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राजव्‍यवस्‍था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ Part -2 ( Most Important Terms of Polity Part – 2 )

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Written by Nitin Gupta

नमस्कार दोस्तो , स्वागत है हमारी बेबसाइट पर 🙂 

दोस्तो , आज की पोस्ट में हम आपको राजव्‍यवस्‍था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ उपलब्ध कराने जा रहे हैं जिनमें से बहुत से Question आपके Exams में आ सकते हैं ! दोस्तो इस पोस्ट को हम दो पार्ट में उपलब्ध करा रहे हैं ! यह इसका दूसरा और अंतिम पार्ट है , आप इसे अच्छे से पढिये और याद कर लीजिये !

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Most Important Terms of Polity

अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था :

ऐसी लोकतंत्रीय शासन प्रणाली, जिसमें राज्‍य का प्रधान अर्थात् ”Head of the state” और शासन का प्रधान ”Head of the Government” एक ही होता है, उसे अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था(Presidential system) कहा जाता है। इस व्‍यवस्‍था में अध्‍यक्ष(राष्‍ट्रपति) का कार्यकाल निश्चित होता है और जिसमें अध्‍यक्ष (राष्‍ट्रपति) अपने कार्यों के लिए व्‍यवस्‍थापिका के प्रति नहीं, अपितु जनता के प्रति उत्‍तरदायी होता है।

अधिनायक तंत्र :

इस तंत्र में सारी सत्‍ता शक्ति व्‍यक्ति विशेष में केन्द्रित होती है। इसे निरंकुश शासन तंत्र से भी अभिहित किया जाता है। य‍ह किसी व्‍यक्ति अथवा दल या सेना द्वारा सत्‍ता संभालने की राजनीतिक प्रक्रिया है, इसमें नागरिकों के अधिकार सीमित कर दिए जाते हैं। अधिनायक तंत्र को अग्रेंजी में ”Dictatorship” कहा जाता है।

अराजकता एवं अराजकता वाद :

अराजकता का सर्वसामान्‍य अर्थ ”अव्‍यवस्‍था” है। ऐसे देश में जहां कोई सरकार नहीं होती अथवा होने पर भी कानूनका शासन नहीं होता, अराजकता की स्थिति पैदा हो जाती है। अराजकतावाद (Anarchism) एक ऐसा राजनीतिक सिध्‍दांत है, जिसके समर्थक राज्‍य विहीन समाज की स्‍थापना करना चाहते हैं। इस सिध्‍दांत को अराजकता की संज्ञा दी जाती है।

अलगाववाद :

अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ”अलगाववाद” (Isolationism) का तात्‍पर्य है – अन्‍य देशों से राजनीतिक और कूटनीतिक मसलों पर किसी देश द्वारा( प्रथम विश्‍व युध्‍द के पूर्व संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका द्वारा इस नीतिका अनुसरण किया गया) अपने को अलग या पृथक रखने की नीति। दूसरी ओर, राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसका तात्‍पर्य- राष्‍ट्र की एकता व अंखण्‍डता के विरूध्‍द जाने का प्रयत्‍न करना है।

अल्‍टीमेटम :

जब किसी पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को यह चेतावनी दी जाती है कि यदि निश्चित अवधि में उसकी मांग पूर्ण न की गई तो अगला कदम उठाया जा सकता है। इसे ही ”अल्‍टीमेटम”(Ultimatum) कहा जाता है।

ऑस्‍टोपोलिटिक :

यह नीति पश्चिमी जर्मनी द्वारा अपनाई गई। इस नीति के अंतर्गत पहले उसने साम्‍यवादी देशों से शीत युध्‍द छेड़ा। तत्‍पश्‍चात् उनसे मित्रवत् संबंध कायम करने की दिशा में कदम बढ़ाए।

प्रश्‍नकाल (Question Hour) :

साधारणतया विधायिका का सत्र प्रश्‍नकाल से प्रारंभ होता है। संसद के दोनों सदनों की प्रत्‍येक बैठक के आरंभ में एक घण्‍टे तक सदस्‍यों द्वारा मंत्रियों से प्रश्‍न पूछे जाते हैं तथा उनके उत्‍तर दिए जाते हैं, उसे प्रश्‍नकाल कहा जाता है। भारत में 11 बजे से 12 बजे दोपहर तक के एक घण्‍टे का समय प्रश्‍नकाल का होता है।

पूरक प्रश्‍न (Supplementary Questions) :

प्रश्‍नकाल में जिस समय कोई मंत्री उत्‍तर देता है, उसी के तुरंत बाद सदस्‍यगण मुख्‍य प्रश्‍न से संबंधित अन्‍य प्रश्‍न पूछ सकते हैं, जिन्‍हें पूरक प्रश्‍न कहा जाता है।

तारांकित प्रश्‍न (Starred Questions) :

संसद सदस्‍यों द्वारा सदन में मंत्रियोंसे पूछे गए इस श्रेणीके प्रश्‍नों का उत्‍तर मंत्रियों द्वारा ”मौखिक” रूप से दिया जाता है तथा सदस्‍य द्वारा उस संबंधमें पूरक प्रश्‍न भी पूछे जा सकते हैं।

अतारांकित प्रश्‍न :

संसद सदस्‍यों द्वारा सदन में मंत्रियों से पूछे गए इस प्रकार के प्रश्‍नों का ”लिखित” उत्‍तर दिया जाता है तथा जिनके संबंध में पूरक प्रश्‍न नहीं पूछे जा सकते।

अध्‍यादेश

जब व्‍यवस्‍थापिका का अधिवेशन न चल रहा हो तथा किसी आपात स्थिति का मुकाबला करने के लिए राज्‍य प्रमुख द्वारा जारी कियागया संविधानिक आदेश ”अध्‍यादेश” (Ordiance) कहलाता है। यह निश्चित अवधिके लिए होता है तथा इसे मानने के लिए बाध्‍यता होती है।

आयरन करटेन

यह शब्‍द प्राय: साम्‍यवादी देशोंके लिए प्रयुक्‍त होता है, क्‍योंकि इन देशों में अनेक प्रतिबंध जैसे कि, नागरिक स्‍वतंत्रता पर रोक आदि होती है।

ऑम्‍बुड्समैन :

इस शब्‍द का प्रयोग स्‍वीडिश राज व्‍यवस्‍था में प्रयोग उस सतर्कता अधिकारी के लिए किया जाता है, जो सरकार की गतिविधियों पर निगरानी रखने के अतिरिक्त सरकार के विरूद्ध जन-सामान्‍य की शिकायतों पर सुनवाई करता है।

अधिहनन :

एक देश जब किसी अन्‍य देश की भूमि अथवा किसी ऐसे क्षेत्र पर जिस पर किसी का अधिकार न हो, अपना आधिपत्‍य कर लेता है तो यह प्रक्रिया अधिहनन (Annexation) कहलाती है। यह तात्‍कालिक व एकपक्षीय कार्यवाही के अंतर्गत आती है।

अधिकार-पृच्‍छा :

यह प्रलेख (आदेश) न्‍यायालय द्वारा ऐसे व्‍यक्ति के विरूद्ध जारी किया जाता है जो किसी सार्वजनिक पद का दावा करताहै अथवा उसे हड़प लेता है। इसके माध्‍यम से न्‍यायालय यह जाँच करता है कि व्‍यक्ति किस अधिकार के अंतर्गत अपने दावे का समर्थन करता है।

अनुषंगी प्रस्‍ताव :

विभिन्‍न प्रकार के कार्यों की आगे की कार्यवाही के लिए नियमित उपाय के रूप में सदन की प्रथा द्वारा मान्‍यता दी जाती है। ये सहायक प्रस्‍ताव के रूप में विधेयक पर चर्चा, प्रवर या संयुक्‍त समिति को सौंपने, विधेयक पारित किए जाने के संबंधित होते हैं, इन्हें अनुषंगी प्रस्‍ताव (Anciliary Motions) कहा जाता है।

अनिर्धारित प्रस्‍ताव :

अध्‍यक्ष द्वारा जिस प्रस्‍ताव को बहस के लिए स्‍वीकार किया जाता है, किन्‍तु बहस के लिए कोई दिन या तिथि निर्धारित नहीं किया गया है, वह अनिर्धारित प्रस्‍ताव (No Day-yet-Named Motion) कहलाता है।

अल्‍पसूचना प्रस्‍ताव :

संसद का कोई सदस्‍य सार्वजनिक महत्‍तव तथा अविलम्‍बनीय मामले पर मौखिक उत्‍तर हेतु 10 दिन से कम समय की सूचना दे सकता है। सामान्‍यतया प्रश्‍न पूछने हेतु सूचना की न्‍यूनतम अवधि 10 दिन होती है।

अनुदान मांगें:

संचित निधि पर भारित व्‍यय से संबंधित अनुमान संसद में मतदान के लिए नहीं रखे जाते। अन्‍य अनुमानों को लोकसभा के सामने अनुदानों की मांगों के रूप मे रखा जाता है और लोकसभा किसी मांग को स्‍वीकार या अस्‍वीकार कर सकती है।

अनुपूरक, अतिरिक्‍त या अधिक अनुदान :

विनियोग विधेयक के अंतर्गत किसी विशिष्‍ट सेवा पर चालू वित्‍तीय वर्ष के लिए व्‍यय किए जाने हेतु प्राधिकृत कोई रकम अपर्याप्‍त पायी जाती है या उस वर्ष के वार्षिक वित्‍तीय विवरण में छूट गयी किसीनई सेवा पर अनुपूरक या अतिरिक्‍त व्‍यय की चालू वित्‍तीय वर्ष के दौरान आवश्‍यकता पैदा हो गयी हो अथवा किसी वित्‍तीय वर्ष के दौरान किसी सेवा पर, उस वर्ष और उस सेवा के लिए अनुदान की गयी रकम से अधिक कोई धन व्‍यय हो गया हो, तो ऐसी मांगों को अनुपूरक, अतिरिक्‍त या अधिक अनुदान की मांगों के रूप में रखा जाता है।

ग्‍लासनोस्‍त और प्रेरेस्‍त्रोइका (Glasnost and Perestroika)

सोवियत संघ में 1985 से 1990 का काल ग्‍लासनोस्‍त और प्रेरेस्‍त्रोइका का काल था। तत्‍कालीन सोवियत राष्‍ट्रपति मिखाइल गोर्बाच्‍योव द्वारा प्रयुक्‍त ”ग्‍लास्‍नोस्‍त” का अर्थ होता है – खुलापन (Openness) इस शब्‍द का प्रयोग प्रति‍बंधित सोवियत समाज और अथव्‍यवस्‍था को ज्‍यादाअंत:क्रियात्‍मक (Interactional) स्‍वतंत्रता दिए जाने के संदर्भ में किया गया। तत्‍कालीन सोवियत नेता गोर्बाच्‍योव द्वारा प्रयुक्‍त ”प्रेरेस्‍त्रोइका” का शब्दिक अर्थ होता है – पुनर्रचना (Restructuring)। इसका प्रयोग सोवियत समाज में खुलापन लाकर पुनर्रचित करने के संबंध में किया गया।

अपवादानुदान :

अपवादानुदान वित्‍तीय वर्ष के साधारण खर्च का भाग नहीं होता। यह सरकार को विशेष प्रयोजन हेतु अपवादानुदान के रूप में निश्चित धनराशिसदन द्वारा जाती है।

आकस्मिकता निधि :

भारतीयसंविधान के ”अनुच्‍छेद-267” के अंतर्गत ”भारत की आकस्मिकता निधि” के नाम से एक कोष स्‍थापित करती है, जिसमें विधि द्वारा अवधारित राशियां समय-समय पर जमा की जाती है। इस कोष को आकस्मिक व्‍यय हेतु राष्‍ट्रपति के व्‍ययाधीन रखा जाता है।

अंत:स्‍थ राज्‍य :

दो बड़े राष्‍ट्रों के बीच जब एक छोटे राष्‍ट्र को स्‍थापित व परिरक्षित किया जाता है, जो कि दोनों राष्‍ट्रों के प्रत्‍यक्ष टकराव को सुरक्षा कवच प्रदान करता है। इस प्रकार का राष्‍ट्र अंत:स्‍थ राज्‍य (Buffer State) कहलाता है।

आधे घण्‍टे की चर्चा:

संसद का कोई सदस्‍य जब ऐसा महसूसकरता है कि तारांकित प्रश्‍न या अतारांकित प्रश्‍न या अल्‍पसूचनाप्रश्‍न पर प्राप्‍त उत्‍तर में अपेक्षित जानकारी नहीं है या तथ्‍यों के स्‍पष्‍टीकरण की आवश्‍यकता है तब अध्‍यक्ष/सभापति सदन के सदस्‍यों को आधे घण्‍टे चर्चा करने की अनुमति प्रदान कर सकता है।

अल्‍पकालीन चर्चाएं :

किसी गैर-सरकारी सदस्‍य द्वारा उठाए गए अविलम्‍बनीय सार्वजनिक महत्‍व के केन्‍द्र सरकार से संबंधित मामले पर अध्‍यक्ष अल्‍पकालीन चर्चा के लिए बैठक की समाप्तिपर या उसके पूर्व एक घण्‍टे का समय नियत कर सकता है। इस प्रकार की सूचना ग्राह्य करेन के बाद दिन निश्चित कर चर्चा के लिए उसे कार्य सूची में दर्ज कर लिया जाता है।

आनुपातिक प्रति‍निधित्‍व (Proportional Representation)

आनुपातिक प्रतिनिधित्‍व एक प्रकार की निर्वाचन पद्धति है, जिसमें प्राप्‍त मतों के अनुपात में किसी राजनीतिक दल को व्‍यवस्‍थापिका में स्‍थान प्रदान किए जाते हैं। इस पद्धति में यह भी सुनिश्चित किसी जाता है कि निर्वाचितव्‍यक्तियों की संख्‍या मतदान में उनके सर्वाधिक मतों के अनुपात में रहे। भारत में राष्‍ट्रपति और उपराष्‍ट्रपति का चुनाव इसी पद्धति द्वारा किया जाता है।

अधिरोध लगाना :

अधिरोध (Embargo) के अंतर्गत यदि कोई देश अंतर्राष्‍ट्रीय कानून का उल्‍लंघन करता है तो उसके विरूद्ध विश्‍व समुदाय द्वारा दण्‍डात्‍मक कार्यवाही के रूप में व्‍यापारिक प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

ओलीगॉर्की :

जब वर्गीय हित के दृष्टिगत कुलीन तंत्रीय शासन कार्य करता है, तो उसे ओलीगॉर्की (Oligarchy) कहा जाता है।

उपनिवेशवाद :

इसकी प्रकृति प्राय: साम्राज्‍यवादी होती है तथा जब किसी देश द्वारा किसी देश पर अधिकार व शासन एवं इस प्रकार शासित देश के अधिकारों का हनन, स्‍वतंत्रता का दमन, इसकी उत्‍पादकता का शोषण तथा उसकी सभ्‍यता व संस्‍कृति की परतंत्रता आदि उपनिवेशवाद (Colonialism) के अंतर्गत आते हैं।

उत्‍तरदायी सरकार :

उत्‍तरदायी सरकार(Responsible Government) को संसदीय या मंत्रीमंडलीय सरकार भी कहा जाता है। शासन की इस पद्धति में कार्यपालिका अपने कृत्‍यों के लिए व्‍यवस्‍थापिका के प्रति उत्‍तरदायी होती है।

उदारवाद :

मानवतावादी लोगों या दलोंकी विचारधारा उदारवाद कहलाती है। ये मध्‍यम मार्ग अपनाना चाहते हैं। ये राज्‍य का अधिक नियंत्रण नहीं चाहते। एकाधिकार का विरोध करते हैं, मिश्रित अर्थव्‍यवस्‍था पसंदकरते हैं तथा शांति के पक्षमेंहोते हैं व लोकतंत्रीयपद्धति में विश्‍वास करते हैं।

उपचुनाव :

जब किसी स्‍थान के लिए मृत्‍यु, त्‍याग-पत्र या अयोग्‍यता के कारण रिक्‍त होने पर विशेष चुनाव होता है, तो उसे उपचुनाव (By-election) कहते हैं।

उत्‍प्रेषण :

जब कोई न्‍यायाधिकरण बिना अधिकारिता के या उसका उल्‍लंघन करकेकार्य करताहै और कोई अवैध आदेश जारी करता है, तो उत्‍प्रेक्षण की रिट द्वाराउसे उद्द किया जा सकता है।

एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single transferable Vote System)

यह एक प्रकार की निर्वाचन पद्धति है, जिसमें प्रत्‍येक मतदाता को सभी उम्‍मीदवारों के नाम के आगे अपनी पसंद का क्रम व्‍यक्‍त करना होता है। निर्वाचित किए जानेके लिए मतों की न्‍यूनतम संख्‍या निर्धारित की जाती है। इसकेअंतर्गत मतदाता उतने मत दे सकता है जितने कि उम्‍मीदवार हैं।

इस प्रणाली में विजयी घोषित करने का तरीका :

कुल प्राप्‍त मतों की संख्‍या को दो से विभाजितकर भागफल में एक जोड़ने से प्राप्‍त संख्‍या न्‍यूनतम संख्‍या मानी जाती है। मतों की गिनती में यदि प्रथम पसंद की गिनती में ही कोई उम्‍मीदवार निर्धारित मत के बराबर मत प्राप्‍त कर लेता है, तो वह विजयी घोषितकर दियाजाता है व अन्‍यथा प्रथम पसंद में सबसेकम मत प्राप्‍त करने वाले उम्‍मीदवार को मतगणना से अलग कर दिया जाता है और उस निष्‍काषित उम्‍मीदवार को मिले मत पत्रों में द्वितीय पसंद के आधार पर जिन-जिन उम्‍मीदवारों को जितनी संख्‍या अंकित की गई है, उतने मत उनकी प्रथम पसंद के मतों की संख्‍या में जोड़ दिए जाते हैं। इस प्रकार का संक्रमण किसी एक व्‍यक्ति द्वारा निर्धारित कोटा प्राप्‍त कर लेने तक चलता रहता है। यही एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में प्रत्‍याशी को विजयी घोषित करने का तरीका है।

एन्‍वाय :

एक देश के अधिकाधिक प्रतिनिधि जब अन्‍य देश को मनोनीत किए जाएं तो उसे “Envoy” कहा जाता है। इसे विशिष्‍ट कार्य के लिए भी भेजा जा सकता है।

एक्‍स्‍ट्राडिक्‍शन :

एक देश या सरकार द्वारा दूसरे देश या सरकार को उसके अपराधी को न्‍यायिक जाँच त्‍था दण्‍ड के लिए सौंप देना “Extradition” कहलाता है।

एमनेस्‍टी :

जब कोई सरकार विद्रोहियों या कैदियों को सामान्‍य रूप से क्षमा कर देती है तथा छोड़ देती है, तो उसे ”एमनेस्‍टी” (Amnesty) कहते हैं।

कॉन्‍फेडरेशन :

दो या दो से अधिक देशों का आपस में किसी विशेष उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए मिल जाना “Confederation” कहलाता है। यह परिसंघ (Federation) से इस मायने में भिन्‍न होता है, कि परिसंघ की स्‍थापना ”लिखित संविधान” के अंतर्गत होती है, शक्तियों का विभाजन होता है, न्‍यायालय स्‍वतंत्र होता है। परिसंघ इकाई राज्‍यों से सीधा संपर्क रखती है। कॉन्‍फेडरेशन में ऐसा नहीं होता है। संबंध इकाई स्‍तर पर होते हैं तथा इकाइयां कभी भी पृथक नहीं हो सकती हैं, जबकि परिसंघ का सीधी नागरिकों से कोई संपर्क नहीं हो सकता।

कॉन्‍डो‍मीनियन :

किसी देश के ऊपर अन्‍य दो बाहरी देशों या ताकतों द्वारा प्रभुसत्‍ता का उपयोग करना “Condominium” कहलाता है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन तथा मिश्र का पूर्व में सूडान पर ”कॉन्‍डोमीनियन” था।

कन्‍वेंशन :

किसी विशष्‍ट विषय पर वार्ता करने हेतु जो सम्‍मेलन आहुत किए जाते हैं, उन्‍हें “Convention” कहा जाता है। उल्‍लेखनीय है कि ब्रिटेन में शासन प्रणाली परम्‍पराओं पर आाधारित (इसे “Constitutional Convention” कहा जाता है) है। यद्यपि इसका राजनीतिक महत्‍व है, तथापि न्‍यायालय द्वारा इन्‍हें मान्‍यता नहीं दिया जाता।

कन्‍टेनमेंट :

किसी देश या विचारधारा के प्रभाव को राजनीति में फैलने से रोकनेको “Containment” कहा जाता है।

कर्फ्यू :

किसी निश्चित स्‍थान या क्षेत्र में किसी निश्चित अवधि के लिए जन सामान्‍य की आवाजाही पर सरकार या प्रशासन द्वारा प्रतिषेध लगाया जाना “Curfew” कहलाता है।

कूप :

जब किसी सरकार को किसी विद्रोही गतिविधि, सैन्‍य कार्यवाही या गुट द्वारा गुप्‍त रूप से अचानक गैर-कानूनी तरीके से उखाड़ फेंका जाता है तथा उसकी जगह नई सरकार स्‍थापित की जाती है तो इस घटना को “Coup” (तख्‍ता पलटना) कहते हैं।

कोरम :

किसी संस्‍था की किसी सभा की कार्यवाही के लिए औपचारिक रूप से कम से कम सदस्‍यों की उपस्थिति की आवश्‍यकता को “Quorum” कहते हैं। इसके अभाव में कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती है।

गणराज्‍य :

जिस देश में राज्‍य के प्रधान का पद वंशानुगत (Hereditary) न होकर निर्वाचित (Elected) होता है, उसे गणराज्‍य (Republic) तथा व्‍यवस्‍था को गणतंत्रात्‍मक व्‍यवस्‍था कहा जाता है।

गुलोटीन (Guillotin)

संसद की कार्य मंत्रता समिति बजट सहित सभी अनुदान मांगों को स्‍वीकृत करने के लिए समय सीमा निर्धारित करती है। अंतिम दिन जिन मांगोंपर चर्चा नहुईहो उन्‍हें भी मतदान के लिए रख दिया जाता है। इस प्रक्रिया को जिसमें अधिकांश मांगें बिना चर्चा के पारित हो जाती है। गुलोटीन कहा जाता है।

गुलोटीन सिर काटने का एक उपकरण था : 18वीं तथा 19वीं शताब्‍दी में फ्रांस में ”गुलोटीन” फांसी पर चढ़ने वालों के सिर काटने का एक उपकरण था। वर्तमान में यह प्रचलन में नहीं है। इसका आविष्‍कार फ्रांसीसी क्रांतिकाल में शीघ्रता से वध करने की दृष्टि से गुलोटीन नामक व्‍यक्ति ने किया था। सर्वप्रथम उपकरण के निर्माता को ही उस पर फांसी दी गई थी।

गुरूभार

किसी विशेष अल्‍पसंख्‍यक समुदाय को उसकी जनसंख्‍या से अधिक संसद में प्रतिनिधित्‍व प्रदान किया जाना गुरूभार (Weightage) कहलाता है।

गन बोट डिप्‍लोमैसी :

जब कोई देश दूसरे देश को अपने राजनीतिक उद्देश्‍य पूर्ण करने के लिए अपनी शक्ति का भय दिखाता है, तो इस कूटनीति को “Gun Boat Diplomacy” कहा जाता है।

गेलप पोल :

यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी भी समस्‍या के लिए संपूर्ण जनसंख्‍या के विचारों का मूल्‍यांकन किया जाता है। इसमें प्रतिनिधि द्वारा पूछे गए प्रश्‍नों का नमूना बनाकर संपूर्ण जनसंख्‍या से अभिमत कराया जाता है। एक प्रकार से यह ”ओपिनियन पोल” की प्रणाली के समतुल्‍य है। ज्ञातव्‍य है कि अमेरिका स्थित (प्रिंसटन न्‍यूजर्सी) उस संस्‍था का नाम है, जो जनमत का सर्वे करती है। इसका नाम डॉ. जॉर्ज गेलप के नाम पर रखा गया।

गैरीमैन्ड्रिंग :

अमेरिकी राज व्‍यवस्‍था के विशेष संदर्भ में प्रयुक्‍त होने वाले “Gerrymandering” का आशय निर्वाचन क्षेत्रों के इस प्रकार पुनर्गठन से है, जिससे किसी दल विशेष के अधिकतम समर्थक एक ही निर्वाचन क्षेत्र की परिधि में आ जाए तथा उस दल के प्रत्‍याशी के विजय की संभावना बढ़ जाए।

गुरिल्‍ला वारफेयर :

युद्ध करने के इस तरीके में एक पक्ष छिपकर पीछे से या एक ओर से दूसरे पक्ष पर हमला करने के पश्‍चात् छिप जाता है। मराठों ने मुगल सेना के विरूद्ध इसी युद्ध शैली का प्रयोग किया था।

घेराव :

जब किसी मजदूर दल या राजनीतिक दल द्वारा किसी उद्योगपति या अधिकारी का घेराव किया जाता है या अनुचित तरीके से उसे दबाव देकरमांग पूरी कराने की कोशिश की जाती है, तो उसे घेराव (Picketing) कहते हैं।

घाटबंदी :

किसी विदेशी शक्ति के पातों को अपने क्षेत्र या बंदरगाहों में प्रविष्‍ट न होने देने की नीति घाटबंदी (Embargo) कहलाती है।

चार्ज डी. अफेयर्स :

राजदूत के स्‍थान पर जो व्‍यक्ति अल्‍पकाल के लिए काम करता है, उसे “Charge “d” Affairs” कहते हैं।

चोविनिज्‍म :

एक व्‍यक्ति या समूह द्वारा किसी देश या समाज या वर्ग के लिए जो व्‍यर्थ व झूठी वफादारी प्रदर्शित की जाती है, उसे “Chuvinism” कहा जाता है। इसमें दूसरे देश, समाज या वर्ग के लिए घृणा का प्रदर्शन भी किया जाता है।

जिओनिज्‍म :

19वी शताब्‍दी के अंतिम चरण में यहूदियों से संबंधित यह आंदोलन प्रारंभ हुआ था। इस आंदोलन का (Zionism) उद्देश्‍य यहूदियों को फिलिस्‍तीन में ”नेशनल होमलैण्‍ड फॉर ज्‍यूस” बनाने का अवसर देना था।

जनमत :

किसी राजनीतिक प्रश्‍न को सुलझाने हेतु राज्‍य के समस्‍त नागरिकों की राय जानना और उसी के अनुसार निर्णय करना जनमत (Plebiscite) कहलाता है।

जुंटा :

“Junta” एक स्‍पेनिश शब्‍द है, जिसका अर्थ है – परिषद्। सामान्‍यतया इसका प्रयोग सैनिक सत्‍ता के संदर्भ में किया जाता है। इस परिषद् में एक समान पद के सभी विभागों के अधिकारी होते हैं जो सैनिक सत्‍ता की सभी प्रशासनिक इकाइयों को संतुलित रखने का उत्‍तरदायित्‍व संभालते हैं। ”जुंटा” में किसी एक व्‍यक्ति का प्रभुत्‍व नहीं रहता।

जीनोसाइड :

जान-बूझकर किसी देश में किसी धर्म, जाति व देश के लोगों का संहारकरना अथवा उनके लिए अत्‍यन्‍त भेदभावपूर्ण नीतियां पारित कर उनके अधिकारों को सीमित करना “Genocide” कहलाता है।

तानाशाही :

जिस शासन व्‍यवस्‍था में राज्‍य की संपूर्ण शक्तियां एक ही व्‍यक्ति के हाथ में केन्द्रित कर दी जाती हैं और वह बिना दूसरों की परवाह किए अपने अनुसार कार्य करता है, तो वह व्‍यवस्‍था ”तानाशाही” (Dictatorship) कहलाती है।

तटस्‍थता :

दो राष्‍ट्रों के मध्‍य युद्ध में किसी प्रकार की सहभागिता न करना तटस्‍थता कहलाता है। तटस्‍थ राष्‍ट्र न ही किसी का समर्थन करता है, न ही किसी का विरोध और न ही उनकी गतिविधियों के लिए अपनी भूमि का उपयोग करता है।

तनाव शैथिल्‍य :

दो राष्‍ट्रोंकेमध्‍य तनावपूर्ण संबंधोंमें नरमी या शिथिलता आने की नीतिगत स्थिति को तनाव शैथिल्‍य (Detente) कहते हैं (इस शब्‍द का प्रयोग 70 के दशक के प्रारंभ में चीन-अमेरिका एवं अमेरिका-सोवियत संघ के परिप्रेक्ष्‍य में किया गया)।

द्विपक्षीय समझौता :

जब दो पक्ष, दो दल या सरकारें आपस में कोई समझौता करते हैं तो वह द्विपक्षीय समझौता (Bilateral Pact) कहलाता है।

द्वैध शासन :

शासन का वह प्रकार जिसमें कार्यपालिका को दो भागों में विभक्‍त किया जाता है। इसमें एक भाग अपने कार्यों के लिए व्‍यवस्‍थापिका के प्रति उत्‍तरदायी होता है, जबकि दूसरा भाग नहीं होता है। इस प्रकार का शासन प्रांतों में ब्रिटिश सरकार द्वारा ”भारत शासन अधिनियम, 1919” के अंतर्गत लागू किया गया था।

देशीकरण :

यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विदेश में जन्‍में व्‍यक्ति को कुछ शर्तों के साथ देश की नागरिकता (अर्थात् उसे नागरिक के सभी लाभ) प्रदान कर दी जाती है।

द्वन्‍द्वत्‍मक भौतिकवाद (Dialectical Matcrialism)

कार्ल मार्क्‍स द्वारा समाज के विकास के क्रम के आर्थिक दृष्टिकोंण से विश्‍लेषण हेतू अपनाई गई पद्धति को दवन्‍दवात्‍मक भौतिकवाद कहते है। इसके अनुसार इस जगत में एकमात्र वास्‍तविकता ”पदार्थ”(Matter) है जो निरंतर गतिशील है। इसका विकास सीधी रेखा में न होकर दो-विपरीत स्थितियों में दवन्‍द के माध्‍यम से टेढ़ी-मेढ़ी रेखा में होता है।

दिव्‍सदनात्‍मक व्‍यवस्‍थपिका :

जिस व्‍यवस्‍थपिका : जिस व्‍यवस्‍थापिका में दो सदन अर्थात उच्‍च सदन व निम्‍न सदन होते हैं, उसे द्विसदनात्‍मक व्‍यवस्‍थापिका कहते है।

ध्रुवीकरण :

एक विचारधारा के लोगों का एक दल या समूह के नीचे एकत्रितहोना ध्रुवीकरण(Polarization) कहलाता है।

धार्मिक राज्‍य :

एक ऐसा राज्‍य जिसमें धर्म विशेष के नियमों के अनुसार शासन का संचालन किया जाता है, उसे धार्मिक राज्‍य (Theocratic State) या धर्म सापेक्ष राज्‍य कहा जाता है।

धर्म निरपेक्षता(Secularism)

धर्म निरपेक्षता का तातपर्य उस सिद्धान्‍त से है, जिसके अंतर्गत देश के सभी नागरिकों को पूर्ण धार्मिक स्‍वतंत्रता प्रदान की जाती है। धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। इसमें प्रत्‍येक नागरिक को अपना धर्म चुनने का या उसकी रक्षा करने का पूर्ण अधिकार प्राप्‍त होता है।

टिप्‍पणी : भारतीय संविधान की उद्देशिका(Preamble) में ”Secular” शब्‍द का हिन्‍दी पर्याय ”पंथनिरपेक्ष” दिया गया है।

ध्‍यानाकर्षण सूचनाएं :

इसके तहत अविलम्‍बनीय सार्वजनिक महत्‍व के विषय की ओर कोई सदस्‍य अध्‍यक्ष से पूर्व अनुमति लेकर किसी मंत्री का ध्‍यान दिलाता है तथा वक्‍तव्‍य की मांग करता है। मंत्री संक्षिप्‍त वक्‍तव्‍य देता है अथवा बाद में किसी तिथि विशेष को वक्‍तव्‍य देने हेतु समय मांग सकता है।

धन विधेयक :

ऐसे सभी ”वित विधेयक” धन विधेयक होते है जो संविधान के ”अनुच्‍छेद 110” में उल्लिखित मामलों से संबंधित हों तथा जिन्‍हें लोकसभा अध्‍यक्ष इस आशय का प्रमाण दे दे।

नॉन-एग्रेशन पैक्‍ट :

जब दो या उससे अधिक देश यह समझौता करें कि वे एक-दूसरे पर आक्रमणनही करेंगे, तो उसे ”अनाक्रमण सीधे”(Non-Aggression Pact) कहते है।

नौकरशाही :

ऐसी सरकार जो नागरिक (लोक) सेवकों द्वारा चलाई जाती है या जिसमें सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों पर हर बात के लिए निर्भर रहना पड़ता है, उस व्‍यवस्‍था को नौकरशाही (Bureaucracy) कहते है। इस व्‍यवस्‍था में सरकारी अधिकारियों का वर्चस्‍व हो जाता है।

निषेधाधिकार :

यह नियमानुमोदित अधिकार है। किसी संस्‍था द्वारा लिए गए निर्णय को अमान्‍य करके निर्णय को निरस्‍त करने की व्‍यक्ति या संस्‍था में निहित शक्ति निषेधाधिकार (Veto) कहलाती है।

न्‍यूनतम चुनाव कोटा :

इसे निकालने की यह विधि है कि सर्वप्रथम अवैध मतों को निरस्‍त करके शेष वैध मतों का मत मूल्‍य निकाला जाता है और निकाले गए मत मूल्‍य को दो से विभाजित करके भागफल में एक जोड़ दिया जाता है।

निर्णायक मत :

पक्ष और विपक्ष में बराबर मत होने पर अध्‍यक्ष द्वारा दिया जाने वाला मत निर्णायक मत कहलाता है।

निर्वाचक मण्‍डल :

ऐसे व्‍यक्तियों का समूह या निकाय जो किसी संस्‍था के प्रमुखया राष्‍ट्र प्रमुख या राष्‍ट्र प्रमुख चुने जाने के लिए नियुक्‍त, मनोनीत अथवा निर्वाचित किया गया हो, उसे निर्वाचक मण्‍डल (Electrol College) कहते हैं।

नियंत्रण व संतुलन :

सरकार के विभिन्‍न अंगों की शक्तियों को इस व्‍यवस्‍था द्वारा उनके निर्धारित कार्यक्षेत्र के अंतर्गत रखा जाता है।

नव उपनिवेशवाद :

राजनीतिक उपनिवेशवाद के प्राय: समाप्‍त हो जाने के पश्‍चात् आर्थिक उपनिवेशवाद का जो युग प्रारंभ हुआ है, उसे नव उपनिवेशवाद (Neo-Conlonialism) कहा जाता है। इसके मुख्‍यतया दो प्रकार हैं – 1. धनी व शक्तिशाली राष्‍ट्र अर्द्ध विकसित देशों को आर्थिक सहायता देकर उन पर राजनीतिक दबाव डालकर अपना प्रभाव स्‍थापित कर रहे हैं, किसी देश पर अपना प्रभाव स्‍थापित कर उसकी आंतरिक व बाह्य नीति को प्रभावित करना।

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About the author

Nitin Gupta

My Name is Nitin Gupta और मैं Civil Services की तैयारी कर रहा हूं ! और मैं भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश से हूँ। मैं इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशील किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !!

मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है ! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

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