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर विस्‍तार से पायी जाती है।
  • पर्वतीय मिट्टी मुख्‍यत: हिमालय, पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट तथा प्रायद्वीपीय भारत के अन्‍य पर्वत श्रेणियों और पहाडि़यों पर विस्‍तृत है।
  • पर्वतीय मिट्टी में ह्यूमस की अधिकता किन्‍तु पोटाश, फास्‍फोरस, और चूना की कमी पायी जाती है।
  • पर्वतीय मिट्टी में चाय, कहवा, मसाला तथा फलों का उत्‍पादन किया जाता है।

6.मरू‍स्‍थलीय मिट्टी (Desert Soil)

  • भारत के उत्‍तरी पश्चिमी भाग के शुष्‍क एवं अर्द्धशुष्‍क प्रदेशों में परूस्‍थलीय मिट्टी लगभग 1.42 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर विस्‍तृत पायी जाती है।
  • यह मिट्टी मुख्‍यत: पश्चिमी राजस्‍थान, दक्षिणी पंजाब, दक्षिणी हरियाणा तथा उत्‍तरी गुजरात में पायी जाती है।
  • इस मिट्टी में नाइट्रोजन एवं फास्‍फोरस की कमी तथा कैल्शियम की अधिकता है। यह अनुपाजाऊ मिट्टी है जिसमें सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्रों में ज्‍वार, बाजरा इत्‍यादि मोटे अनाज की कृषि की जाती है।

7.लवणीय मिट्टी (Saline Soil)

  • लवणीय मिट्टी का विस्‍तार लगभग 1 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर राजस्‍थान, पंजाब, हरियाणा, उत्‍तरप्रेश तथा बिहार राज्‍य में पाया जाता है।
  • लवणीय मिट्टी अधिक सिंचाई वाले क्षेत्रों में विकसित हुई है। इसे पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में ‘रेह’ तथा पंजाब-हरियाणा में ‘कल्‍लर’ कहा जाता है।
  • इस मिट्टी में सोडियम लवणों की अधिकता पायी जाती है। यह अनुपजाऊ मिट्टी होती है।

8.पीट या दलदली मिट्टी (Peat Soil)

  • पीट या दलदली मिट्टी का भौगोलिक विस्‍तार लगभग 1 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर पायाजाता है। यह भारत के निम्‍न डेल्‍टाई क्षेत्रों में विकसित होने वाली मिट्टी है।
  • इस मिट्टी में जैविक पदार्थों की अधिकता पायी जाती है किन्‍तु ह्यूमसकी कमी होती है क्‍योंकि जल की अधिकता के कारण ह्यूमस निर्माता बैक्टिरिया का विकास नहीं हो पाता है।
  • यह अनुपजाऊ मिट्टी है सुन्‍दर वन डेल्‍टा क्षेत्र में जूट (पटसन)की कृषि की जाती है।

भारत में मृदा अपरदन ( Soil erosion in India )

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार भारत की 60% भूमि मृदा अपरदन की समस्‍या से ग्रस्‍त है।
  • भारत में चम्‍बल क्षेत्र अवनालिका अपरदन (Gullies Erosion) की समस्‍या से ग्रस्‍त है।
  • पश्चिमी राजस्‍थान, दक्षि‍णी पंजाब तथा दक्षि‍णी हरियाणा राज्‍य में वायु अपरदन की अधिकता है।
  • भारत के उत्‍तर-पूर्वी राज्‍य में जलीय अपरदन और झूम कृषि मृदा अपरदन का मुख्‍य कारण है।
  • हिमालय की तीनों श्रेणियों में शिवालिक मृदा अपरदन से सर्वाधिक ग्रस्‍त श्रेणी है।

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About the author

Nitin Gupta

My Name is Nitin Gupta और मैं Civil Services की तैयारी कर रहा हूं ! और मैं भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश से हूँ। मैं इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशील किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !!

मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है ! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

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