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दोस्तो , आज की पोस्ट में हम आपको राजव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ उपलब्ध कराने जा रहे हैं जिनमें से बहुत से Question आपके Exams में आ सकते हैं ! दोस्तो इस पोस्ट को हम दो पार्ट में उपलब्ध करा रहे हैं ! यह इसका पहला पार्ट है , आप इसे अच्छे से पढिये और याद कर लीजिये !
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Terms Related to Indian Constitution
नाजिज्म :
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिटलर की पार्टी के सदस्य जर्मनी में ”नाजी” के नाम से जाने जाते थे और नाजियों के द्वारा प्रचारित विचारधारा पूर्ण रूप से राष्ट्रवादी थी जो ”फासिज्म” में विश्वास करती थी और अपनी आर्यन जाति का सर्वश्रेष्ठ मानकर संसार में सर्वोपरि घोषित करती थी। फासिज्म व जाति का संयुक्त रूप ”नाजिज्म” (Nazism) कहलाता है।
न्यूक्लियर अम्ब्रेला :
परमाणु बम द्वारा युद्ध लड़े जाने की स्थिति में “Nuclear Umbrella” संरक्षा की गारंटी सदृश है।
नक्सलवादी (Naxalites)
हिंसा द्वारा समाज व राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन लाने (जैसा कि चीन के माउत्से तुंग की विचारधारा थी) की मंशा से सर्वप्रथम नक्सलवाड़ी, पश्चिम बंगाल में 1967 में चारू मजुमदार के नेतृत्व में किसानों व मजदूरों ने प्रयत्न किया था। यहीं से इस प्रकार का प्रयत्न करने वालों को ”नक्सलवादी” तथा इस व्यवस्था में विश्वास रखने की नीति को नक्सलवाद कहा जाता है। इनका विश्वास है कि –”क्रांति का अभ्युदय बंदूक की नली से होता है।”
न्यायिक विधि निर्माण :
विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों से भिन्न, ऐसे कानून जो किसी मामले विशेष की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश द्वारा दिए गए व्यवस्था के आधार पर बन जाते हैं।
निन्दा प्रस्ताव :
व्यवस्थापिका के सदस्यों को यह अधिकार होता है कि वो किसीभीमंत्री के कार्योंको अस्वीकृत करने या निन्दा करने का प्रस्ताव (Vote of Censure) सदन में प्रस्तुत करें और बहुमत मिलने पर पारित कर सकें। इससे मंत्रियों या प्रशासन पर नियंत्रण स्थापित करने में सरलता रहती है।
पॉलिटिकल सैबोटेज :
जब एक दल या सरकार दूसरे दल या सरकार को गुप्त रूप से नष्ट करने का प्रयत्न करती है, तो उसे “Political Sabotage” कहते हैं।
पंचायती राज :
स्थानीय स्वराज लाने के लिए, अपना विकास स्वयं करने के लिए तथा अपना न्याय स्वयं करने के लिए जो व्यवस्था प्रस्तुत की गई, उसे पंचायती राज कहते हैं।
प्रजातंत्र (Democracy)
अब्राहम लिंकन के शब्दों में “Government of the People, by the People, for the People” प्रजातंत्र है। यह वह राजनीतिक व्यवस्था है जिसमें मतदाता चुनाव के द्वारा अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं तथा चुने हुए प्रतिनिधि विधायिका में कानून बनाते हैं। इन निर्मित कानूनों द्वारा ही शासन चलाया जाता है।
पिंग पोंग डिप्लोमैसी :
यह कूटनीति साम्यवादी चीन से संबंधित है। इसके अंतर्गत चीन बाहरी देशों को जिनसे उसके संबंध अच्छे नहीं हैं, ”टेबल टेनिस” टूर्नामेंट के लिए आमंत्रित करता है और मित्रता संबंधों को बढ़ाता है। दूसरे शब्दों में, खेलों द्वारा राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति की कूटनीति को “Ping Pong Diplomacy” कहते हैं।
प्रोटोकॉल :
दो देशों के बीच कूटनीतिक आचरण के नियम को ”प्रोटोकॉल” कहते हैं।
प्रिवीपर्स :
स्वतंत्रता के पश्चात देशी रियासतें प्राप्त हुई थीं, तो उनके शासकों को सरकार द्वारा कुछ विशेष सुविधाएं तथा अनुदान देना स्वीकार किया गया था। इन सुविधाओं तथा अनुदानों को “Privy Purse” कहा जाता है।
प्रस्तावना :
किसी भी राष्ट्र के संविधान का आरंभिक परिचय प्रदान करने वाले भाग को प्रस्तावना (Preamble) कहते हैं। इसमें उस संविधान की भावना तथा उद्देश्यों का संक्षिप्त विवरण होता है।
प्रत्ययानुदान :
किसी राष्ट्रीय आपात के लिए धन की अप्रत्याशित मांग को पूर्ण करने के लिए (जिसका विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया जा सकता) सदन प्रत्ययानुदान के रूप में एकमुश्त धनराशि दे सकता है।
प्रभुत्व :
इस शब्द का प्रयोग अर्थात् “Hegemony” का प्रयोग नेतृत्व के संदर्भ में किया गया है। इसका आशय होता है कि किसी राष्ट्र का अन्य राष्ट्रों पर प्रबल प्रभाव।
प्रतिषेध :
प्रतिषेध (Prohibition) लेख सर्वोच्च या उच्च न्यायालय द्वारा अपने अधीनस्थ न्यायालयों को जारी की जाने वाली एक निषेधाज्ञा है, जिसके अंतर्गत यह आदेश दिया जाता है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर या कानून की प्रक्रिया के विरूद्ध कार्रवाई न करें। प्रतिषेध केवल न्यायिक और न्यायिक प्राधिकारियों के विरूद्ध जारी किया जा सकता है, प्रशासनिक प्राधिकारियों के विरूद्ध नहीं।
प्रतिनिहित विधान :
संसद के पास समय तथा विशेषज्ञता के अभाव के कारण वह केवल विधियों की मूल रूपरेखा बनाकर अन्य सीमाओं के भीतर विस्तृत नियम-विनियम सरकार पर ही छोड़ देती है। इसे प्रतिनिहित विधान अथवा अधीनस्थ विधान कहते हैं।
प्रत्यायुक्त विधान :
वह विधान जिसे अधिनियमित करने के लिए संसद द्वारा कार्यपालिका को अधिकार प्रदान किया हो, प्रत्यायुक्त (Delegated Legislation) कहलाता है।
पार्टीलेस प्रजातंत्र :
वह प्रजातंत्रीय व्यवस्था जिसमें एक राजनीतिक दल हो, ”पार्टीलेस प्रजातंत्र” (Partyless Demicracy) कहलाता है।
पोलित ब्यूरो :
साम्यवादी दल की सर्वोच्च सत्ता जो नीति निर्धारिण का कार्य करती है, “Polit Bureau” कहलाती है।
प्रजातांत्रिक समाजवाद :
उस व्यवस्था को प्रजातांत्रिक समाजवाद होता है, किन्तु सरकार की नीतियां, कार्य व विचारधारा समाजवाद पर केन्द्रित होती हैं। इस व्यवस्था में राजनीतिक न्याय, आर्थिक न्याय व सामाजिक न्याय प्रत्येक व्यक्ति को दिलाने का प्रयत्न प्रजातांत्रिक पद्धति से किया जाता है।
प्रत्यक्ष लोकतंत्र :
इस राजनीतिक व्यवस्था में प्रतिनिधित्व लोकतंत्र का निषेध किया जाता है। इस व्यवस्था में कोई भी कानून पारित करने अथवा किसी विषय पर निर्णय करने का अधिकार जनता को प्राप्त होता है न कि प्रतिनिधि को।
परमादेश :
परमादेश (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ होता है – ”हम आज्ञा देते हैं।” यह लेख किसी सार्वजनिक या अर्द्धसार्वजनिक निकाय के लिए जारी किया जाता है, जब वह अपने लोक प्रवृत्ति के किसी वैध कर्तव्य का पालन नहीं करता है। यह आदेश केवल सार्वजनिक पद पर कार्य करने वाले अधिकारियों या अन्य व्यक्तियों के विरूद्ध ही नहीं अपितु स्वयं सरकार तथा अधीनस्थ न्यायालयों न्यायिक संस्थाओं के विरूद्ध भी जारी किया जा सकता है।
प्रादेशिक समुद्र :
किसी राज्य की मुख्य भूमि से लगा हुआ और अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा मान्य समुद्री क्षेत्र प्रादेशिक समुद्र कहलाता है, जिस पर तटीय राज्य को कर, मत्स्य उद्योग, सुरक्षा, नौ संचालन आदि की दृष्टि से पूर्ण आधिपत्य होता है।
पॉवर पॉलिटिक्स :
उस राजनीति को ”पॉवर पाॅलिटिक्स” (Power Politics) कहते हैं जो कुछ व्यक्तियों द्वारा सत्ता हथियाने के लिए उपयोग में लाई जाती है।
प्रेशर ग्रुप :
दबाव (Pressure) या हित समूह से तात्पर्य शासकीय व्यवस्था के बाहर किसी भी ऐसे ऐच्छिक संगठित समूह से है जो शासकीय अधिकारियों की नियुक्ति या मनोनयन, सार्वजनिक नीतियों के निर्धारण, उनके प्रशासन एवं निर्वाचन तथा समझौता व्यवस्था को प्रभावित करने का प्रयास करता है।
पूरक बजट :
यदि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान संसद द्वारा प्राधिकृत (Sanctioned) धनराशि अपर्याप्त मालूम पड़े अथवा वर्ष के दौरान पूरक अतिरिक्त खर्च के लिए कोई ऐसी आवश्यकता उत्पन्न हो जाए, जिसके बारे में बजट के समय विचार न किया गया हो या किसी सेवा पर वित्तीय वर्ष के दौरान स्वीकृत धनराशि से अधिक खर्च हो गया हो, तो इन परिस्थितियों में खर्च हेतु राष्ट्रपति ”पूरक बजट” (Supplementary Demand for Grants) संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत कर सकता है।
प्रत्याव्हान :
कार्य-विधि से पूर्व असंतुष्ट मतदाताओं की निश्चित संख्या द्वारा प्रार्थना-पत्र के आधार पर निर्वाचित सदस्यों के कार्यकाल को समाप्त करने को प्रत्याव्हान (Re-call) कहा जाता है।
फ्लोर क्रॉसिंग :
किसी राजनीतिक दल के सदस्य जब संसद या विधानसभा में अपना दल त्याग कर विरोधी दल अथवा सत्तारूढ़ दल में शामिल हो जाते हैं, तो इसे “Floor Crossing” कहा जाता है।
फोर्थ वर्ल्ड (Forth World)
”फोर्ड वर्ल्ड” उन देशों को कहा जाता है, जो पेट्रोल निर्यात करने वाले देशों द्वारा कीमतें बढ़ाने के कारण ”आर्थिक संकट” में पड़ गए हैं। इनमें अधिकतर तृतीय विश्व (Third World) के अर्द्ध विकसित या विकासशील देश शामिल है। ये देश अब इस आर्थिक संकट के कारण अपने विदेशी ऋण चुकाने में कठिनाई का अनुभव कर रहे हैं।
फिफ्थ कॉलम :
किसी देश में अन्य देश के नागरिक गुप्त सूचनाएं प्राप्त करने अथवा नागरिकों में असंतोष उत्पन्न कर विद्रोह के लिए प्रेरित करते हैं। उन व्यक्तियों को ”फिफ्थ कॉलम” (Fifth Column) कहते हैं।
फोर्थ स्टेट :
”फोर्थ स्टेट” (Fourth State) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग एडमण्ड बर्क द्वारा किया गया था। इसका आशय ”प्रेस” (Press) से है।
फेबियन :
फेबियन (Fabian) एक प्रकार का विकासात्मक समाजवादी दर्शन है, जो 1884 में प्रत्यक्ष हुआ, जब कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा ”फेबियन सोसाइटी” का निर्माण किया गया। फेबियनवाद के अनुसार, प्राकृतिक संसाधनों के लाभों को प्राप्त करने का अधिकार समान एवं सबके लिए है। इस सिद्धांत के अनुसार भूमि एवं पूंजी पर राज्य का अधिकार होना चाहिए। उनका मत था कि धन का वितरण समान हो, जिससे आय की असमानता दूर किया जा सके। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का भी पक्षधर था।
फिलिबस्टर :
मतदान के प्रस्तुत किसी मुद्दे को निलंबित करने के लिए आवश्यकता से अधिक समय तक भाषण करने (जो लगभग अप्रासंगिक होता है) को “Filibuster” कहते हैं।
फासिज्म :
वह व्यवस्था या विचारधारा जिसमें राज्य को व्यक्ति से बड़ा माना जाता है और राज्य की रक्षा के लिए उसकी सब शक्तियां एक व्यक्ति में निहित कर दी जाती हैं, तो यह “Fasicism” कहलाती है।
बन्द :
समस्त शहर या राज्य या देश के व्यापारिक, औद्योगिक एक अन्य समस्त संस्थाओं को बंद करने का जो आव्हान किया जाता है।
बुर्जआ :
व्यापारी वर्ग, उद्योगपति वर्ग, जमींदार वर्ग जो कि सामंतों के बाद आते थे, मध्यम वर्ग के कहलाते थे, बुर्जुआ (Bourgeoise) कहलाते हैं। मजदूर वर्ग के साथ-साथ साम्यवादी भी इनसे घृणा करते रहें हैं।
बूट लेगिंग :
गैर-कानूनी तरीके से शराब बनाने तथा बेचने के कार्यों को “Boot Legging” कहा जाता है।
ब्रेन वाशिंग :
जब कोई समुदाय, राज्य अपने लोगों में वही विचार भरता है, जो उसकेहैं और लोगों के स्वतंत्र विचारों को नष्ट कर दिया जाता है, तब उसे “Brain Washing” कहते हैं।
बांस का पर्दा :
चीन की साम्यवादी सरकार के नियंत्रणें तथा प्रतिबंधों को बांस का पर्दा (Bamboo Curtain) कहते हैं। इसके चलते वहां के नागरिकविदेशोंमें आ-जा नहीं सकते हैं तथा अपनीव देश की कोई बात बाहर नहीं कह सकते हैं।
बंदी प्रत्यक्षीकरण :
बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) का शाब्दिक अर्थ है कि ”शरीर को हमारे समक्ष प्रस्तुत करो।” यह ”रिट” एक आदेश के रूप में होता है जिसमें उस व्यक्ति को जिसने किसी अन्य व्यक्ति को बंदी बनाया है, यह आदेश दिया जाता है कि वह उसे न्यायालय के समक्ष सशरीर प्रस्तुत करे जिससे न्यायालय यह जान सके कि उसे क्यों बंदी बनाया गया है तथा यदि बंदी रखने का विधिक औचित्य नहीं है तो उसे मुक्त कर सके। इस लेख की (Writ) अवज्ञा पर न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।
बायकॉट :
किसी व्यक्ति, सभा, दल, सरकार का बहिष्कार करना “Boycott” कहलाता है।
बोल्शेविज्म :
रूस की क्रांतिकारी साम्यवादी विचारधारा जिसके प्रभावसे रूस में लेनिन के नेतृत्व में 1917 की ”बोल्शेविक क्रांति” हुई थी, “Bolshevism” कहलाती है।
मध्यम मार्गीय :
अति उग्र विचारों का न होकर जब कोई व्यक्ति या दल उसकेविपरीत विचारधारा का पोषण करते हैं, तो मध्यम मार्गीय (Centrist) कहलाते हैं। फ्रांसीसी क्रांतिकाल में व्यवस्थापिका के उग्र एवं उदार विचारों वाले सदस्यों के मध्य में और अध्यक्ष के सामने बैठने वाले सदस्यों को भी यह संज्ञा दी जाती थी।
मार्क्सवाद (Marxism)
कार्ल मार्क्स (1818-83) द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक समाजवाद के सिद्धांत को मार्क्सवाद कहते हैं। इसके अंतर्गत मार्क्स ने यह प्रतिपादित किया कि समाज के विकास में आर्थिक संबंध सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। मार्क्स के अनुसार अब तक ये समस्त मानव समाज का इतिहास ”वर्ग संघर्ष” का इतिहास रहा। मार्क्स के अनुसार पूंजीवादी व्यवस्था में एक निश्चित सीमा तक शोषण बढ़ जाने के पश्चात् श्रमिक क्रांति के द्वारा पूंजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकते हैं।
मास कम्यूनिकेशन :
सामूहिक संचार अथवा जनसंपर्क वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सूचनाएं अथवा जानकारी संचार माध्यमों जैसे रेडियो, दूरदर्शन, प्रेस आदि के द्वारा जनता (Mass) तक पहुंचाई जाती है।
मोनार्की :
इस शासन व्यवस्था में सरकार का प्रमुख वंशानुगत होता है। ऐसे राज्य का राज्याध्यक्ष जीवनपर्यंत शासन करता है और उसकी मृत्यु के बाद उसकी संतानों का ही उस पद पर अधिकार होता है।
मैनीफेस्टो :
किसी राजनीतिक दल द्वारा चुनाव के पूर्व अपने कार्यों तथा कार्यक्रमों का घोषणा-पत्र मैनीफेस्टो कहलाता है।
मैन्डेट :
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् राष्ट्र संघ द्वारा औपनिवेशिक प्रदेशों के प्रशासन हेतु अपनाई गई व्यवस्था जिसके अंतर्गत विकसित राष्ट्रों को उपनिवेशों के प्रशासन और विकास का उत्तरदायित्व सौंपा गया।
युवा तुर्कस् :
किसी दल के उन युवकों को कहते हैं जो दल की पिछड़ी नीतियों के विरूद्ध विद्रोह करते हैं।
यूथेनेशिया :
किसी व्यक्ति को किसी ठीक न होने वाले रोग, दु:ख व दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए जानबूझकर मार देने के नियम, कानून या व्यवस्था को यूथेनेशिया कहा जाता है।
राष्ट्रीयकरण :
किसी राष्ट्र की सरकार कोई सेवा या उद्योग निजी क्षेत्र से छीनकर अथवा कोई उद्योग प्रारंभ करके सार्वजनिक हित में स्वयं चलाती है, तो सरकार को ऐसा करना उस सेवा या उद्योग का राष्ट्रीयकरण करना कहलाता है।
रिप्रैट्रिएशन :
स्वदेश वापसी की प्रक्रिया को “Repatriation” कहा जाताहै, विशेषतया युद्धबंदियों का स्वदेश वापस आना ”रिप्रैट्रिएशन” कहलाता है।
राइटिस्ट :
ऐसे रूढि़वादी लोग जो समाजवादव साम्यवाद में विश्वास नहीं करते हैं तथा राष्ट्रवादी होते हैं,”Rightist” कहलाते हैं। इनको ”प्रतिक्रियावादी” भी कहा जाता है।
लाल फीताशाही :
जब किसी सरकारी कार्यालय द्वारा किसी कार्य के कार्यान्वयन में बिना वजह देरी की जाती है, जिससे उस कार्य का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है, तो इसे ”लाल फीताशाही” (Red Tapism) कहा जाता है।
लेम डक सेशन (Lame Duck Session)
यह व्यवस्थापिका का वह सत्र है जब नई व्यवस्थापिका का चुनाव हो गया हो, किन्तु पुरानी व्यवस्थापिका अपनी अंतिम बैठक कर रही हो। वस्तुत: ”लेक डक” व्यवस्थापिका के उन सदस्यों को कहते हैं जो नई व्यवस्थापिका में पुननिर्वाचित न हो सके हों।
लेखानुदान :
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार किसी बजट प्रावधान या कर प्रस्ताव पर बहस के लिए संसद को पूर्ण अवसर प्रदान करती है। बजट पारित होने के पहले यह आवश्यक है कि सरकार देश को चलाने के लिए अपने पास पर्याप्त धन रखे। यह एक विशेष प्रावधान के अंतर्गतकिया जा सकता है।, जिसे ”लेखानुदान” (Vote on Account) कहा जाता है। संविधान के ”अनुच्छेद 116” के अंतर्गत ”लेखानुदान” लोकसभा को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह बजट न पारित होने तक के लिए अग्रिम धन ले सकता है। सामान्यतया लेखानुदान दो माह की अवधि के लिए पारित किया जाता है। परन्तु , चुनाव वर्ष में यह अवधि 4 माह तक हो सकती है। यह लेखानुदान सरकार के ”संचित निधि” से लिया जाता है।
लोक कल्याणकारी राज्य :
लोक कल्याणकारी राज्य (Welfare State) अथवा सरकार का मूल उद्देश्य लोक कल्याण करना होता है। इसकी सभी नीतियां संपूर्ण वर्ग के विकास के उदेद्श्य से निर्मित होती हैं।
विभक्ति :
जब एक ही दल के लोग मतभेदों अथवा हितों के आधार पर अलग होकर दो या अधिक भागों में बंट जाते हैं तो विभाजन या विभक्ति (Split) कहते हैं।
व्यक्तित्व की लहर :
किसी देश के लोग जब किसी व्यक्ति का अत्यधिक सम्मान व पूजा करने लगते हैं तो उसे व्यक्ति की लहर या ”Personality Cult” कहते हैं।
वयस्क मताधिकार :
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में उस देश के प्रत्येक वयस्क नागरिक का सक्रिययोगदान अनिवार्य माना जाता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत देश के वयस्कों को मताधिकार का अधिकार प्राप्त होता है। इसमें जाति, धर्म, वर्ण एवं लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता अर्थात् वे बिना किसी भेदभाव के मताधिकारका प्रयोग कर सकते हैं और एक स्वस्थ सरकार के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। भारत तथा अमेरिका में वयस्क आयु 18 वर्ष निर्धारित है।
विधि का शासन :
इसका अर्थ होता है कि संबंधित राज्य में कोई व्यक्ति या संस्था सर्वोच्च नहीं है अपितु विधि सर्वोच्च है। इस प्रकार के शासन में सभी व्यक्ति कानून के समक्ष समान होते हैं तथा उन्हें कानून का समान संरक्षण प्राप्त होता है।
संसद का आवहान करना :
जब किसी निश्चित तिथि तथा समय पर राष्ट्रपति संसद को बुलाना या संसद का आह्वान करना (Summoning of Parliament) कहते हैं। संसद के सभी सदस्यों को उसका आदेश भेजा जाता है और उन्हें अधिवेशन में भाग लेने के लिए आमंत्रितकिया जाता है।
सत्रावसान :
राष्ट्रपति के एक आदेश द्वारा संसद के अधिवेशन के समापन को सत्रावास (Prorogation) कहते हैं। राज्यपाल द्वारा विधानमण्डल के अधिवेशन को समाप्त करना भी सत्रावसान कहलाता है।
सदन का स्थगन :
संसद के प्रत्येक सदन के अध्यक्ष को सदन को अनिश्चित काल तक स्थगित करने की शक्ति प्राप्त है। स्थगन के बाद सदन की पुन: बैठक बुलाने की शक्ति भी अध्यक्ष को है।
सचेतक (Whip)
एक प्रकार का अवाश्यक निर्देश है, जो दलीय अनुशासन के लिए प्रयुक्त होता है। किसी भी संसद अथवा विधानमण्डल या अन्य समानांतर संस्था में जब किसी दल विशेष का नेता अपने दल के सभी सदस्यों को किसी विशेष का नेता अपने दल के सभी सदस्यों को किसी विशेष परिस्थिति में एकत्रित होने के लिए आदेश जारी करता है तो उसे ”व्हिप” कहा जाता है। ”व्हिप” जारी करने पर संबंधित दल का सदस्य उसका उल्लंघन करता है तो वह ”दल बदल निरोधक कानून” के तहत दल से निष्कासित भी किया जा सकता है।
समाजवाद (Socialism)
व्यक्तिवाद तथा पूंजीवाद के विपरीत व्यवस्था समाजवाद है। जिस राजनीतिक-प्रशासनिक सिद्धान्त के अंतर्गत व्यक्ति की अपेक्षा संपूर्णसमाज के विकास का आधार बनाया जाता है उसे समाजवाद कहते हैं। इसका आदर्श है – समाज मे समानता उत्पन्न करना, किन्तु यह वर्गों के अस्तित्व को भी स्वीकार करता है। यह राजनीतिक और प्रशसनिक सिद्धान्तों में सर्वोत्तम है, क्योंकि इसमें न तो पूंजीवाद व्यवस्था की भांति व्यक्ति हावी रहता है और न ही साम्यवाद की भांति व्यक्ति हावी रहता है और न ही साम्यवाद की भांति आर्थिक विकास पर सरकार का पूर्णनियंत्रण रहता है।
सार्वभौमिक मताधिकार :
जब किसी लोकतांत्रिक देश में एक निश्चित आयु प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को जाति, धर्म, भाषा, संस्कृति, लिंग आदि के भेदभाव के बिना मनदान का अधिकार दिया जाता है, तो उसे सार्वभौमिक मताधिकार कहते हैं।
संचित निधि :
भारतीय संविधान के ”अनुच्छेद 266” के अंतर्गत भारत की ”संचित निधि” (Consolidated Fund) का उपबंध है। इस निधि में करों, ऋणों, अग्रिम राशियों आदि द्वारा सराकर को प्राप्त सभी राजस्व(Revenue) जमा किये जाते हैं। इस निधि से धनराशि संसद द्वारा पास किए जाने वाले विनियोग अधिनियम द्वारा ही निकाली जा सकती है।
सांविधानिक सरकार :
संविधान के उपबंधों द्वारा सीमित तथा संविधान के प्रावधानों के अनुकूल चलाई जाने वाली सरकार को संविधानिक सरकार कहते हैं।
समाजवादी ढंग का समाज :
समाज के उस ढांचे को ”समाजवादी ढंग का समाज” (Socialistic Pattern Of Society) कहते हैं, जिसमें समाजवाद अपनाया जाएगा और प्रत्येक व्यक्ति व वर्ग में समानता लाई जाएगी
सर्वोदय (Sarvodaya)
सबके कल्याण के दर्शन को ”सर्वोदय” कहते हैं। अभिप्राय यह है कि कोई राजनीतिक मान्यता स्थापित की जाती है, जिसमें किसी भी देश या समाजके सभी लोगों के कल्याण को आधार बनाया जाता है। समाज में अहिंसा और शांति पर आधारित आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन लाना सर्वोदय का सिद्धान्त है।
स्टार्स एण्ड स्ट्राइप्स :
यह अमेरिकी झण्डे का नाम है।
शक्ति पृथक्करण :
शासन की शक्तियों का व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के मध्य सुस्पष्ट विभाजन और किसी इकाई के द्वारा अन्य के कार्यों में हस्तक्षेप न किया जाना शक्ति पृथक्करण (Separation Of Powers) कहलाता है।
श्रम संघवाद :
समाजवाद का एक प्रकार जिसके अनुसार सभी उघोगों का स्वामित्व और नियंत्रण संघों के पास होना चाहिए। प्रारंभिक रूप से यह विचारधारा 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में फ्रांस में विकसित हुई। प्लूटियर तथा सोरेल इसके मुख्य प्रतिपादक थे।
स्नैप पोल :
जब राष्ट्रपति द्वारा संसद को अथवा राज्यपाल द्वारा विधानमण्डल को अचानक भंग कर दिया जाता है और थोड़े समय के नोटिस पर ही चुनाव करा दिए जाते हैं, तो ऐसे चुनावों को ”Snap Poll” कहते हैं। 1971में लोकसभा का भंग होना तथा विधानसभाओं का अक्सर मुख्यमंत्री की सलाह पर भंग किया जाना और चुनाव कराना ”स्नैप पोल” के उदाहरण हैं।
सीमित राजतंत्र :
यह शासन की वह प्रणाली है, जिसमें सम्राटया सम्राज्ञी केवल नाममात्र का शासक रह जाए। इसे ”सांविधानिक राजतंत्र” भी कहते हैं। इसमें वास्तविक शासन जनता के प्रतिनिधियों के हाथ रहती है।
सह-अस्तित्व :
जब दो देशों की शासन व्यवस्था, धर्म, सभ्यता, विचारधारा, अर्थव्यवस्था, निहित स्वार्थआदि भिन्न हों और वे परस्पर एक-दूसरे देश का अस्तित्व स्वीकार करते हों तो उसे सह-अस्तित्व (Co-existance) कहा जाता है।
संकल्प :
सार्वजनिक हित से जुड़ा हुआ मामला किसी सदस्य द्वारा सदन में चर्चा के लिए संकल्प एक प्रक्रियागत उपाय है। संकल्प मूल प्रस्ताव के रूप में सिफारिश की घोषणा संदेश देने, स्थिति की ओर आकृष्ट करने तथा निवेदन के रूप में होता है।
समग्र क्रांति (Total Revolution)
जय प्रकाश नारायण द्वारा समाज में नई चेतना द्वारा हर स्तर पर तेजी से सुधार करना है। दूसरे शब्दों में, ऐसे प्रयत्न करने होंगे जिनके द्वारा राजनीतिक स्वतंत्रता, आर्थिक न्याय तथा सामाजिक सम्मान हर व्यक्ति को समाज में प्राप्त हो सके।
साम्राज्यवाद :
जब किसी देश द्वारा अपने राज्य क्षेत्र के विस्तार की नीति अपनायी जाती है, तो वह नीति ”साम्राज्यवाद” (Imperialism) की नीति कहलाती है। इस नीति के अंतर्गत वह किसी अन्य देश को आक्रमण द्वारा परास्त करता है। उस देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों में हस्तक्षेप कर उस देश का शोषण करता है।
सामंतवाद :
इस राजनीतिक व्यवस्था के अंतर्गत राजा अपने वफादार राजभक्तों को राज्य की सेवा के बदले में राज्य की भूमि को अनुदान स्वरूप देता था। अनुदान प्राप्त करने वाले राजभक्त अपने वफादारों के लिए भूमि निर्धारित करते थे। राजा बड़े सामांतों से भूमि के लिए लगान वसूली करता था, जबकि बड़े सामंत छोटे सामंतों से तथा छोटे सामंत किसानों का निर्दयतासे शोषण करते थे।
संघीय राज्य :
जब छोटे-छोटे इकाई राज्य मिलकर एक इकाई राज्य की स्थापना इस प्रकारकरते हैं कि कुछ सम्मिलित कार्य नवनिर्मित राज्य को सौंप देते है तथा शेष कार्यों के लिए वे स्वतंत्र रहते हैं, तो इसे ”संघीय राज्य” (Federal State) कहा जाता है।
सर्वहारा :
वह वर्ग जिसके पास वैयक्ति संपत्ति बिल्कुल नहीं है तथा जो अपने श्रम को बेचकर जीवन यापन करता है, ”सर्वहारा वर्ग” (Proletariat Class) कहलाता है।
सामूहिक उत्तरदायित्व :
संसदीय शासन प्रणाली की यह एक महत्वपूर्ण विशेषता है। मंत्रिमंडल के सभी सदस्य सामूहिक रूप से सरकार के प्रत्येक निर्णय और कार्य के लिए उत्तरदायी होते हैं। यदि उनकी नीतियों को संसद का समर्थन प्राप्त नहीं होता तो संपूर्ण मंत्रि परिषद को त्याग पत्र देना पड़ता है।
हंग पार्लियामेंट :
ऐसी संसद जिसमे किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो लंबित अथवा ”हंग पार्लियामेंट” (Hung Parliament) कहलाती है। ऐसी स्थिति में दल-बदल को बढ़ावा मिलने की संभावना रहती है तथा स्थायी सरकार नहीं बन पाती।
हॉट लाइन :
जब दो देशों के नेता आपस में प्रत्यक्ष रूप से संपर्क करके बातचीत करते हैं या उच्च स्तरीय बातचीत का प्रबंध करते हैं, ताकि एक-दूसरे की भावना या नीयत समझने में त्रुटि न हो जिससे भविष्य में भयंकर परिणाम न हों, इस दूरभाषा व्यवस्था को ”हॉट लाइन” कहते हैं।
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