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अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्‍वपूर्ण शब्‍दावलियाँ एवं अवधारणाएं Part – 1 ( Most Important Terms and Concepts Related to Economy Part – 1 )

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Written by Nitin Gupta
नमस्कार दोस्तो , स्वागत है हमारी बेबसाइट पर 
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दोस्तो , आज की पोस्ट में हम आपको अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ उपलब्ध कराने जा रहे हैं जिनमें से बहुत से Question आपके Exams में आ सकते हैं ! दोस्तो इस पोस्ट को हम तीन पार्ट में उपलब्ध करा रहे हैं ! यह इसका पहला पार्ट है , आप इसे अच्छे से पढिये और याद कर लीजिये ! इसके अन्य दो पार्ट की लिंक भी इस पोस्ट के अंत में दी हुई है , आप इन्हें भी पढ सकते हैं !

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Most Important Terms and Concepts Related to Economy

अप्रवासी भारतीय

अप्रवासी भारतीय वे भारतीय हैं जो सामान्‍यतया भारत में निवास नहीं करते अपितु दूसरे देश में निवास करते हैं तथा उनके पास भारतीय नागरिकता व भारतीय पासपोर्ट होता है।

अनिवासी (बाह्य) रूपया खाता (Non-Resident (external) Ruppe Accounts)

अनिवासी (बाह्य) रूपया खाता [Non-Resident (external) Ruppe Accounts] प्रमुख व्‍यापारिक बैंकों में अनिवासी भारतीयों के नाम से खोले जा सकते हैं। यह खाते भारतीय रूपयों में खोले जा सकते हैं। खातों का मूल धन तथा उस पर अर्जित ब्‍याज को बिना किसी कठिनाई के जमाकर्ता को उसके देश वापस कर दिया जाता है, किन्‍तु रूपयों को विदेशी मुद्रा में उस दर से परिवर्तित किया जाता है, जो कि धन भेजने की तिथि को लागू होती है। ऐसे खाते NRIs तथा भारतीय मूल के विदेशियों द्वारा ही खोले जा सकते हैं।

आउट सोर्सिंग (Out Sourcing) 

”आउट सोर्सिंग” का अभिप्राय है किसी कंपनी या फर्म द्वारा किसी कार्य को कंपनी या फर्म से बाहर संपन्‍न करवाना। दूसरे शब्‍दों में, विकसित देशों की कंपनियां विकासीशील देशोंमें श्रम सस्‍ता होने के कारण अपने उत्‍पादों के विभिन्‍न निर्माण चरणों को वहां पूर्ण कराती हैं। यही कारण है कि अमेरिकी कांग्रेस के उच्‍च सदन सीनेट द्वारा अमेरिकन कंपनियों द्वारा की जाने वाली ”आउट सोर्सिंग” पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक संघीय कानून कनाने हेतु विधेयक पारित किया गया है। ये कंपनियां अपनी लागत कम करने के लिए भारत सहित अन्‍य कंपनियां अपनी लागत कम करने के लिए भारत सहित अन्‍य देशों से आउट सोर्सिंग कराती हैं।

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औसत लागत (Average Cost)

किसी वस्‍तु के उत्‍पादन में लगी प्रति इकाई लागत ”औसत लागत” (Average Cost) कहलाती है।

औसत आगम (Average Revenue)

किसी फर्म को प्राप्‍त होने वाली प्रति इकाई आगम ”औसत आगम” (Average Revenue) कहलाता है। कुल आगम को उत्‍पादनया कुल विक्रय की गई वस्‍तु की इकाइयों की संख्‍या से भाग देने पर ”औसत आगम” प्राप्‍त होता है।

अनवीनीकरण योग्‍य संसाधन  (Non-renewable Resources)

अ‍नवीनीकरण योग्‍य संसाधन (Non-renewable Resources) उन्‍हें कहा जाता है जिनको सरलतापूर्वक नवीकृत नहीं किया जा सकता। यद्यपि ये संख्‍या में सीमित हैं, तथापि इनके विशाल भण्‍डार हैं। जैसे – जीवाश्‍म तेलों के भण्‍डार तथा खनिज संसाधन।

अहस्‍तक्षेप नीति (Laissez Faire)

अहस्‍तक्षेप नीति (Laissez Faire) एक फ्रांसीसी मुहावरे (हमें अकेला छोड़ दो) की पुष्टि करती है। यह नीति इस बात का द्योतक है कि सरकार को आर्थिक कार्यालयों पर कम से कम हस्‍तक्षेप करना चाहिए तथा निर्णयों को बाजार पर छोड़ देना चाहिए।

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अंत: प्रवसन और बाह्य प्रवसन (In-migration and Out-Migration)

किसी स्‍थान पर शीघ्र वापिस आने की इच्‍छा के साथ जाने को अंत:प्रवसन (In-migration) कहते हैं, जबकि शीघ्र ही वापिस नआने की इच्‍छा से किसी स्‍थान पर जाने को बाह्य प्रवसन (Out-Migration) कहते हैं। जब यह आवागमन दो देशों के बीच होता है, तब यह प्राप्‍त करने वाले देश के लिए उत्‍प्रवास होता है।

आयु विशेष जनन क्षमता (Age Specific Fertility Rate)

किसी दिए वर्ष में, एक विशेष वर्ग में महिलाओं द्वारा दिए गए जन्‍मों की संख्‍या को उस आयु वर्ग में आने वाले महिलाओं की संख्‍या से विभाजित करके जब 1000 से गुणा किया जाता है, तो इसे उस विशेष वर्ष में उस आयु वर्ग की ”आयु विशेष जनन क्षमता” (Age Specific Fertility Rate) कहते हैं।

अनन्‍य आर्थिक क्षेत्र (Exchusive Econiomic Zone EEZ )

किसी देश में ”अनन्‍य आर्थिक क्षेत्र” (EEZ) से अभिप्राय उसकी समुद्री सीमा से समुद्री तट का वह क्षेत्रफल है जिसके सभी संसाधनों पर उस देश का एकाधिकार होता है तथा इस क्षेत्र के भीतर वह देश उन संसाधनों के दोहन करने हेतु स्‍वतंत्र होता है। भारत के समुद्री तट से 200 नॉटिकल मील दूरी तक विस्‍तृत 20.2 लाख वर्ग किमी का समुद्री क्षेत्र भारत का EEZ है।

आर्थिक सहायता और आर्थिक प्रति-सहायता (Subsidisation and Cross-Subsidisation ) 

जब सामान्‍य राजस्‍व द्वारा वसूली के लागत से कम होने के कारण हुई हानि को पूर्ण किया जाता है, तो इसे ”आर्थिक सहायता” (Subsidisation) के नाम से जाना जाता है। जब एक उत्‍पाद के मूल्‍य को किसी अन्‍य उत्‍पाद कल्‍प से कम करने के लिए बढ़ाया जाए तो इसे ”आर्थिक प्रति सहायता” के (Cross-Subsidisation) के नाम से जाना जाता है।

आदेश पत्र 

वैदेशिक व्‍यापार में आयातकर्ता निर्यातकर्ता को निर्दिष्‍ट माल भेजने के लिए जो पत्र प्रेषित करता है वह आदेश पत्र या ”इन्‍डेन्‍ट” कहलाता है।

अवमूल्‍यन (Devaluation)

किसी अन्‍य मुद्रा की तुलना में जब कोई देश अपनी मुद्रा का अधिकृत मूल्‍य कम कर दे तो उसे अवमूल्‍यन (Devaluation) कहते हैं। उदाहरण के लिए, माना कि डॉलर का भारत में अधिकृत मूल्‍य 55 रूपये था तथा अचानक भारतीय रिजर्व बैंक इसे 65 रूपये कर दे तो इसका अर्थ यह हुआ कि भारतीय रूपया डॉलर के मुकाबले में सस्‍ता अथवा डॉलर भारतीय रूपये के मुकाबले महंगा हो गया। मुद्रा अवमूल्‍यन का प्रभाव यह होता है कि निर्यातों को प्रोत्‍साहन तथा आयात हतोत्‍साहित होता है।

आर्बिट्रेज (Arbitrage)

आर्बिट्रेज (Arbitrage) का अर्थ ”कीमतों के अंतर का लाभ उठाना” है। दो या दो से अधिक बाजारों के बीच वस्‍तुओं, वित्‍तीय प्रतिभूतियों या विदेशी मुद्राओं की खरीद व बिक्री, जिसका उद्देश्‍य बाजारों में उद्धृत कीमतों के अंतर का लाभ उठाना होता है। जिस बाजार में कीमत कम है, वहां प्रतिभूति या वस्‍तु को खरीदने तथा उसी समय ऊँची कीमत वाले बाजार में उसे बेचने का सौदा किया जाता है। उसके परिणाम स्‍वरूप कम कीमत वाले बाजार में मांग बढ़ेगी तथा अधिक कीमत वाले बाजार में कीमत कम होगी और इससे कीमतों में अंतर कम होगा।

अर्थमिति (Econimietrics)

अर्थशास्‍त्र में अर्थमिति (Econimietrics) के अंतर्गत आर्थिक सिद्धांतों का अध्‍ययन गणितीय व सांख्यिकीय तकनीकों की सहायता से किया जाता है।

आकस्मिक निधि (Contingency Fund)

भारतीय संविधान के ”अनुच्‍छेद 116” के अंतर्गत ”भारतीय संविधान” संसद द्वारा एक आकस्मिक निधि का प्रावधान करता है। इस निधि (Contingency Fund) से राष्‍ट्रपति की अनुमति से अग्रिम (Advance) निकाले जा सकते हैं तथा इस निधि का उपयोग आकस्मिक रूप से घटित होने वाली घटनाओं का सामना करने हेतु किया जाता है।

आरक्षित मुद्रा पत्र (Fiduciary Currency)

वह कागजी मुद्रा जिसे बिना सोने अथवा चांदी के रिजर्व रखे चलन में लाया गया हो, आरक्षित मुद्रा पत्र (Fiduciary Currency) कहलाती है।

अल्‍पाधिकार (Oligopoly)

यदि किसी वस्‍तु के बाजार में विक्रेताओं की संख्‍या बहुत कम (किन्‍तु दो से अधिक) होती है, जिनके मध्‍य आपस में कोई समझौता संभव हो सकता हो, तो ऐसा बाजार अल्‍पाधिकार (Oligopoly) कहलाता है। इस प्रकार के बाजार में वस्‍तु एक सी भी हो सकती है तथा वस्‍तु में विभेद भी हो सकता है।

अनुसूचित व्‍यापारिक बैंक (Scheduled Commercial Banks)

ऐसे बैंक जिन्‍हें रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने अपनी दूसरी अनुसूची में सम्मिलित कर दिया है, उन्‍हें अनुसूचित व्‍यापारिक बैंक (Scheduled Commercial Banks) कहा जाता है। कुछ आवश्‍यक शर्तें पूर्ण करने पर ही रिजर्व बैंक द्वारा किसी बैंक को इस अनुसूची में सम्मिलित किया जाता है। जैसे कि बैंक की चुकता पूंजी त‍था आरक्षित पूंजी का योग कम से कम 5 लाख रूपये होना चाहिए तथा बैंक का संचालन ऐसा होना चाहिए कि जिसमें जमाकर्ता के हित सुरक्षित हों।

अधिकृत पूंजी (Authorised Capital)

पूंजी की उस अधिकतम मात्रा को अधिकृत पूंजी कहते हैं जिस सीमा तक कोई कंपनी अपने शेयर जारी कर सकती है। शेयरों का मूल्‍य अधिकृत पूंजी (Authorised Capital) के बराबर या कम हो सकता है, किन्‍तु अधिक कम नहीं हो सकता।

आवश्‍यकता आधारित मजदूरी (Need based wages)

आवश्‍यकता आधारित मजदूरी (Need based wages) के अंतर्गतएक मजदूर को उसकी नितांत आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखा जाता है। प्राय: यह मजदूरी सामान्‍य तौर पर मिलने वाली मजदूरी से अधिक होती है।

ऑनलाईन शॉपिंग (Online Shipping)

”इंटरनेट” के बढ़ते उपयोग ने खरीददारी की एक नई प्रणाली अर्थात् ”ऑन लाइन शॉपिंग” के उपयोग की संभावनाओं को नई ऊंचाई प्रदान की है। इसके माध्‍यम से अनेक वस्‍तुओं का क्रय किया जा सकता है। अमेरिका इस खरीददारी प्रणाली का अग्रणी देश है। भारत में भारतीय रेलवे द्वारा प्रारंभ की गई ऑन लाइन टिकटिंग एवं बिक्री सेवाएं इसके ज्‍वलंत उदाहरण हैं।

आर्थिक संवृद्धि 

किसी अर्थव्‍यवस्‍था में वस्‍तुओं व सेवाओं का उत्‍पादन करने से ‘सकल राष्‍ट्रीय उत्‍पाद” (GNP) में हुई वृद्धि, जिसके परिणामस्‍वरूप ”प्रति व्‍यक्ति आय” (PCI) में वृद्धि होती है। संक्षेप में, आर्थिक वृद्धि (Econimic Growth) का प्रयोजन केवल वस्‍तुओं व सेवाओं के उत्‍पादन में होने वाली वृद्धि से होता है।

अमूर्त सम्‍पत्तियां, लाभ एवं लागतें  (Intangible Assets, Benefits and Costs)

  • अमूर्त सम्‍पत्तियां (Intangible Assets) : ऐसी सम्‍पत्तियां जिनका मूल्‍य तो है, किन्‍तु इन्‍हें देखना या छूना संभव नहीं है। इनमें फर्म की साख, पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट आदि शामिल हैं। इन अभौतिक सम्‍पत्तियों को बेचना या खरीदना भी प्राय: संभव होता है।
  • अमूर्त लाभ (Intangible Benefits) : किसी परियोजना या उपक्रम से प्राप्‍त होने वाले ऐसे लाभ जिन्‍हें देखना संभव नहीं हो। शिक्षा, प्रशिक्षण, स्‍वच्‍छता अथवा सामाजिक कल्‍याण के उपक्रमों से प्राप्‍त लाभों का माप नहीं लिया जा सकता क्‍योंकि वे अमूर्तया अभौतिक हैं। फिर भी ये लाभ किसीसमाज के लिए महत्‍वपूर्ण हैं।
  • अमूर्त लागतें (Intangible Costs) : ऐसी लागतें जो अनुभव की जाएं किन्‍तु अमूर्त हैं। यदि जल का वायु के प्रदूषण से स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल प्रभावपड़ते हैं और उससे श्रमिकों की कार्यकुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव हों तो इसे अमूर्त लागत कहते हैं।

अनुपार्जित आय (Unearned Income)

अनुपार्जित आय (Unearned Income) से तात्‍पर्य आय के उस भाग से है जो चालू वर्ष में प्राप्‍त तो हो गया, किन्‍तु चालू वर्ष से उसका कोई संबंध नहीं होता।

अधिविकर्ष (Overdraft)

बैंको से जमाकर्ता द्वारा अपनी जमा रकम के अतिरिक्‍त धन निकालना ”अधिविकर्ष” (Overdraft) कहलाता है।

आवर्ती जमा या संचयी जमा खाता (Re-curring Deposit Account Or Cumulative Deposit Account)

आवर्ती जमा या संचयी जमा खाता (Re-curring Deposit Account Or Cumulative Deposit Account) खोलने वाले व्‍यक्ति को एक निश्चित रकम एक नियत अवधि प्रति मास अपने खाते में जमा करनी होती है। यह एक प्रकार का सावधि खाता है। अत: इस खाते पर दिए जाने वाले ब्‍याज की दर बजत जमा खातों की तुलना में कुछ अधिक होती है।

आदिष्‍ट चैक

किसी भी धारक चैक (Bearer Cheque) में से जब ”धारक” शब्‍द को काटकार उस पर आदिष्‍ट (Order) लिख दिया जाए तो वह चैक ”आदिष्‍ट चैक” बन जाता है। इस चैक के भुगतान से पहले भुगतान लेने वाले सही व्‍यक्ति की पहचान आवश्‍यकता होती है।

इम्‍पोर्ट सब्‍स्‍टीट्यूशन 

जब किसी वस्‍तु का आयात करने के बजाय देश में ही उत्‍पादन किया जाय तो इसे ”आयात” प्रेरित स्‍थापन या ”Import Substitution ” की नीति कहा जाता है। प्राय: विकासशील देशों की रणनीति कुछ वस्‍तुओं के आयातों पर भारी कर लगाने या उन्‍हें निषिद्ध श्रेणी में डालकर देश में उनके उत्‍पादन में वृद्धि करने की रहती है। यह नीति ”निर्यात प्रोत्‍साहन” की नीति से सर्वथा भिन्‍न है जिसके अनुसार अनुदानों या प्रत्‍यक्ष सहायता के माध्‍यम से निर्यातों में वृद्धि करने का प्रयास करती है।

इण्‍डस्ट्रियल डेमोक्रेसी (Industrial Democracy)

किसी निगम के प्रबंधन में चुने हुए निदेशकों के अलावा श्रमिकों के प्रतिनिधियों की भी निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी होने पर इसे ”प्रजातांत्रिक औद्योगिक” व्‍यवस्‍था (Industrial Democracy) कहा जाता है।

इकाई बैंकिंग (Unit Banking)

यद्पि इस बैंकिंग प्रणाली का कार्य मुख्‍यतया एक ही कार्यालय तक सीमित रहता है, तथापि एक सीमित क्षेत्र में से कुछ शाखाएं भी खोल लेते हैं। यह प्रणाली अमेंरिका में पर्याप्‍त रूप से लोकप्रिय है।

इनोवेशन्‍स (Innovations)

किसी मौलिक विचार या खोज को व्‍यवसाय हेतु करना ”नवोत्‍पाद” (Innovations) कहलाता है। यदि वह नवोत्‍पाद उत्‍पादन से संबद्ध है तो इसे प्रक्रिया से जुड़ी खोज कहा जाएगा। यदि वस्‍तु की डिजाइन या गुणवता में इसके कारण सुधार होता है तो यह उत्‍पादन संबंधी नवोत्‍पाद है। प्राय: नवोत्‍पाद हेतु फर्म को पर्याप्‍त राशि व्‍यय करनी होती है अथवा इसके फलीभूत होने में पर्याप्‍त समय लगता है।

इकोमार्क (Ecomarc)

जनवरी, 1992 से पर्यावरण व वन मंत्रालय, भारत सरकार के भारतीय मानक ब्‍यूरो के ISI चिन्‍ह की भांति ही एक ”Ecomarc” चिन्‍ह योजना प्रारंभ की है। मिट्टी के मटके के रूप में इकोमार्क एक प्रतीक चिन्‍ह है, जो किसी भी ऐसे उत्‍पाद पर प्रदान किया है जो पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचता।

इण्डिया ब्राण्‍ड इक्विटी फण्ड 

वाणिज्‍य मंत्रालय, भारत सरकार ने विश्‍व बाजार में भारतीय उत्‍पादों की छवि बेहतर बनाने और भारतीय निर्यातों को प्रोत्‍साहित करने के उद्देश्‍य से ”इण्डिया ब्राण्‍ड इक्विटी फण्‍ड” 11 जुलाई, 1996 को स्‍थापित किया। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में ”भार‍त में निर्मित” (Made in India) लेबल का गुण्‍वता, प्रतिदंवद्वात्‍मक रूप तथा विश्‍वसनीयता को प्रतीक बनाना है। इसके लिए खरीददारों की प्रतिक्रिया के आधार पर वस्‍तुओं व सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए उत्‍पादकों को प्रोत्‍साहित किया जाता है।

ई – इलेक्‍ट्रानिक तथा कामर्स

व्‍यापारिक लेनदेन। अभिप्राय यह है कि ई-कामर्स के अंतर्गत विक्रेता और क्रेता बिना कागजों की अदला-बदला किए अथवा बिना एक-दूसरे से मिले ”इंटरनेट” के माध्‍यम से लेन-देन करते हैं। साथ ही, यह व्‍यापार कम्‍प्‍यूटर द्वारा टेलीफोन लाइनों से किया जाता है। इस प्रकार के कारोबार के लिए विश्‍व भर में कम्‍प्‍यूटरों का विशेष नेटवर्क कार्यरत् है।

इलेक्‍ट्रॉनिक फण्‍ड ट्रांसफर (EFT)

इलेक्‍ट्रानिक फण्‍ड ट्रांसफर (EFT) व्‍यवस्‍था के अंतर्गत एक शहर के भीतर स्थित तथा विभिन्‍न शहरों में स्थित वाणिज्यिक बैंको की शाखाओं (एक ही बैंक की विभिन्‍न शाखाओं तथा विभिन्‍न बैंकों की शाखाओं) के बीच निधियों का हस्‍तांतरण इलेक्‍ट्रानिक तरीके से कम्‍प्‍यूटर पर ही हो जाता है।

उदार ऋण (Soft Loan)

ऐसा ऋण जिस पर सामान्‍य जिस पर सामान्‍य से काफी कम ब्‍याज लिया जाता है, इसे उदार ऋण (Soft Loan) कहा जाता है। साथ ही, इसकी अदायगी काफी लम्‍बी अवधि में की जाती है तथा ब्‍याज तथा मूलधन की अदायगी कुछ अंतराल के बाद की जाती है। कभी-कभी ”अंतर्राष्‍ट्रीय विकास संगठन” (IDA) द्वारा प्राय: इसी प्रकार के उदार ऋण दिए जाते हैं।

उदार मुद्रा (Soft Currency)

उदार या अपरिवर्तनीय मुद्रा (Soft Currency) उसे कहा जाता है जिसके पक्ष में भुगतान संतुलन हो।

उष्‍ण मुद्रा (Hot Currency)

वह मुद्रा उष्‍ण मुद्रा (Hot Currency) कहलाती है, जिसकी ”विनिमय दर” गिरने की संभावना हो या गिर रही हो। इस कारण इस मुद्रा को स्‍वीकार करने में लोग हिचक रखते हैं।

उपार्जित आय (Accrued Income)

ऐसी आय जो चालू वर्ष में अर्जित तो कर ली गई है, किन्‍तु वर्ष के अंत तक वास्‍तव में प्राप्‍त नहीं होती, ”उपार्जित आय” (Accrued Income) कहलाती है।

ऋण परिवर्तन (Debt Conversion)

किसी सार्व‍जनिक ऋण की परिपक्‍वता पर यदि सरकार उसका वास्‍तविक भुगतान न करके उसके स्‍थान पर दूसरे नए ऋण पत्र जारी कर दे तो यह प्रक्रिया ”ऋण परिवर्तन” (Debt Conversion) कहलाती है।

ऋण शोधन निधि (Sinking Fund)

नियमित रूप से धनराशि जमा करके तैयार किया गया ऐसा कोष जिससे किसी ऋण की परिपक्‍वता पर आसानी से भुगतान किया जा सके ”ऋण शोधन निधि” (Sinking Fund) कहलाता है।

एक्जिट नीति (Exit Policy)

”एक्जिट नीति” को सरकार ने अपनी स्‍वीकृति मार्च, 1992 में ही दी थी, किन्‍तु इसके कार्यान्‍वयन की घोषणा अभी तक नहीं की गई। इसका उद्देश्‍य रूग्‍ण व अकुशल उद्योगों को बंद करने के साथ-साथ औद्योगिक उपक्रमों के फालतू कर्मचारियों को मुक्‍त करना है, जिससे कि अर्थव्‍यवस्‍था पर अनावश्‍यक भार कम किया जा सके। औद्योगिक रूग्‍णता पर विचारार्थ गठित ”गोस्‍वामी समिति” ने भी ”एक्जिटनीति” अपनाने की अपेक्षा की थी। साथ ही, विश्‍व बैंक व ”अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष” भी अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार हेतु इस नीति को अपनाने पर जोर दे रहे हैं।

एडवांस डिक्‍लाइन (Advance Decline)

एडवांस डिक्‍लाइन (Advance Decline) शेयर बाजार की प्रवृत्ति प्रदर्शित करने वाला एक माप है। किसी समयावधि में मूल्‍य वृद्धि को प्रदर्शित करने वाले शेयरों की संख्‍या का कुल मूल्‍य ह्रास वाले शेयरों की संख्‍या के साथ अनुपात ही ”एडवांस डिक्‍लाइन” कहलाता है।

एमोर्टाइजेशन (Amortization)

किसी परिसम्‍पत्ति को इसके जीवनकाल की समाप्ति पर प्रतिस्‍थापित करने की व्‍यव्‍स्‍था को ”Amortization” कहा जाता है। ऋण के संदर्भ में भुगतान की राशि, ब्‍याज की दर तथा अदायगी की अवधि पर निर्भर करेगी। परिसंपत्ति के प्रतिस्‍थापना हेतु वांछनीय राशि ब्‍याज की राशि, परिसंपत्ति भी आपेक्षित आयु तथा मुद्रास्‍फीति की संभावित दर पर निर्भर करेगी।

एक्‍साइज ड्यूटी (Excise-duty)

इसे ”उत्‍पाद शुल्‍क” (Excise-duty) कहते है। यह वह कर है जो देश के भीतर निर्मित वस्‍तुओं के उत्‍पादन बिन्‍दु पर लगाया जाता है।

एस्‍टेट ड्यूटी (Estate duty)

किसी व्‍यक्ति की मृत्‍यु के उपरांत उसकी समाप्ति के हस्‍तांतरण के समय जो कर उस संपत्ति पर लगाया जाता है, उसे ”Estate duty” कहते हैं।

एड-वेलोरम (Ad Valorem)

वस्‍तुओं पर लगाए गए ऐसे कर जो उनकी मात्रा के आधार पर न अधिरोपित कर, उनके मूल्‍यानुसार लगाया जाता है, उसे ”Ad Valorem” कहा जाता है।

एन्‍युटी (Annuity)

एक मुश्‍त निवेश को निश्चित अंतराल के साथ समान किश्‍तों में भुगतान करना ”Annuity” कहलाता है। यदि इस निवेश के साथ ब्‍याज अदायगी समान किश्‍तों में इस प्रकार सुनिश्चित की जाती है कि निर्दिष्‍ट अवधि के अंत तक समूची राशि की अदायगी हो जाए। यह नीति बीमा कंपनी द्वारा भी मृतक व्‍यक्ति की पत्‍नी (या पति) अथवा आश्रितों को पॉलिसी धारक की मृत्‍यु होने पर लागू की जा सकती है।

एफ्लुएंट सोसाइटी :

प्रो. जे. के. गालब्रेथ ने इस शब्‍द (इसका प्रयोग समाज के उस वर्ग के लिए किया जाता है, जो अति संपन्‍न हैं तथा अपनी तमाम मौलिक आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के उपरांत भी इनके पास इतनी आय बची रहती है कि ये विभिन्‍न प्रकार के विलासितापूर्ण उपयोग में व्‍यय करते हैं) का सर्वप्र‍थम प्रयोग पश्चिमी यूरोप व अमेरिका के संदर्भ में किया था।

एर्गोनॉमिक्‍स (Ergonomics)

”Ergonomics” किसी श्रमिक की कार्यक्षमता एवं उसके द्वारा किए जाने वाले वास्‍तविक कार्य के मध्‍य संबंध का अध्‍ययन करने वाला विषय है। इसके अध्‍ययन का उद्देश्‍य कार्य क्षमता में वृद्धि करना है।

एकक्रेताधिकार (Monopsony)

बाजार की वह स्थिति जिसमें किसी वस्‍तु अथवा उत्‍पादन के साधन को केवल एक ही क्रेता हो, एकक्रेताधिकार (Monopsony) कहलाता है। इस विशिष्‍ट स्थिति के कारण यह क्रेता मनमानी कीमत पर वस्‍तु या उस साधन को खरीदना चाहता है। परन्‍तु, प्राय: यदि वह बहुत कम कीमत लगाता है तो साधन या वस्‍तु का विक्रेता अत्‍यन्‍त कम मात्रा बेचना चाहेगा। जैसे-जैसे क्रेता ऊंची कीमत ”ऑफर” करता है, वैसे-वैसे साधन या वस्‍तु विक्रेता उसकी आपूर्ति बढ़ाते जाएंगे। यही कारण है कि वस्‍तु विक्रेता उसकी आपूर्ति बढ़ाते जाएंगे। यही कारण है कि क्रेताधिकारी के लिए साधन या वस्‍तु का पूर्ति चक्र धनात्‍मक व ढलानयुक्‍त होता है।

एकाधिकार (Monopoly)

एकाधिकार (Monopoly) उस बाजार स्थिति को कहते हैं, जिसमें एक वस्‍तु का केवल एक ही विक्रेता होता है तथा वैधानिक अथवा विशाल स्‍तर के कारण किसी नई फर्म का बाजार में प्रवेश नहीं हो पाता ।

क्‍लोजिंग स्‍टॉक (Closing Stock)

वह माल जो व्‍यापार में वर्ष के अंत में प्रयोग होने अथवा विक्रय होने से बच जाता है, उसे ”Closing Stock” कहते हैं।

काउण्‍टर ट्रेड एवं काउंटर गारंटी (Counter Trade Counter Guarrantee)

जब कभी दो देशों के पास व्‍यापार करने हेतु विदेशी मुद्रा के भण्‍डार नहीं हों इसके बावजूद ये परस्‍पर व्‍यापार करना चाहें तो ऐसा प्रति व्‍यापार के माध्‍यम से ही हो सकता है। संक्षेप मे अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार में वस्‍तु विनिमय को ही प्रति व्‍यापार (Counter Trade) कहा जाता है। दूसरे शब्‍दों में, अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार में काउण्‍टर ट्रेड ऐसी नीति है जिसके अंतर्गत हम उस कंपनी/राष्‍ट्र से आयात करें जो बदलें में हमसे आयात करे। ”काउंटर गारंटी” निवेशक के निवेश के संरक्षण के परिप्रेक्ष्‍य में सरकार द्वारा दी जाती है। इससे कोई भी विदेशी कंपनी जिस देश में उद्योग स्‍थापित कर रही है, एक प्रकार से उसका लाभ सुनिश्चित किया जाता है।

काला बाजार (Black Market)

जमाखोरी द्वारा बाजार में कृत्रिम कमी पैदा करके वस्‍तुओं की कीमतें बढ़ाकर अधिक लाभ कमाने को ”काला बाजार” (Black Market) कहते हैं।

काला धन 

ऐसा धन जिसकी उत्‍पत्ति अवैधानिक गतिविधियों से हुई हो अथवा वह धन जिस पर कोई कर न चुकाया गया हो, काला धन कहलाता है।

करेन्‍सी तिजोरियां (Currency Chests)

करेंसी तिजोरियां (Currency Chests) ऐसे बॉक्‍स हैं जिनमें धात्विक सिक्‍कों के साथ-साथ नए या पुन: जारी कर सकने योग्‍य करेंसी नोटों का भण्‍डार रखा जाता है। यह तिजोरियों रिजर्व बैंक, स्‍टेट बैंक और उसके सहायक बैंको, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों सरकारी खजानों तथा उप खजानों द्वारा संचालित की जाती है।

क्रेता बाजार (Buyer’s Market)

वह बाजार जिसमें वस्‍तु की मांग उसकी पूर्ति से कम होती है, ”क्रेता बाजार” (Buyer’s Market) कहलाता है। इसके फलस्‍वरूप उपभोक्‍ता कीमतों को नीचे करने में काफी हद तक सफल हो जाता है।

कॉल मनी (Call Money)

किसी कंपनी द्वारा जब शेयर जारी किए जाते हैं, तो शेयर के मूल्‍य का एक भाग शेयर आवेदनकर्ता से आवेदनपत्र के साथ ले लिया जाता है तथा बची हुई राशि निश्चित तिथि तक किश्‍तों में मांगी जातीहै, जिसे (Call Money) कहा जाता है।

कोर सेक्‍टर (Core Sector)

अर्थव्‍यवस्‍था के विकास हेतु कुछ आधारभूत संरचनाओं की आवश्‍यकता (जैसे- सीमेंट, लोहा-इस्‍पात, पेट्रोलियम, भारी मशीनरी इत्‍यादि) होती है। इन आधारभूत उद्योगों का विकास करके ही अन्‍य उद्योगों की स्‍थापना की जा सकती है। इन्‍हें “Core Sector” का उद्योग कहा जाता है।

खुला व्‍यापार (Free Trade)

बिना किसी सरकारी नियंत्रणों के खुले रूप में वस्‍तुओं का आयात-निर्यात ”खुला व्‍यापार” (Free Trade) कहलाता है।

खुले बाजार की क्रियाएं (Open Market Operations)

केन्‍द्रीय बैंक द्वारा साख नियंत्रण के लिए अपनाई जाने वाली विभिन्‍न नीतियों में एक प्रमुख ”खुले बाजार की क्रियाएं” (Open Market Operations) हैं। इसके अंतर्गत केन्‍द्रीय बैंक द्वारा मुद्रा बाजार में किसी भी प्रकार के बिलों अथवा प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है। परन्‍तु, संकीर्ण अर्थ में इससे अभिप्राय केन्‍द्रीय बैंक द्वारा केवल सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है।

गरीबी रेखा (Poverty Line)

आय का वह स्‍तर जो अपर्याप्‍त उपभोग से व्‍यक्ति को बचाता है, ”गरीबी रेखा” (Poverty Line) कहलाता है। दूसरे शब्‍दों में, वह न्‍यूनतम आवश्‍यक आय जो किसी परिवार के जीवन निर्वाह के लिए आवश्‍यक होती है, वह गरीबी रेखा की सीमा होती है। इससे कम आय प्राप्‍त करने वाले प‍रिवार को गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है।

गैर-निष्‍पादनीय परिसंपत्तियाँ (Non-Performing Assets)

गैर-निष्‍पादनीय परिसम्‍पत्तियां (Non-Performing Assets) बैंकों एवं वित्‍तीय संस्‍थानों द्वारा वितरित वे ऋण हैं जिनके मूलधन एवं उस पर देय ब्‍याज की वापसी समय से नहीं हो पाती।

गैर-योजना ऋण (Non-Plan Loan)

लघु बचतों द्वारा जमा राशि के बदले में राज्‍य सरकारों को दिया जाने वाला ऋण ”गैर-योजना ऋण” (Non-Plan Loan) कहलाता है। इस प्रकार के ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को उनके नकद घाटे और कार्यशील व्‍ययों को पूर्ण करने के लिए तथा केन्‍द्र शासित प्रदेशों को उनके गैर-योजना पूंजी अंतराल को पूर्ण करने आदि के लिए प्रदान किया जाता है।

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About the author

Nitin Gupta

My Name is Nitin Gupta और मैं Civil Services की तैयारी कर रहा हूं ! और मैं भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश से हूँ। मैं इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशील किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !!

मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है ! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

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