‘’ जितनी बड़ी बाधा होगी उतना ही अधिक गौरव उसे पार करने में होगा। ‘’ – मॅलियर
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान अभ्यर्थी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं। हम इन समस्याओं में से कुछ प्रमुख समस्याओं की पहचान व उनके समाधान के बारे में बताने की कोशिश करेंगें:
- ग्रामीण/छोटे शहरों की समस्या
- पारिवारिक समस्या/धन की कमी
- शैक्षणिक पृष्ठ भूमि/अंग्रेजी का कमजोर ज्ञान होना
- माता-पिता की मनोवृति
- स्वास्थ्य/फिटनेस संबंधी समस्या
- नौकरी या उच्च शिक्षा के कारण तैयारी हेतु पर्याप्त समय का न मिल पाना
- बहाना बनाने की आदत
- परीक्षा से भयभीत होना
- अर्थहीनता की भावना
- सिनेमा/इण्टरनेट की ओर अति झुकाव होना
- जोखिम लेने की प्रप्ति अनिच्छा की भावना होना
- भाग्वादी प्रवृति
Lucent – सामान्य ज्ञान के सभी बिषय के MP3 Audio में यहां से Download करें
ग्रामीण/छोटे शहरों की समस्याएं
ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों से आने वाले अभ्यर्थी कुछ अलग प्रकार का नुकसान झेलते है:
- कोचिंग सुविधाओं तथा संबंधित दिशा-निर्देशों की कमी होना।
- प्रतियोगी परीक्षा जैसे वातावरण का न होना।
- सिविल सेवा परीक्षा हेतु गंभीर रूप से तैयारी करने वाले अभ्यर्थी समूह का न होना।
- पुस्तकों का अभाव, अध्ययन सामग्री का अभाव और परीक्षापयोगी इण्टरनेट सुविधा का अभाव होना।
- अंग्रेजी में कमजोर पकड़ होनें के कारण हीनभावना का होना।
- अच्छी संगति का न होना ( ऐसा समूह जिसकी कोई कैरियर महत्वाकांक्षाएं नहीं होती है उनके साथ वार्तालाप प्रक्रिया में व्यस्त रहना। )
उपरोक्त प्रथम पांच वास्तविक समस्याएं है, जबकि मजबूत इच्छाशक्ति होने पर छठी समस्या पर विजय पायी जा सकती है, जो अभ्यर्थी ग्रामीण पृष्ठभूमि के है उनके लिये यहां पर दो विकल्प है:
- समीप के किसी बडे शहर की ओर स्थानांतरित होना
- यदि स्थानान्तरण संभव न हो तो समय-समय पर अक्सर बड़े केन्द्र की ओर तैयारी हेतु जाते रहना। एक निश्चित समयवधि बीत जाने के बाद (लगभग एक महीना) आवश्यक अध्ययन सामग्री को एकत्रित करना तथा वहां पर एक गंभीर मित्रमंडली को तैयार करना और उनसे परीक्षा से संबंधित आवश्यक दिशा-निर्देश लेना।
यहां हम एकलव्य का उदाहरण देखते हैं , जिसने अपने सीखने के जुनून और मजबूत इच्छाशक्ति के कारण सभी समस्याओं पर विजय प्राप्त की। उसके पास आवश्यक सामग्री भी नहीं थीं तथा उसके पास वे सारी सुविधाऐं भी नहीं थीं , जिन सुविधाओं का आनंद कौरव व पांडव ले रहे थे ! उसके पास जबकि कोई शिक्षक/प्रशिक्षक भी नहीं था। फिर भी इस प्रकार की समस्याओं के होते हुए एकलव्य ने गंभीर समर्पण के द्वारा तींरदाजी के कला/विज्ञान में महारत हासिल की और उस समय के सबसे अच्छे शिक्षक गुरू द्रोणाचार्य के शिष्य अर्जुन की बराबरी की।
अत: यह बात सत्य ही कही गई है कि ‘’जहां चाह वहां राह होती है।‘’ आपके पास समीप में ही या यहां तक कि कुछ दूर पर भी हो, एक गंभीर मित्रों का समूह हो सकता है। जिस समूह के लिए कोचिंग और दिशा-निर्देश की सुविधा उपलब्ध हो, ऐसे समूह के निरंतर सम्पर्क में रहिए। आप ई-मेल, फेसबुक और निजी यात्रा जो भी सुविधायुकत हो, के माध्यम से ऐसे समूह से संपर्क स्थापित कर सकते है।
गुमराह करने वाले समूह से दूर होना
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले अभ्यर्थियों के लिए यह चीज महत्वपूर्ण है कि अपने स्कूल/कॉलेज के दिनों के उस सहपाठी समूह से दूर हो जाएं, जिस सहपाठी समूह के पास जीवन का स्पष्ट लक्ष्य और उद्देश्य न हो, क्योंकि उनके जीवन में महत्वाकांक्षाएं काफी न्यून होती है।
इस प्रकार का समूह आपको हमेशा यह चीज समझाने की कोशिश करेगा कि सफलता असंभव है और जीवन की उपलब्धियों का कोई महत्व नहीं होता है आदि। इस प्रकार का मनुष्य अपने ही बनाये जाल में फंस जाता है, लेकिन अभ्यर्थियों को इस प्रकार के समूह के दूर होना चाहिए। यदि वे अभ्यर्थी अपनी तैयारी के प्रति गंभीर है।
पारिवारिक समस्याएं तथा धन की कमी
कई अभ्यर्थी तैयारी हेतु अपने परिवार से वितीय मदद बड़ी कठिनाई से पाते हैं। उनके पास यह समस्या भी होती है कि उनके माता-पिता या उनसे बड़ा कोई व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों का सामना कर रहा हो। कई अभ्यर्थियों के पास पारिवारिक तनाव और अंतर्कलह भी होती है। और उनको अपने आपसे ही अपने परिवारों की मदद करनी पड़ सकती है। यहां तक कि उन अभ्यर्थियों में से कुछ की परम्परा के अनुसार कम उम्र में ही शादी हो जाती है। ये सभी चीजें उन अभ्यर्थियों के हौंसले और दृढ़ संकल्प को बाधित करती हैं।
इस समस्त मुद्दों से जितना संभव हो व्यावहारिक दृटिकोण अपनाकर ही बाहर निकला जा सकता है। जैसे कि अगर आपके पास वित्तीय कठिनाई है तो आप अपनी तैयारी के दौरान कोचिंग पढाकर भी इसे पूरा कर सकते हैं !
जहां तक पारिवारिक तनाव तथा उम्मीदों का सवाल है आप अपने आपको दैनिक पारिवारिक गतिविधियों से अलग रखिए, लेकिन यहां पर पुन: एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि आपको गंभीर तथा अनिवार्य पारिवारिक मामलों, जैसे- भाई या, बहन की शादी में भाग लेना चाहिए ! ये सारी चीजें बहुत कम समयान्तराल में कर लेनी चाहिए तथा पुन: अपने अध्ययन की ओर लौटना चाहिए।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि/अंग्रेजी का कमजोर ज्ञान होना
कई अभ्यर्थी यह सोचते है कि वे कमजोर शैक्षणिक पृष्ठभूमि से आये है तथा उनकी अंग्रेजी पर भी अच्छी पकड़ नहीं है। अत: वे सिविल सेवा परीक्षा मे सफल नहीं हो सकते है।
सर्वप्रथम मैं यह चीज स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि इस परीक्षा हेतु शैक्षणिक पृष्ठभूमि महत्व नहीं रखती है। आपने जीवन के पिछले वर्षों में क्या किया यह महत्वपूर्ण नहीं है। आप आने दो-तीन वर्षों में कितनी कठिन मेहनत कर सकते हैं यह चीज ज्यादा महत्वपूर्ण है। अपितु यह गौरव की बात हो सकती है कि आपने छोटे शहर या ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने तथा औसत शैक्षणिक पृष्ठभूमि के होते हुए भी इस कठिनतम परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
भाषा कभी भी इस परीक्षा में बाधक नहीं होता है , पहले हो सकता था कि हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों के लिये अच्छा मटेरियल बाजार में उपलब्ध नहीं था ! लेकिन आज हिन्दी माध्यम में भी बहुत ही बेस्ट मटेरियल बाजार में उपलब्ध है ! यू.पी.एस.सी. को ऐसे अभ्यर्थी चाहिए जो बुद्धिमान हों, जिनके विचारों और अभिव्यक्ति में स्पष्टता हो, जिनकी विश्लेषणात्मक योग्यता बहुत अच्छी हों, जो संवेदनशील हों और जिनकी सोच सकारात्मक हो। कई मामलों में आपकी कमजोर शैक्षणिक पृष्ठभूमि आपके लिए अतिरिक्त लाभ देती है,जब साक्षात्कार बोर्ड यह देखता है कि आपके द्वारा किया गया प्रयास अद्भुत है और यह चीज आपके लिए अतिरिक्त उपलब्धि के रूप में होती हैं।
ये भी पढें – पढाई के दौरान आने वालीं रुकाबटों को कैसे दूर करें ? ( Problems Faced by Students in Studies )
माता-पिता/अभिभावकों की मनोवृति
यह बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है, कभी-कभी यह देखा जाता है कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों पर अत्यधिक हावी होते है और उनके मामलों में अत्यधिक हस्तक्षेप भी करते है। वे कभी – कभी यह भी निर्धारित कर देते है कि आपको कौन-सा वैकल्पिक विषय चुनना चाहिए। उनके पास आपके आपके लिए अन्य कैरियर संबंधी योजनाएं भी होती है, जैस कि आप परम्परागत पारिवारिक व्यवसाय को चुनें और कभी वे यह भी चाहते है कि आप किसी अन्य कैरियर क्षेत्र की ओर बढ़े।
माता-पिता की मनोवृति से संबंधित समस्याओं में काबू पाना कठिन कार्य होता है, लेकिन असहनीय नहीं। मैं यह विश्वास करता हूँ कि यदि हम माता-पिता की उस विशिष्ट मनोवृति की पहचान कर लें जो आपको प्रभावित कर रही हो या करती हो और उन्हें पर्याप्त सममान और शिष्टाचार देते हुए उचित समय पर उनकी उस मनोवृति के बारे में उन्हें सूचति कर दें तो इस बात की पर्याप्त संभावना है कि माता-पिता उस बात को समझेंगे और अपने बच्चों की मदद भी करेंगें।
धीरे धीरे और धैर्यपूर्वक आप इन्हें अपने विचारों से अवगत करा सकते हैं
ये भी पढें – Student Life ( छात्र जीवन ) – यह समय फिर कभी नहीं आएगा
स्वास्थ्य और फिटनेस संबंधी समस्याएं
यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि कई अभ्यर्थी तैयारी के दौरान बीमार भी हो जाते है। कई लंबी बीमारी का शिकार होते है और कुछ अभ्यर्थी तो परीक्षा अविध के काल में गंभीर रूप से बीमार पड जाते है।
हमें अपने आस-पास स्वच्छता अपनाते हुए एक संतुलित आहार भी लेना चाहिए। अपने शरीर को स्वस्थ और फुर्तीला बनाये रखने हेतु प्रत्येक दिन शारीरिक अभ्यास, जैसे- दौड़ना, तैराकी (स्वीमिंग) आदि करते रहना चाहिए। बीमारी के बारे में हल्के से भी लक्ष्ण दिखने पर तत्काल किसी डॉक्टर से मिलना चाहिए।
एक अस्वस्थ्य शरीर आपके मन-मस्तिष्क को स्वस्थ नहीं रख सकता है। यदि आप अपने शरीर को स्वस्थ नहीं रख पा रहे है तो इससे आपकी पूरी तैयारी भी अवश्य प्रभावित होगी।
नौकरी और उच्च शिक्षा के दौरान तैयारी हेतु समय की कमी होना
ऐसा देखा जाता है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान कुछ अभ्यर्थी नौकरी कर रहे होते हैं और कुछ उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे होते है। ये चीजें निश्चित रूप से तैयारी हेतु बहुत कठिनाई उत्पन्न करती है। कोई भी अभ्यर्थी दोनों के साथ न्याय नहीं कर सकता है। आपने एक प्रसिद्ध कथन भी सुना होगा कि – ” दो नावों पर पैर रखकर नदी को पार नहीं किया जा सकता। “
दूसरी ओर इस प्रकार के मामलों में कुछ महीनों का समय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी को दिया जा सकता है और बाद में उच्च शिक्षा और नौकरी की ओर लौटा जा सकता है। जैसा भी मामला हो यह उचित होगा कि आप अपने बॉस या शिक्षक को विश्वास में ले लें। कई लोग ऐसा कर भी लेते है, अन्यथा यहां पर आपके पास कोई अन्य विकल्प भी उपलब्ध नहीं है। लेकिन एक बात यह भी है कि नौकरी या अध्ययन के कुछ हिस्से का बलिदान किया जा सकता है।
यह एक गंभीर व्यावहारिक समस्या है, जिसका सामना हममें से कई लोग करते है। हम सभी अपने जीवन के कुछ क्षणों में बहाने बनाते है, लेकिन सिविल सेवा परीक्षा के मामले में यदि हम अपनी अयोग्यता और आलस्यपन के लिए बहाना बनाते है केवल और केवल अपने आपको धोखा दे रहे है।
कुछ सामान्य बहाने जो बनाये जाते है, वे इस प्रकार है:
- मैंने अच्छी शिक्षा ग्रहण नहीं की हैं !
- मैं बहुत गरीब परिवार में पैदा हुआ था !
- मेरा स्वास्थ्य मुझे कठिन मेहनत करने की अनुमति नहीं देता है !
- मैं पूरे दिन लगभग 10 से 12 घंटो की पढ़ाई लगातार एक से दो वर्ष के लिए नहीं कर सकता हूँ !
- दुर्घटना होने के बाद मैं अपनी इच्छा शक्ति खो चुका हूँ !
- मैंने अपने जीवन का काफी समय नष्ट कर दिया है, और मेरे पास कोई अभिप्रेरणा भी नहीं बची है !
- मेरा अंग्रेजी का ज्ञान बहुत कमजोर है !
- मैं बचपन से ही अपने परिवार की देखभाल करता आ रहा हूँ !
- मेरे पास कोचिंग लेने हेतु धन भी नहीं हैं !
- मैं शारीरिक रूप से अस्वस्थ्य हूँ और अक्सर बीमार भी रहता हूँ !
- सिविल सेवा परीक्षा एक बहुत कठिन परीक्षा है, यह मेरे जैसे लोगों के लिए नहीं बनी है। यह अति बौद्धिक लोगों के लिए ही होती है !
- मेरा किसी व्यक्ति से भी संपर्क नहीं है, जो सिविल सेवा परीक्षा में सफल हुआ हो !
उपरोक्त सारे बहाने कमजोर इच्छाशक्ति वाले अभ्यर्थी के लक्षण प्रतीत होते है, जिसे बहाने बनाने में मजा आता है, लेकिन हमें यह अवश्य याद रखना चाहिए कि इस प्रकार के रास्ते अपनाकर हम अपने आपको मूर्ख बनाते है, अन्यों को नहीं।
यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है और कई अभ्यर्थी इसका सामना करते है। सिविल सेवा परीक्षा वास्तव में एक ऐसी परीक्षा है जिसके लिए कठोर परिश्रम और कई घंटों का अध्ययन बहुत आवश्यक होता है। इस परीक्षा का पाठ्यक्रम भी बहुत विशाल है। अत: परीक्षा से भयभीत होना स्वाभाविक है।
भय, वास्तविक और काल्पनिक दोनों ही हो सकता है। असफल होने का भय, परीक्षा में सम्मिलित होकर असफल होने से भी ज्यादा बुरा होता है। हमें इस प्रकार के काल्पनिक भय से बाहर निकलना चाहिए और परीक्षा हेतु अपना सर्वोतम योगदान देना चाहिए।
हमें अपने आपको यह बताते रहना चाहिए कि हमारी योग्यताएं और क्षमताएं क्या है? हमें इस प्रकार के वाक्यों पर भी विराम लगाना चाहिए, जैस-मैं यह नहीं कर सकता हूँ, भाग्य कभी भी मेरा साथ नहीं देता है, आदि।
यह एक दार्शनिक तथ्य है और प्रत्येक अभ्यर्थी अर्थहीनता की भावना की ओर बढ़ता है और यह दार्शनिक तथ्य इस बात पर आधारित है कि एक दिन प्रत्येक व्यक्ति को इस संसार से चले जाना है। इसलिए बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ता है कि आपने क्या किया और क्या पाया ?
यह दार्शनिक तथ्य पूर्णतया नकारात्मक है। इस पर काबू पाने के लिए हमें सकारात्मक विचार वाले व्यक्तियों के संपर्क में रहना चाहिए और सकारात्मक और प्रेरणादायी किताबें (जैसे-अग्नि की उड़ान, जीत आपकी, अपना भाग्य स्वयं बदलो, आदि ) पढ़नी चाहिए, जो किताबें उत्साह और प्रेरणा से भरी रहती है।
सिनेमा और इंटरनेट आदि की ओर झुकाव
सिनेमा और इंटरनेट गतिविधियों की ओर अति झुकाव होना सिविल सेना अभ्यर्थियों के सामने आजकल एक बड़ी समस्या बनी हुई है। आजकल फेसबुक, ट्विटर, व्हट्सएप और अन्य इंटरनेट गतिविधियां इस प्रकार के झुकाव हेतु एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। हमें इस प्रकार की समस्त बाधाओं से कम-से-कम दो वर्ष की तैयारी के दौरान दूर रहने हेतु मजबूत मानसिक इरादे और मजबूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है। और हमें केवल और केवल परीक्षा पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अगर आप इन सब का उपयोग कर रहें हैं तो इन सबको अपनी परीक्षा की तैयारी के लिये उपयोग करो !
आजकल Google व Youtube पर आपकी तैयारी के लिये बहुत अच्छी साम्रगी उपलब्ध है ! प्रत्येक चीज के अच्छे और बुरे दो पहलू होते हैं , अब ये आप पर निर्भर करता है किं आप Google , Youtube , Whatsapp को अपनी उन्नति के लिये ( अपनी पढाई ) के लिये उपयोग करते हो या अपनी अवनति ( चैटिंग , फ़िलमें देखना आदि ) के लिये उपयोग करते हो !
जोखिम लेने के प्रति अनिच्छा की भावना होना
यह बात शत प्रतिशत सत्य है कि सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने का उद्देश्य जोखिम से भरा हुआ होता है, क्योंकि विज्ञापित पदों की संख्या काफी कम होती है। और परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों की संख्या लाखों में होती है।
यू.पी.एस.सी. की परीक्षा की यह मांग होती है कि आप कई प्रकार के जोखिम लें सकें, जो इस प्रकार है,
- तैयारी हेतु नौकरी से अवकाश लेना
- उच्च शिक्षा से समझौता करना
- यदि आप सिविल सेवा परीक्षा में असफल हो जाते हैं तो उम्र बढ़ने के कारण आपके लिए नौकरी के अवसर सीमित हो जाना
ये उपरोक्त जोखिम वास्तविक है, लेकिन कुछ बड़ी चीज पाने के लिए प्रत्येक को जोखिम तो उठाना ही पड़ता है और सिविल सेवा परीक्षा निश्चित रूप से जोखिम लेने का एक नाम है। लेकिन अगर आपको अपने आप पर विश्वास है तो और आप मेहनत करने के लिये तैयार हैं तो फ़िर आपको सफ़ल होने से कोई रोक नहीं सकता !
ये भी पढें – असफ़लता से सफ़लता की ओर – Motivation For All Students
कई लोग अपने आपको भाग्य और किस्मत के भरोसे छोड़ देते है, और यह सोचना शुरू कर देते हैं कि जो कुछ नियति को मंजूर होगा, वही हो कर रहेगा। इस प्रकार की बातें कठिन परिश्रम और गंभीर प्रयास से अभ्यर्थी की पलायनवादी मनोवृति को दर्शाती है। भाग्य भी केवल साहसी और मेहनती व्यक्ति का ही साथ देता है। हमें भाग्य क्या होता है ? और कब साथ देता है ? इस प्रकार सच्चाई को जानना चाहिए। प्रायिकता एक वैज्ञानिक तथ्य है, लेकिन यह तभी शुरू होती है। जब आप कठिन मेहनत करते हैं और कठिन मेहनत के बाद ही आप भाग्य संबंधी बातों के बारे में सोचना शुरू कर सकते है। पवित्र हिन्दु ग्रंथ ‘गीता’ में भी यह बात कहीं गई हैं कि जो व्यक्ति सच्चे अर्थो में कठिन परिश्रम करता है, भगवान भी उसी व्यक्ति का साथ देते है। गीता में कही गयी यह बात आज भी सार्थक है !
Click Here to Subscribe Our Youtube Channel
दोस्तो आप मुझे ( नितिन गुप्ता ) को Facebook पर Follow कर सकते है ! दोस्तो अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस Facebook पर Share अवश्य करें ! क्रपया कमेंट के माध्यम से बताऐं के ये पोस्ट आपको कैसी लगी आपके सुझावों का भी स्वागत रहेगा Thanks !
दोस्तो कोचिंग संस्थान के बिना अपने दम पर Self Studies करें और महत्वपूर्ण पुस्तको का अध्ययन करें , हम आपको Civil Services के लिये महत्वपूर्ण पुस्तकों की सुची उपलब्ध करा रहे है –
UPSC/IAS व अन्य State PSC की परीक्षाओं हेतु Toppers द्वारा सुझाई गई महत्वपूर्ण पुस्तकों की सूची
TAG – Problems Faced by IAS Aspirants , Mistakes Made by IAS Aspirants , Things to Avoid While Preparing for UPSC , Challenges of Civil Service Students , IAS Aspirant Struggle
Leave a Comment