नमस्कार दोस्तो , स्वागत है हमारी बेबसाइट पर
दोस्तो , आज की पोस्ट में हम आपको अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ उपलब्ध कराने जा रहे हैं जिनमें से बहुत से Question आपके Exams में आ सकते हैं ! दोस्तो इस पोस्ट को हम तीन पार्ट में उपलब्ध करा रहे हैं ! यह इसका दूसरा पार्ट है , आप इसे अच्छे से पढिये और याद कर लीजिये ! इसके अन्य दो पार्ट की लिंक भी इस पोस्ट के अंत में दी हुई है , आप इन्हें भी पढ सकते हैं !
सभी बिषयवार Free PDF यहां से Download करें
Most Important Question and Answer Related to Economic in Hindi
गिनी गुणांक (Gini Co-efficient)
आय / सम्पत्ति के वितरण में व्याप्त असमानता का सांख्यिकीय माप ”गिनी गुणांक” है। यदि गिनी गुणांक शून्य है तो समाज के सभी व्यक्तियों की आय समान मानी जाएगी। इसके विपरीत यदि गिनी गुणांक का मान 1 है, तो इसका आशय यह है कि एक ही व्यक्ति के पास समस्त आय केन्द्रित है। अन्य शब्दों में गिनी गुणांक शून्य से जितना अधिक है, आय या सम्पत्ति के वितरणमें उतनी ही अधिक विषमता मानी जाएगी।
गैर-योजना व्यय (Non-Plan Exenditure)
वह सभी सरकारी खर्चे (जैसे – ब्याज,पेंशन,रक्षा, वैदेशिक संबंधों तथा राज्यों को वैधानिक अंतरण पर होने वाले कुछ खर्चे) जो योजनाके अंतर्गत नहीं आते ”गैर-योजना व्यय” (Non-Plan Exenditure) के अंतर्गतआते हैं।
गिफिन वस्तुएं (Giffin Goods)
ऐसी वस्तु जिसकी कीमत बढ़ने (कम होने) पर उसकी मांग में भी वृद्धि (कमी) होती है, गिफिन वस्तु कहलाती है। इस वस्तु का उपभोग प्राय: समाज का अत्यन्त निम्न आय वाला वर्ग ही करता है। इसीलिए जब गिफिन वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तो अन्य वस्तुओं का उपभोग कम करके उपभोक्ता इसकी मांग बढ़ाता है। इसके विपरीत जब कीमत में कमी होती है तो उपभोक्ता अन्य अर्थात् बेहतर वस्तुओं का उपभोग करने हेतु गिफिन वस्तु का उपयोग कम करना चाहता है। इस प्रकार गिफिन वस्तु का कीमत के साथ धनात्मक संबंध होता है।
गैर-योजना अनुदान (Non-Plan Grants)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत वित्त आयोग की सिफारिश पर विशिष्ट योजनाओं के लिए दिया जाने वाला अनुदान गैर-योजना अनुदान (Non-Plan Grants) कहलाता है।
घिसावट (Depreciation)
किसी सम्पत्ति की अनवरत् उपयोग करने से उसके मूल्य में प्राय: कमी होती जाती है, इस मूल्य ह्रास को ”घिसावट” (Depreciation) कहा जाता है। मूल्य का ह्रास सम्पत्ति के प्रारंभिक मूल्य एवं उसके जीवन काल पर निर्भर करता है।
घाटा
बजट या विदेशी सौदों से प्राप्तियों की राशि जब भुगतानों की राशि से कम हो तो इसे क्रमश: बजट घाटा (Budget Deficit) / भुगतान संतुलन की ऋणात्मक स्थिति कहा जाता है। इसी तरह जब आयातों की राशि निर्यातों की राशि से अधिक हो तो इसे व्यापार घाटा माना जाता है।
घाटे की वित्त व्यवस्था (Deficit Financing)
जब कभी बजट घाटे को पाटने हेतु सरकार केन्द्रीय बैंक से ऋण लेती है तो यह ”घाटे की वित्त व्यवस्था” (Deficit Financing) कहलाती है।
चालू खाता (Current Account)
यह एक प्रकार की मांग जमा (Demand Deposit) खाता है, जिसे ”Current Account” कहा जाता है। किसी देश के विदेश व्यापार(दृश्य) एवं अदृश व्यापार की दशा में प्रस्तुत करने वाली, तालिका, जो निर्दिष्ट अवधि में उस देश के भुगतान शेष को दर्शाती है। बैंक जमा खाते का अर्थ है – इन खातों में जमा राशियों पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता, अपितु बैंक लेन-देनों की संख्या के आधार पर कुछ सेवा शुल्क खाताधारी से वसूल करता है।
चालू कीमतें (Current Prices)
निर्दिष्ट अवधि में प्रचलित औसत कीमतें ”चालू कीमतें” (Current Prices) कहलाती है, जैसे कि 2003-04 की औसत कीमतों के आधार पर ”सकल घरेलू उत्पाद” का अनुमान करना हो तो इस वर्ष प्रचलित कीमतों के औसत से संबद्ध वस्तुओं व सेवाओं की मात्रा को गुणा किया जाता है। चालू कीमतों में ”मुद्रास्फीति” या संकुचन का प्रभाव दिखाई देता है।
चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment)
किसी व्यापार चक्र में मंदी काल में सकल मांग का स्तर नीचा होने के कारण परिलक्षित बेरोजगारी को ”चक्रीय बेरोजगारी” (Cyclical Unemployment) कहते हैं। यह बेरोजगारी व्यापार चक्र के अगले काल(अर्थात स्फीति वाले काल) में स्वत: लुप्त हो जाती है। इसका कारण यह है कि उस अवधि में कीमतें, उत्पादन तथा सकल मांग में वृद्धि होती है।
चिट फण्ड (Chit Fund)
कुछ लोग मिलकर लघु बचतों के सदुपयोग की दिशा में निश्चित नियमों के सदुपयोग की दिशा में निश्चित नियमां के अंतर्गत ”चित फंड” (Chit Fund) का निर्माण करते हैं, जिसमें प्रत्येक सदस्य निश्चित राशि देता है और इस राशि को प्रत्येक महीने आवश्यकतानुसार किसी एक सदस्य को प्रदान कर दिया जाता है।
चार्टर पार्टी
”चार्टर पार्टी” निर्यातक एवं जहाजी कंपनी के मध्य इस प्रकार का एक प्रकार का एक अनुबंध है, जिसमें कंपनी किसी निर्दिष्ट जहाज पर निर्यातक के माल के अतिरिक्त किसी अन्य का माल नहीं ले जाती। पूरे जहाज को ठेके पर लेने के लिए जो वचन-पत्र देना होता है, उसे ही चार्टरपार्टी या जहाजी प्रसंविदा प्रपत्र के नाम से पुकारा जाता है।
जीरो नेट एड (Zero Net Aid)
जब किसी देश विशेष की आर्थिक व्यवस्था स्वनिर्भर हो जाती है तथा उसे किसी विदेशी आर्थिक सहायता की आवश्यकता नहीं होती, तो वह ”जीरो नेट एड” (Zero Net Aid) कहलाती है।
जीरो बेस बजटिंग (Zero base budgeting)
”शून्य आधार बजट निर्माण” (Zero base budgeting) व्यवस्था के अंतर्गत सरकार या किसी भी संगठन को बजट के सिद्धांतों से प्रारंभ करतें हुए संगठन या सरकारी नीतियों के उद्देश्य की व्याख्या करनी चाहिए तथा यह स्पष्ट करना चाहिए कि किस तरह प्रस्तावित बजट उन उद्देश्यों की पूर्ति का माध्यम हो सकेगा। सामान्य प्रचलित व्यवस्था में गत वर्ष के राजस्व, अन्य प्राप्तियों, राजस्व व्यय तथा पूंजीगत व्यय के अनुमानों का विवरण दिया जाता है। प्राय: गत वर्ष के आय-व्यय की राशियों में नाम मात्र का परिवर्तन करके आगामी वर्ष के प्रस्तावों तथा अनुमानों को निरूपित कर दिया जाता है। शून्य आधारित बजट व्यवस्था की यह विशेषता होती है कि इसमें जनता की आकांक्षाओं, सरकारी नीतियों विगत खर्चों तथा आय, प्रस्तावित खर्चों की वांछनीयता तथा उनकी पूर्ति हेतु बजट में प्रस्तावित करों आदि के बीच सामंजस्य रखा जाता है। भारत में बजट वर्ष 1987-88 से ”शून्य आधारित बजट” लागू करने का निर्णय लिया गया।
जीरो कूपन बॉण्ड (Zero Coupn Bond)
यह ऐसी सरकारी प्रतिभूतियां हैं जिन पर प्रत्यक्ष रूप से कोई ब्याज देय नहीं होता। साथ ही, परिपक्वता पर केवल अंकित मूल्य का ही भुगतान किया जाता है। परन्तु, ऐसे बॉण्डों की ब्रिकी अंकित मूल्य से कम पर ही की जाती है। इस प्रकार इन बॉण्डों के क्रय मूल्य व अंकित मूल्य का अंतर ही सरकार पर ब्याज भार है।
जन्मदर (Birth Rate)
प्रति हजार जनसंख्या के पीछे जितने के पीछे जितने बच्चों का जन्म हुआ, उसे जन्मदर (Birth Rate) कहते हैं।
जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)
किसी भी देश के लोगों के जीवित रहने की औसत आयु को ”जीवन प्रत्याशा” (Life Expectancy) कहा जाता है।
जीवन निर्वाह सूचकांक (Cost of Living Index)
किसी आधार वर्ष के आधार पर बनाया गया वह सूचकांक जो जीवन निर्वाह हेतु आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है, ”जीवन निर्वाह सूचकांक” (Cost of Living Index) कहलाता है। इसी के आधार पर वेतन आदि में संशोधन किया जाता है।
सी. आर. फार्म
विदेशी व्यापार प्रक्रिया के अंतर्गत जी. आर. फार्म रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा निर्धारित वह फार्म है, जिसे निर्यातक द्वारा भरकर रिजर्व बैंक को देना होता है। इससे बैंक को यह जानकारी प्राप्त होती है कि विदेशों में बेचे गए माल से जो विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी वह भारत में प्रेषित कर दी जाएगी।
तेजडि़या व मंदडि़या (Bulls and Bears)
यह शब्द स्टॉक एक्सचेंज से संबंधित हैं। जो व्यक्ति स्टॉक मार्केट की कीमतें बढ़ाना चाहता है, उसे तेजडि़या (Bulls) कहते हैं, जबकि जो व्यकित कीमतें गिराने की आशा करके किसी वस्तु को भविष्य में देने का वायदा करके बेचता है, वह मंदडि़या (Bears) कहलाता है।
तरलता (Liquidity)
किसी सम्पत्ति या वस्तु की नकद मुद्रा में परिवर्तनीयता ”तरलता” (Liquidity) कहलाता है। विदेशी मुद्रा, बैंक जमाओं आदि में अत्यधिक तरलता पाई जाती है।
तरल सम्पत्तियां (Liquid Assets)
ऐसी मौद्रिक सम्पत्ति (मुद्रा) जिसे सीधे ही भुगतान हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है, तरल सम्पत्तिया (Liquid Assets) कहलाती हैं।
तरलता की कठिनाई (Liquidity Constraint)
किसी व्यक्ति अथवा फर्म को वांछित ऋण की प्राप्ति न होना ”तरलता की कठिनाई” (Liquidity Constraint) कहलाती है।
तरलता अनुपात (Liquidity Ratio)
वित्तीय संस्थाओं विशेषतया बैंकों की कुल देनदारियों में तरल समपत्ति का अनुपात ”तरलता अनुपात” (Liquidty Ratio) कहलाता है। प्राय: केन्द्रीय बैंक अथवा कानून द्वारा तरलता का एक न्यूनतम अनुपात निर्धारित किया जाता है।
दोहरी गणना (Double Counting)
राष्ट्रीय आय का अनुमान करते समय प्राय: प्रत्येक फर्म द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तु का मूल्य लिया जाता है तथा इसके अन्य फर्मों से खरीदे गए “Inputs” को घटाया नहीं जाता। वस्तुत: ये इनपुट्स उन फर्मों के उत्पादों का मूल्य लेने पर दोहरी गणना (Double Counting) की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
दोहरा करारोपण (Double Taxation)
किसी एक ही आय पर दो राज्यों या दो देशों द्वारा कर लगाया जाना, ”दोहरा करारोपण” कहलाता है। ऐसा तब होता है जब किसी कंपनी की सम्पत्ति से एक देश में अर्जित आय पर उस देश में कर लगाया जाता है। परन्तु, यदि वह कम्पनी मूलत: दूसरे देश में स्थित हो और वहां भी पहले देश में अर्जित आय पर करारोपण कर दिया जाए। इस प्रकार एक ही आय पर कंपनी दोहरा कर देती है।
दोहरी अर्थव्यवस्था (Dual Economy)
ऐसी अर्थव्यवस्था जहां पूंजी गहन तकनीक का उपयोग कुछ क्षेत्रों में होता है और साथ ही उन्हीं क्षेत्रों या अन्य क्षेत्रों में परम्परागत व श्रम गहन तकनीक भी प्रयुक्त होती हो, तो ”दोहरी अर्थव्यवस्था” (Dual Economy) कहा जाता है। उदाहरण के लिए कृषि क्षेत्र में भारत में उच्च स्तरीय पूंजी गहन तकनीक के साथ बैलों से जुताई या सिंचाई की तकनीक भी प्रयुक्त हो रही है।
द्वैधिकार (Duopoly)
द्वैधिकार (Duopoly) बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु के केवल दो उत्पादक या विक्रेता होते हैं।
द्विक्रेताधिकार (Duopsony)
द्विक्रेताधिकार (Duopsony) ऐसे बाजार को कहा जाता है जिसमें किसी वस्तु के दो क्रेता होते हैं।
दृश्य अथवा मूर्त प्रतिभूति (Tangible security)
दृश्य प्रतिभूति (Tangible security) में ऋण की वसूली प्रतिभूति बेचकर की जा सकती है। दृश्य प्रतिभूति मे शेयर, डिबेंचर्स, सरकारी प्रतिभति, माल एवं जीवन बीमा पालिसी आदि को शामिल किया जाता है।
देशी बैंकिंग (Indigenous Banking)
भारत में देशी बैंकिन (Indigenous Banking) व्यवस्था के अंतर्गत सर्राफ, सेठ साहूकार, महाजन तथा शेट्टी आदि को सम्मिलित किया जाता है।
धारक ऋण पत्र (Bonds)
ऐसी वित्तीय प्रतिभूतियां जिन पर किसी व्यक्ति या फर्म का नाम अंकित नहीं होता तथा धारक ही इस प्रकार के ऋण पत्र या प्रतिभूति का स्वामी माना जाता है, ”धारक ऋण पत्र” (Bonds) कहलाता है।
नकद कटौती (Cash Discount)
नकद कटौती (Cash Discount) उन व्यापारियों को प्रदान की जाती है, जो एक निश्चित तिथि से पूर्व भुगतान नकदी में कर देते हैं।
निचले स्तर से नियोजन (Planning from below)
निचले स्तर से नियोजन (Planning from below) का आशय ऐसे नियोजन से है जिसमें समाज के निर्धन व पिछड़े वर्गों को योजना का सर्वाधिक लाभ प्राप्त हो।
नकद आरक्षण अनुपात (Cash Reserve Ratio, CRR)
व्यापारिक बैंकों द्वारा अपनी जमाओं व देनदारियों का वह भाग जिसे उन्हें रिजर्व बैंक के पास नकद के रूप में रखना होता है, ”नकद आरक्षण अनुपात” (CRR) कहा जाता है। रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 42(1) के अंतर्गत अनुसूचित बैंकों को यह अनिवार्य है कि वे अपनी जमाराशि के कम से कम 3% के बराबर रकम रिजर्व बैंक के पास नकद रूप में जमा रखें। रिजर्व बैंक को यह अधिकार है कि वह उस अनुपात का बढ़ाकर 15% तक कर सकता है।
निगम कर (Planning from below)
यह एक प्रत्यक्ष कर है, जो कम्पनियों के मुनाफे पर लगाया जाता है, इसे अंग्रेजी में “Corporate Tax” कहते हैं।
निजी क्षेत्र (Private Sector)
अर्थव्यवस्था के उस क्षेत्र को निजी क्षेत्र (Private Sector) कहते हैं, जिसमें आर्थिक संसाधनों पर निजी नियंत्रण होता है तथा निजी लाभ के उद्देश्य से ही इनका उपयोग किया जाता है।
प्लास्टिक मनी (Plastic Money)
विभिन्न बैंकों, वित्तीय संस्थानों तथा अन्य कंपनियों द्वारा जारी किए गए ”क्रेडिट कार्ड” को प्लास्टिक मुद्रा” (Plastic Money) कहा जाता है।
प्रशासित मूल्य (Administrered Price)
जब किसी वस्तु के मूल्य का निर्धारण बाजार की मांग व पूर्तिकी स्वतंत्र शक्तियों द्वारा न होकर किसी केन्द्रीय शक्ति द्वारा होता है, तो इस प्रकार का मूल्य ”प्रशासित मूल्य” (Administrered Price) कहलाता है।
परिवर्तनशीलता (Convertibility)
एक विदेशी मुद्रा अथवा अंतर्राष्ट्रीय रिजर्व कोष की अन्य विदेशी मुद्राओ में परिवर्तनशीलता की स्वतंत्रता ”प्रतिवर्तनशीलता” कहलाती है। ऐसी मान्यता है कि यह परिवर्तनशीलता जितनी मुक्त होगी, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा पूंजी का प्रवाह बढ़ने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment)
यह इस प्रकार की बेरोजगारी है जिसमें व्यक्तिस्पष्ट रूप से बेरोजगार प्रतीत नहीं होते है। वे काम पर तो लगे होते हैं, किन्तु उस काम में उनकी सीमान्त उत्पादकता शून्य होती है। भारत में कृषिक्षेत्र में पर्याप्त प्रच्छन्न या अदृश्य बेरोजगारी (Disguised Unemployment) पाई जाती है।
पेटेंट (Patent)
नए उत्पाद, उत्पादन की नई प्रक्रिया तथा नई तकनीक के आविष्कार को सरकार द्वारा दी गई औपचारिक मान्यता ”पेटेंट” कहलाती है। पेटेंट प्राप्त होने पर इसके धारक को एक प्रकार का एकाधिकार प्राप्त हो जाता है, क्योंकि उस प्रकार की वस्तु का उत्पाद, उस प्रकार की प्रक्रिया तथा तकनीक का उपयोग अन्य कोई फर्म नहीं कर सकती। परन्तु, पेटेंट धारक की निरंकुशता को नियमित करने हेतु प्राय: सरकार पेटेंट का पंजीकरण एक निर्दिष्ट समय के लिए ही करती है, जिसका नवीनीकरण अनिवार्य होता है।
पूर्ति की लोच (Elasticity of Supply)
किसी वस्तु के मूल्य में परिवर्तन के परिणामस्वरूप उस वस्तु की पूर्ति की गई मात्रा में सापेक्षिक परिवर्तन की दर को पूर्ति की लोच (elasticity of Supply) कहते हैं
प्रारंभिक जमा (Primary Deposits)
प्रारंभिक जमा (Primary Deposits) से तात्पर्य उन जमा राशियों से है, जो नकदी अथवा वास्तविक मुद्रा के रूप में जमाकर्ताओं द्वारा बैंक में जमा की जाती हैं।
प्रतिभूति (Security)
प्रतिभूति एक व्यापक शब्द है। एक अर्थ में प्रतिभूति (Security) शब्द का प्रयोग प्रपत्रों के रूप में वित्तीय परिसम्पत्तियाँ जैसे कि शेयर, डिबेंचर्स व अन्य ऋण पत्रों आदि के लिए किया जाता है। बैंकिग प्रणाली में ऋणों की जमानत के संदर्भ में भी ”प्रतिभूति” शब्द प्रयुक्त होता है। यहां प्रतिभूति से अभिप्राय: उस बीमित हित से होता है, जो ऋण के भुगतान न होने की स्थिति में उत्पन्न होता है। दूसरे शब्दों में, प्रतिभूति ऋण का बीमा होती है। बैंकों द्वारा ऋण लेने वाले को व्यक्तिगत अथा दृश्य प्रतिभूति पर ऋण प्रदान किया जाता है।
प्राथमिक प्रतिभूति (Primary Secutiry)
प्राथमिक प्रतिभूति (Primary Secutiry) से अभिप्राय उस प्रतिभूति से होता है, जो ऋण को मुख्यतया सुरक्षित करता है तथा यह प्रतिभूति ऋणी द्वारा प्रदत्त की जाती है।
पूंजी बाजार (Capital Market)
वह बाजार जहां पर उद्यम की दीर्घकालीन पूंजी की आवश्यकता की पूर्ति होती है, पूंजी बाजार (Capital Market) कहलाता है।
प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)
जब किसी देश की राष्ट्रीय आय को उसकी कुल जनसंख्या से भाग किया जाता है, तो प्राप्त होने वाली आय प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) कहलाती है।
पेट्रो डॉलर (Petro Dollar)
पेट्रोलियम निर्यातक देशों द्वारा पेट्रोल की ऊँची कीमतों पर बिक्री के द्वारा जो विदेशी मुद्रा (मुख्यतया अमेरिकी डॉलर के रूप में) प्राप्त की जाती है, उसे “Petro Dollar” कहते हैं।
पूंजी बजट (Capital Budget)
पूंजी बजट (Capital Budget) के अंतर्गत पूंजी प्राप्ति और पूंजी भुगतान का विवरण होता है।
पूंजी उत्पाद अनुपात (Capital Output Ratio)
प्रति ईकाई उत्पादन के लिए आवश्यक पूंजी की मात्रा ”पूंजी उत्पाद अनुपात” (Capital Output Ratio) कहलाती है।
पोर्टफोलियो (Portfolio)
विभिन्न प्रकार की वित्तीय परिसंपत्तियों को जो किसी निवेशकर्ताके पास उपलब्ध रहती है, “Portfolio” कहा जाता है।
प्राकृतिक वृद्धि दर (Rate of Natural Grouth)
जन्म दर और मृत्यु दर के अंतर को ”प्राकृतिक वृद्धि दर” (Rate of Natural Grouth) कहा जाता है।
प्राथमिक घाटा (Primary Deficit)
यदि सकल राजकोषीय घाटे में से ब्याज के भुगतान को घटा दिया जाता है तो प्राप्त होने वाली राशि ”प्राथमिक घाटा’ (Primary Deficit) कहलाती है।
फ्लोटिंग ऑफ करेंसी (Floating of Currency)
किसी मुद्रा की विनिमय दर को स्वतंत्र छोड़ देना जिससे कि मांग और आपूर्ति की दशाओं के आधार पर वह अपना नया मूल्य तय कर सके, ”Floating of Currency” कहलाता है।
फिडयूसियरी इश्यू (Fiduciary Issue)
बिना रिजर्व रखे कागजी मुद्रा का चलन में ले आना ”Fiduciary Issue” कहलाता है।
फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (Foreign Direct Investment, FDI)
किसी देश के व्यक्तियों या संस्थानों द्वारा अन्य देश की फर्मों की संपत्ति पर अधिकार अथवा सीधे उत्पादक संरचनाओं में निवेश करना FDI कहलाता है। इसमें इन संस्थाओं की पूंजी में भागीदारी तथा उन्हें खरीदना भी शामिल है। निवेशकर्ता को निवेशित पूंजी पर अर्जित लाभांश को अपने देश में भिजवाने की पूंजी स्वतंत्रता रहती है।
फैक्टर कास्ट (Factor Cost)
उत्पादन प्रक्रिया में प्रयुक्त साधनों की लागत को उत्पादन लागत (Factor Cost) कहते है।
फैक्टर इन्टैनिसटी (Factor Intensity)
वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में प्रयुक्त साधनों का अनुपात अथवा सापेक्ष भाग ”Factor Intensity” कहलाता है।
फॉरवर्ड मार्केट (Forward Market)
फॉरवर्ड मार्केट (Forward Market) एक ऐसा बाजार है जिसमें वस्तु, प्रतिभूति या विदेशी मुद्रा को अग्रिम रूप में बेचने या खरीदने का सौदा किया जाता है।
फ्रेंचाइजी (Franchise)
दो या दो से अधिक फर्मों को एक सामान्य व्यवस्था के संचानल हेतु अधिकृत किया जाना ”Franchise” कहलाता है।
फ्यूचर मार्केट (Future Markets)
वह बाजार जिसमें वस्तुओं, प्रतिभूतियों अथवा विदेशी मुद्राओं की खरीद हेतु सौदे तो आज की तिथि में किए जाएं, किन्तु इसके समापन हेतु भविष्य की कोई तिथि रखी जाती है, ”Future Markets” कहलाता है।
फ्री ट्रेड एरिया
यह एक प्रकार का व्यापार समझौता है, जिसके अंतर्गत सम्बद्ध देशों द्वारा परस्पर व्यापार हेतु सभी प्रकार की पाबंदियां, कर तथा नियंत्रणों को समाप्त कर दिया जाता है।
बजट
सरकार द्वारा निरूपित प्राप्तियों तथा खर्चों का विवरण जिस पर संसद अथवा कार्यपालिका की मुहर लगवाई जाती है ”बजट” कहलाता है।
बहुराष्ट्रीय निगम (Multinational Corporation)
एक ऐसी कंपनी जिसके कार्य क्षेत्र का विस्तार एक से अधिक देशों में होता है और जिसका उत्पादन एव्ं सुविधाएं उस देश से बाहर भी संपन्न होती हैं, जिसमें यह जन्म लेती है, तो ऐसी कंपनी को ”बहुराष्ट्रीय निगम” (Multinational Corporation) कहा जाता है।
बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights)
किसी विशिष्ट बौद्धिक पद्धति से विकसित वस्तु, सेवा या तकनीक का स्व-उपयोग करने का अधिकार या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उसका उपयोग करने पर प्रतिबंध का अधिकार या उचित मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार ”बौद्धिक संपदा अधिकार” (IPR) कहलाता है।
बूम (Boom)
अर्थव्यवस्था में ”Boom” का स्थिति उस समय प्रत्यक्ष होती है, जब आर्थिक क्रियाओं का तेजी से विस्तार होता है। मांग में वृद्धि को परिणामस्वरूप किसी उद्योग विशेष में भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
बफर स्टॉक (Buffer Stock)
आपात स्थिति में किसी वस्तु की कमी को पूर्ण करने के लिए वस्तु का स्टॉक तैयार करना ”बफर स्टॉक” (Buffer Stock) कहलाता है।
ब्रिज लोन (Bridge Loan)
कंपनियां प्राय: अपनी पूंजी का विस्तार करने के लिए नए शेयर तथा ”डिबेंचर्स” जारी करती रहती हैं। कंपनी को शेयर जारी करके पूंजी जुटाने में 3 माह से भी अधिक समय लगता है। इस कंपनियां बैकों से अंतरिम अवधि के लिए जो ऋण प्राप्त करती हैं, वह Bridge Loan कहलाता है।
बैड डेब्ट (Bad Debt)
वह ऋण जिसकी वसूली संदिग्ध हो अथवा संभव न हो “Bad Debt” कहलाता है।
ब्ल्यू चिप (Blue Chip)
“Blue Chip” शब्द प्राय: उन कम्पनियों के शेयरों के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जो अत्यन्त सुदृढ़ हैं तथा जिनका प्रबंधन आदि अति कुशल है। ऐसे शेयरों को खरीदने में हानि की संभावना बहुत कम होती है।
बॉण्ड अथवा डिबेंचर (Bond and Debenture)
बॉण्ड एवं डिबेंचर (Bond and Debenture) का अर्थ ऋण पत्रों से होता है, जिन्हें केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार अथवा किसी संस्थान द्वारा ऋण लेकर जारी किया जाता है।
बैंक दर (Bank Rate)
बैंक दर (Bank Rate) से अभिप्राय उस दर से है, जिस पर केन्द्रीय बैंक सदस्य बैंकों के प्रथम श्रेणी के बिलों की पुनर्कटौती करता है अथवा स्वीकार्य प्रतिभूतियों पर ऋण देता है। कुछ देशों में इसे कटौती दर भी कहा जाता है।
भुगतान संतुलन या भुगतान शेष (Balance of Payments)
एक निर्दिष्ट अवधि में किसी देश का शेष विश्व के साथ हुए व्यापार तथा वित्तीय प्रवाहों का वितरण भुगतान शेष (Balance of Payments) कहलाता है। यह दो खण्डों में विभाजित होता है – चालू खाता एवं पूंजी खाता। चालू खाते में दृश्य और अदृश्य मदों के व्यापार का लेखा होता है, जबकि पूंजी खाते में विनियोग एवं अन्य पूंजी प्रवाहों का लेखा होता है।
भूमण्डलीयकरण (Globalization)
भूमण्डलीकरण अथवा वैश्वीकरण का तात्पर्य है – ”देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना” दूसरे शब्दों में प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी एवं श्रम के साथ बौद्धिक संपदाओं का निर्बाध आदान-प्रदान ही भूमण्डलीकरण कहलाता है। भूमण्डलीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक देश कुछ बाजारोन्मुखी आर्थिक सुधारों का कार्यक्रम क्रियान्वित करे, इस हेतु अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं व व्यापारिक संस्थाओं द्वारा कुछ निर्देशक सिद्धांत सुझाए गए हैं।
- अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ एवं अवधारणाएं Part – 1 यहां पढें
- अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ एवं अवधारणाएं Part – 3 यहां पढें
राजव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ यहां पढें
Click Here to Subscribe Our Youtube Channel
दोस्तो आप मुझे ( नितिन गुप्ता ) को Facebook पर Follow कर सकते है ! दोस्तो अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस Facebook पर Share अवश्य करें ! क्रपया कमेंट के माध्यम से बताऐं के ये पोस्ट आपको कैसी लगी आपके सुझावों का भी स्वागत रहेगा Thanks !
दोस्तो कोचिंग संस्थान के बिना अपने दम पर Self Studies करें और महत्वपूर्ण पुस्तको का अध्ययन करें , हम आपको Civil Services के लिये महत्वपूर्ण पुस्तकों की सुची उपलब्ध करा रहे है –
UPSC/IAS व अन्य State PSC की परीक्षाओं हेतु Toppers द्वारा सुझाई गई महत्वपूर्ण पुस्तकों की सूची
Top Motivational Books In Hindi – जो आपकी जिंदगी बदल देंगी
TAG – Most Important Terms and Concepts Related to Economy , List Of Basic Economics Terms and Definitions PDF , Economic Terms and Concepts , Economic Dictionary A-Z PDF , Economics Glossary the Full List , Common Economic Terms , Economic Words List PDF , Most Important Question and Answer Related to Economic in Hindi
Leave a Comment