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दोस्तो आज की पोस्ट बहुत ही Important है , इस पोस्ट में हम आपको भारत के भूगोल के अंतर्गत भारत का भौगोलिक विभाजन ( Geographical Partition of India ) Topic के बारे में Full Detail में बताने जा रहे हैं ! तो आप इसे अच्छे से पढिये और समझिये ! दोस्तो ये पोस्ट थोडी बडी है क्योंकि मेंने एक ही पोस्ट में सभी भौगोलिक प्रदेशों को बताया है इसीलिये आपसे निवेदन है कि आप इसे अपने Bookmark में Save कर लीजिये और समय मिलने पर पूरा पढिये ! इसके अलाबा इस पोस्ट की और अन्य सभी पोस्ट की PDF भी जल्दी ही आपको उपलब्ध कराई जायेगी तो आपसे निवेदन है कि हमारी बेबसाईट को Regular Visit करते रहिये ! 🙂
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भारत के प्राकृतिक प्रदेश
भारत को भौगोलिक विशेषता के आधार पर निम्न प्रमुख प्राकृतिक प्रेशों में विभाजित करते हैं :-
- उत्तर का पर्वतीय हिमालय प्रदेश,
- प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश,
- मध्यवर्ती विशाल मैदान,
- भारत का तटवर्ती मैदान तथा
- भारतीय द्वीप
उत्तर का पर्वतीय हिमालय प्रदेश
- भारत के उत्तर में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर करीब 2500 किमी लम्बाई में हिमालय प्रदेश का विस्तार पाया जाता है, इसकी चौड़ाई 160-400 किमी पाई जाती है। इसका सम्पूर्ण क्षेत्रफल 5 लाख वर्ग किमी है।
- हिमालय पर्वत की उत्पत्ति टेथीज भूसन्नति के (मेसेजोइक कल्प में) मलबों के निरंतर जमाव धंसाव तथा वलन क्रिया से हुआ है। टेथीज भूसन्नति के उत्तर में अंगारालैण्ड तथा दक्षिण में गोंडवाना लैण्ड का विस्तार था। ये दो दृढ़ स्थलखण्ड थे।
- क्रिटेशस युग के अंत तथा टर्शियरी युग के प्रारंभ में अंगारालैण्ड का दक्षिण की ओर खिसकाव के फलस्वरूप इयोसिन काल में वृहत हिमालय का निर्माण हुआ। हिमालय में द्वितीय उत्थान मायोसीन काल में हुआ जो वृहत हिमालय के दक्षिण समानांतर रूप से लघु या मध्य हिमालय के रूप में विस्तृत हुए।
- हिमालय में तृतीय उत्थान के पूर्व टेथिस सागर संकुचित होकर शिवालिक नदी या इंडो-ब्रम्ह नदी के रूप में परिवर्तित हुआ। इन्डोब्रम्ह या शिवालिक नदी की प्रवाह दिशा पूर्व से पश्चिम थी तथा यह नदी सिंध की खाड़ी में गिरती थी।
- हिमालय में तृतीय उत्थान प्लायोसीन काल में शिवालिक नदी या इंडोब्रम्ह नदी के अवसादों या मलबों के वलन से शिवालिक श्रेणी के रूप में हुआ। शिवालिकश्रेणी अक्रमबद्ध रूप में पाई जाती है।
- महान हिमालय तथा लघु हिमालय एवं लघु हिमालय तथा शिवालिक श्रेणीकेमध्य मिलन केन्द्र पर भ्रंश रेखाएं पाई जाती है।
- प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत के अनुसार हिमालय पर्वत का निर्माण इंडियन और यूरेशियन प्लेट के टकराव से हुआ है। इंडियन प्लेट का टकराव यूरेशियन प्लेट से उत्तर-पूर्व दिशा की ओर प्रतिवर्ष 5 सेंमी की दर से हो रहा है। यही कारण है कि हिमालय की ऊंचाई प्रतिवर्ष 5 सेंमी की दर से बढ़ रही है।
- हिमालय पर्वत की कई श्रेणियां पाई जाती हैं –
- महान हिमालय/आंतरिक हिमालय/हिमाद्री/वृहत हिमालय।
- मध्य हिमालय/लघु हिमालय।
- शिवालिक हिमालय।
- ट्रांस हिमालय
महान हिमालय
- महान हिमालय की उत्तरी श्रेणी मानी जाती है, इसे सर्वोच्च हिमालय भी कहा जाता है।
- इसका विस्तार कश्मीर में नंगा पर्वत से लेकर अरूणाचल प्रदेश में नामचा बरवा पर्वत तक पाया जाता है।
- महान हिमालय की लंबाई 2500 किमी तथा औसत चौड़ाई 25 किमी तक पाई जाती है। महान हिमालय की औसत ऊंचाई 6100 मीटर तक है।
- हिमालय की सभी सर्वोच्च चोटियां महान/वृहत् हिमालय में ही पाई जाती हैं।विश्व की सर्वोच्च चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) है। हिमालय की एवरेस्ट चोटी को तिब्बती भाषा में ”चोमोजुंगमा” कहा जाताहै, जिसका अर्थ होता है- पर्वतों की रानी।
- हिमालयकी अन्य प्रमुखचोटियां – गाडविन आस्टिन (K2) मकालू, नंदा देवी, त्रिशूल, बद्रीनाथ, केदारनाथ महान् हिमालय में ही पाए जाते हैं।
- हिन्दुस्तान तिब्बत महामार्ग जो शिमला को गंगटोक से जोड़ता है, सतलज घाटी में शिपकी (शिपकी ला) दर्रे से होकर बनाया गया है।
- तिब्बती भाषा में ”ला” का शाब्दिक अर्थ ”दर्रा” होता है।
- सिक्किम की चुम्बीघाटी में जीलप ला से होकर पश्चिम बंगाल में कालिमपोंग से तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक सड़क मार्ग का निर्माण किया गया है।
- भारत की सबसे ऊंची चोटी K2 गाडविन आस्टिन है।
- महान हिमालयी दर्रे एवं राज्य
- बुर्जिल एवं जोजिला दर्रा – कश्मीर
- शिपकी ला एवं बड़ा लाचला – हिमाचल प्रदेश
- थांगला, माना, निती, लीपुलेख, धरमा – उत्तरांचल
- नाथुला, जीलपला – सिक्किम
- बोमडिल्ला – अरूणाचल प्रदेश
मध्य हिमालय
- हिमालय की दूसरी प्रमुख श्रेणी मध्य हिमालय, महान या वृहत हिमालय के दक्षिण में विस्तृत है।
- इसकी चौड़ाई 80-100 किमी तथा औसत ऊंचाई 3700-4500 मीटर तक पाई जाती है।
- वृहत हिमालय तथा लघु हिमालय/मध्य हिमालय की पीरपंजाल श्रेणी के मध्य कश्मीर घाटी पाई जाती है।
- नेपाल की काठमाण्डू घाटी का विस्तार महान हिमालय तथा लघु हिमालय की श्रेणियों के मध्य पाया जाता है।
- काठमांडू घाटी की सभी नदियां अभिकेन्द्रीय प्रवाह प्रणाली का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
- मध्य हिमालय या लघु हिमालय की पर्वत श्रेणियों पर ही कई प्रमुख पर्वतीय नगर पाये जाते हैं – डलहौजी, धर्मशाला, शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग।
- मध्य हिमालय में की पीरपंजाल तथा बनिहाल दर्रेपाये जाते हैं। बनिहाल दर्रे से होकर जम्मू कश्मीर मार्ग का निर्माण किया गया है।
- हिमाचल प्रदेश की राजधानी नगर शिमला मध्य/लघु हिमालय के धौलाधर श्रेणी पर स्थित हैं।
- मध्य हिमालय/ लघु हिमालयकी ढालों पर छोटे-छोटे घास के मैदान पाए जाते हैं, जिन्हें मर्ग कहा जाता है- सोनमर्ग, गुलमर्ग।
- मध्य हिमालय में कुल्लू तथा कांगड़ा घाटी पाई जाती है।
- मध्य हिमालयी श्रेणियां एवं क्ष्ोत्र/प्रदेश
- पीरपंजाल श्रेणी – कश्मीर
- धौलाधर श्रेणी – हिमाचल प्रदेश
- महाभारत श्रेणी – नेपाल
शिवालिक हिमालय
- शिवालिक पर्वत का प्राचीन नाम मैनाक पर्वत है।
- शिवालिक हिमालय, हिमालय की श्रेणियों में सबसे नवीनतम श्रेणी है। इसकी चौड़ाई 10-50 किमी तथा अौसत ऊंचाई 600-1500 मीटर है।
- जम्मू पहाड़ी, मिश्मी पहाड़ी, डाफला पहाड़ी, मिरी पहाड़, अबोर पहाड़ी शिवालिक हिमालय के ही भाग हैं। शिवालिक हिमालय का विस्तार पाकिस्तान के पोतवार बेसिन से लेकर पूर्व में कोसी नदी तक पाया जाता है।
- मध्य हिमालय/लघु हिमालय तथा शिवालिक श्रेणी के बीच कई घाटियां पाई जाती हैं, जिन्हें पश्चिम में ‘दून‘ (देहरादून) तथा पूर्व में ‘द्वार‘ (हरिद्वार, कोटद्वार) कहते हैं।
- शिवालिक नदी के दक्षिण में तराई प्रदेश का विस्तार पाया जाता है जो दलदली एवं वनाच्छादित है। हिमालय की तीनों श्रेणियों में सबसे अधिक अपरदन शिवालिक श्रेणी में हुआ है।
ट्रांस हिमालय
- हिमालय की चौथी श्रेणी ट्रांस हिमालय अथवा तिब्बत हिमालय के रूप में जानी जाती है।
- ट्रांस हिमालय का विस्तार महान हिमालय के उत्तर में पाया जाता है।
- ट्रांस हिमालय में उत्तर से दक्षिण क्रमश:काराकोरम, लद्दाख, जास्कर तथा कैलाश श्रेणियां पाई जाती हैं।
- ट्रांस हिमालय की काराकोरम श्रेणीमें विश्व की दूसरी सर्वोच्च चोटी (K2) स्थित है।
- ट्रांस हिमालय में कई प्रमुख हिमनद पाये जाते हैं –
- सियाचित हिमनद – नुब्रा घाटी
- हिस्पार तथा बटुरा हिमनद – हुजा घाटी
- बियाफो तथा बालतोरो हिमनद – सिगार घाटी
नदियों के आधार पर हिमालय का वर्गीकरण
- इस आधार पर संपूर्ण हिमालय को 4 भागों में विभक्त किया जाता है। 1. पंजाब हिमालय, 2. कुमाऊं हिमालय, 3. नेपाल हिमालय, 4. असम हिमालय।
- पंजाब हिमालय का विस्तार सिंधु से सजलज नदी तक 560 किमी लंबाई में पाया जाता है।
- पंजाब हिमालय का विस्तार कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेशराज्य में है।
- पंजाब हिमालय में की काराकोरण, लद्दाख, जास्कर, पीरपंजाल, तथा धौलाधर श्रेणियां पाई जाती है।
- कुमाऊं हिमालय का विस्तार सतलज से काली नदी (नेपाल) तक 320 किमी की लंबाई में है।
- कुमाऊं हिमालय में ही बद्रीनाथ, केदारनाथ, नंदा देवी तथा कामेत चोटियां पाई जाती हैं।
- कुमाऊं हिमालय की सर्वोच्च चोटी नंदा देवी है।
- कुमाऊं हिमालय में ही लघु/मध्य हिमालय तथा शिवालिक हिमालय के मध्य दून घाटियां पाई जाती है।
- उत्तरांचल स्थित नैनीताल, भीमताल तथा सातताल झीलें कुमाऊं हिमालय में ही पाई जाती हैं।
- नेपाल हिमालय का विस्तार काली से तिस्ता नदी तक 800 किमी. की लम्बाई(सबसे लंबा) में पाया जाता है।
- नेपाल हिमालय की ऊंचाई कुमाऊं हिमालय की अपेक्षा अधिक है।
- हिमालय की सर्वोच्च चोटियां(एवरेस्टआदि) नेपाल हिमालय में ही पाई जाती हैं। नेपाल स्थित काठमांडू घाटी नेपाल हिमालय के ही भाग हैं।
- असम हिमालय का विस्तार तिस्ता से ब्रहम्पुत्र नदी तक 720 किमी. है।
- कश्मीर घाटी की बुलर एवं डल झील करैबा सरोवर के अवशेष हैं।
भारत का प्रायद्वीपीय प्रदेश
- भारत का प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश भारत के प्राचीनतम भू- भाग गोंडवाना लैण्ड का भाग रहा है। यह प्रदेश देश का सर्वाधिक विस्तृत प्राकृतिक या भौतिक प्रदेश देश का सर्वाधिक विस्तृत क्षेत्रफल 16 लाख वर्ग किमी. है।
- प्रायद्वीपीय प्रदेश की लम्बाई राजस्थान से कन्याकुमारी तक 1700 किमी. तथा चौड़ाई गुजरात से पश्चिम बंगाल तक 1400 किमी़ है।
- भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित मेघालय पठार भारत के प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश का ही अंग माना जाता है।
- भारत में अरावली पर्वत श्रेणी सतलज तथा यमुना नदी जल प्रवाह के बीच जल विभाजक का कार्य करती है।
- पाकिस्तान में स्थित किराना पहाड़ी (रावी, चेनाब और झेलम नदियों के दोआब में) भारत के प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश का ही अंग माना जाता है।
- भारत के प्रायद्वीपीय पठार को नर्मदा, सोन, गंगा आदि नदियों ने कई छोटे-छोटे पठारों में विभक्त किया है।
- नर्मदा नदी के उत्तर में मालवा का पठार तथा दक्षिण में ढक्कन का पठार पाया जाता है। सोन नदी के पूर्व में छोटा नागपुर का पठार तथा गंगा नदी के पूर्व में मेघालय का पठार स्थित है।
- पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित मालवा का पठार बैसाल्टिक चट्टानों के क्षय से बने लावा मिट्टी या काली मिट्टी निर्मित सम्प्राय मैदान माना जाता है।
- मालवा पठार के उत्तरी भाग में चंबल और उसकी सहायक नदियों के बीहड़ खड्ड पाए जाते हैं। भारत में चंबल नदी अवनालिका अपरदन करती है।
- मालवा पठारी भाग पर उत्तर भाग को बुंदेलखण्ड तथा उत्तर-पूर्वी भाग को बघेलखण्ड कहा जाता है। बंुदेलखण्ड पठार नीस चट्टानों से निर्मित प्राचीनतम् पठार है। बुंदेलखण्ड पठार पर यत्र-तत्र ग्रेनाइट तथा बालू के टीले एवं पहाडि़यां पाई जाती हैं।
- भारत में विन्ध्यन श्रेणी के पूर्व में बघेलखण्ड के पठार पाए जातें हैं। बघेलखण्ड पठार के पश्चिम में बलुआ पत्थर एवं चूने के पत्थर तथा पूर्वी भाग में ग्रेनाइट चट्टाने पाई जाती हैं।
- भारत में छोटा नागपुर पठार का विस्तार बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, प़ बंगाल में पाया जाता है।
- भारत में महानदी, सोन, स्वर्ण रेखा, दामोदर नदियां छोटा नागपुर पठार की प्रमुख नदियां हैं।
- मध्य प्रदेश में अमरकंटक से निकलने वाली सोन नदी छोटा नागपुर पठार की प्रमुख नदियां हैं।
- मध्य प्रदेश में अमरकंटक से निकलने वाली सोन नदी छोटा नागपुर पठार के उत्तर-पश्चिम में गंगा नदी से मिलती है।
- दामोदर नदी छोटा नागपुर पठार के मध्य भाग में पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होती है।
- भारत में प्रवाहित होने वाली महानदी छोटानागपुर पठार की दक्षिण सीमा बनाती है।
- छोटानागपुर पठार की उत्तरी सीमा पर झारखण्ड राज्य में राजमहल की पहाड़ी स्थित है।
- छोटानागपुर पठार को दामोदर नदी उत्तर में कोडरमा तथा हजारीबाग पठार तथा दक्षिण में रांची के पठार के रूप में विभाजित करती है।
- छोटानागपुर पठार में ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों की प्रधानता पाई जाती है।
- छोटानागपुर पठार की औसत ऊंचाई 700 मी. है। छोटा नागपुर पठार पर स्थित रांची का पठार उत्थित सम्प्राय मैदान का उदाहरण माना जाता है।
- छोटानागपुर पठार पर प्रवाहित होने वाली दामोदर नदी एवं स्वर्ण रेखा नदी भ्रंश घाटी का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
- छोटानागपुर पठार भारत का रूर कहलाता है। छोटानागपुर पठार में पाए जाने वाले खनिजों में लोहा, कोयला, अभ्रक, बाक्साइड, तांबा, यूरेनियम, टंगस्टन आदि प्रमुख है।
- छोटानागपुर पठार पर प्राकृतिक वनस्पति के रूप में साल तथा सागवान के वृक्ष पाये जाते हैं। यहां पर शीशम, हल्दू, सेलम तथा बांस के वृक्ष भी बहुतायत में पाये जाते हैं।
- छोटानागपुर के पठारी प्रदेश में पहाड़ी ढालों एवं नदी घाटियों में चावल की कृषि प्रमुखतया की जाती है।
- उत्तर-पूर्व में स्थित मेघालय का पठार छोटा नागपुर पठार का ही भू-भाग माना जाता है। मेघालय पठार के उत्तर-पूर्व में मिकिर की पहाड़ी (असम) स्थित है।
- ब्रम्हपुत्र नदी मेघालय पठार पर प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदी है। मेघालय पठार पर गारो, खासी एवं जयंतियां पहाड़ी पाई जाती है। चेरापूंजी एवं मासिनराम खासी पहाड़ी पर स्थित विश्व के सर्वाधिक वर्षा वाले क्षेत्र माने जाते हैं।
- नर्मदा नदी तथा महानदी के दक्षिण में दक्कन पठार, तेलांगना का पठार तथा कर्नाटक के पठार विस्तृत हैं।
- दक्कन पठार को महाराष्ट्र का पठार भी कहा जाता है। (इसका सर्वाधिक विस्तार महाराष्ट्र राज्य में पाया जाता है) इसका सम्पूर्ण क्षेत्रफल 5 लाख वर्ग किमी है।
- दक्कन पठार का निर्माण क्रिटेसस युग में ज्वालामुखीय दरारी लावा उद्भेदन क्रिया द्वारा लावा निक्षेप से हुआ। इस पठार का विस्तार पश्चिमी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक व आंध्रप्रदेश राज्यों में पाया जाता है।
- दक्कन पठार के लावा की औसत गहराई 2000 मीटर तक मानी जाती है। इस पर प्राची, कठोर एवं कायांतरित धारवाड़ चट्टानों का विस्तार सबसे अधिक पाया जाता है।
- आंध्रप्रदेश राज्य में तेलांगना पठार स्थित है। तेलांगना पठार का उत्तरी भाग पहाड़ी वनाच्छादित एवं दक्षिणी भाग उर्मिल मैदान है।
- भारत में स्थित कर्नाटक के पठार के उत्तरी भाग पर कृष्णा एवं तुंगभद्रा नदियां प्रवाहित होती है। इस पठार का दक्षिणी भाग मैसूर का पठार कहलाता है।
- कर्नाटक पठार के पश्चिम में पश्चिमी घाट पर्वत तथा पूर्व में पूर्वी घाट पर्वत स्थित है। इस पठार की दक्षिणी सीमा नीलगिरि पहाडि़यों द्वारा बनी है।
- कर्नाटक पठार का पश्चिम भाग मालवाड़ के नाम से जाना जाता है।
- प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश की प्रमुख पर्वत तथा पर्वत श्रेणियां हैं – विन्ध्य पर्वत, सतपुड़ा, अरावली, पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट।
विन्ध्याचल पर्वतमाला
- विन्ध्याचल पर्वतमाला विन्ध्य, भारनेर, कैमूल तथा पारसनाथ पहाडि़यों से मिलकर बनी हैं।
- विन्ध्याचल पर्वतमाला प्राचीन युग की परदार चट्टानों से निर्मित है, जिसमें लाल बलुआ पत्थर की प्रधानता पाई जाती है।
- विंध्याचल पर्वतमाला ही उत्तर भारत की गंगा नदी क्रम को दक्षिण भारत के नदी क्रम से अलग करती है।
- विंध्याचल पर्वतमाला नर्मदा नदी की दरारघाटी का खड़ा कगार माना जाता है।
- कैमूर पर्वत (बिहार में सासाराम के पास) सोन नदी की दरार घाटी का खड़ा कगार है।
सतपुड़ा पर्वतमाला
- सतपुड़ा पर्वतमाला नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच पश्चिम में राजपिपला की पहाड़ी से प्रारंभ होकर पूर्व एवं उत्तर पूर्व में महादेव तथा मैकाल पहाडि़यों के रूप में छोटा नागपुर पठार तक विस्तृत है।
- सतपुड़ा पर्वतमाला की पूर्वी सीमा राजमहल की पहाड़ी बनाती है – सतपुड़ा, महादेव, धूपगढ़, मैकाल, अमरकण्टक, राजमहल।
- सतपुड़ा पर्वतमाला की औसत ऊंचाई 760 मीटर है।
- सतपुड़ा पर्वतमाला की सर्वोच्च चोटी महादेव पर्वत पर स्थित धूपगढ़(1350 मीटर) है।
- मध्य प्रदेश में स्थित महादेव पहाड़ी पर ही मध्य प्रदेश का प्रमुख पर्वतीय नगर पंचमढ़ी(होशंगाबाद जिला) स्थित है।
- मैकाल पर्वत का सर्वोच्च शिखर अमरकंटक है। अमरकंटक से नर्मदा एवं सोन नदियां निकलती हैं।
- मैकाल पर्वत से पूर्व राजमहल की पहाड़ी तथा उससे पूर्व मेघालय की पहाड़ी स्थित है।
- जबलपुरके निकट (म. प्र.) नर्मदा नदी पर धुंआधार प्रपात है।
अरावली पर्वत
- भारत में अरावली पर्वत अहमदाबाद (गुजरात) के निकट प्रारंभ होकर उत्तर-पूर्व में दिल्ली के दक्षिण पश्चिमतक लगभग 800 किमी.की लंबाई में विस्तार पाया जाता है।
- अरावली पर्वत की सर्वोच्च चोटी राजस्थान के माउंटआबू के निकट गुरूशिखर (1722 मीटर) है।
- अरावली पर्वतमाला उदयपुर के निकट जरगा पहाड़ी, अलवर के निकट हरसनाथ पहाड़ी तथा दिल्ली के निकट दिल्ली पहाड़ी के रूप में विस्तृत है।
- अरावली पर्वतमाला पश्चिम भारत तथा पूर्वी भारत की नदियों के लिये जलविभाजक का कार्य करता है।
- अरावली पर्वत कठोर र्क्वाट्ज चट्टानोंसे बनी है, जिसमें सीसा, तांबा, जस्ता, अभ्रक आदि खनिज प्राप्त किए जाते हैं।
पश्चिमी घाट पर्वत
- पश्चिमी घाट पर्वत को सहयाद्रि पर्वत भी कहा जाता है। इसका विस्तार ताप्ती नदी से लेकर कन्याकुमारी तक 1600 किलोमीटर की लंबाई में है।
- पश्चिमी घाट पर्वत में कई दर्रे पाये जाते हैं जिनमें थालघाट, भोरघाट तथा पालघाट प्रमुख हैं।
- थालघाट दर्रा (महाराष्ट्र) से होकर मुंबई से कलकत्ता के लिए मार्ग बनाए गये हैं।
- भोरघाट दर्रा (महाराष्ट्र) से होकर मुंबई ये पुणे के लिए मार्ग बनाए गये है।
- पालघाट दर्रा (केरल राज्य में स्थित है) से होकर मद्रास के लिए मार्ग बनाये गये हैं।
- पश्चिमी घाट पर्वत की सर्वोच्च चोटी अन्नामलाई पहाड़ी पर स्थित अन्नामुदी (2695 मीटर) है।
- नीलगिरि पर्वत का सर्वोच्च शिखर दोदाबेटा है। नीलगिरि पर्वत पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट को जोड़ता है।
- अन्नामलाई पर्वत के निकट ही पालिनी की पहाड़ी (केरल) तथा कार्डामम/ इलायची की पहाड़ी (केरल) स्थित है।
- पश्चिमी घाट पर्वत में शरावती नदी पर भारत का सर्वोच्च जल प्रपात जोग या गरसोपा (225 मी.) स्थित है।
पूर्वी घाट पर्वत
- पूर्वी घाट पर्वत विभिन्न् पहाड़ी के रूप में प्रायद्वीपीय भारत के पूर्वी तट के सहारे स्थित है। इसकी ऊंचाई पश्चिमी घाट पर्वत की अपेक्षा कम है।
- पूर्वी घाट पर्वत की सर्वोच्च चोटी महेन्द्रगिरि (1501 मी.) है। (उड़ीसा के गंजाम जिले में)
- पूर्वी घाट का विस्तार महानदी के दक्षिण उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर है।
- पूर्वी घाट पर्वत में उत्तर से दक्षिण की ओर क्रमश: शिवराय, नल्लामलई, पालकोंड़ा तथा नीलगिरि पहाडि़यां पाई जाती हैं।
- पूर्वी घाट पर्वत में कावेरी और पेन्नार नदियों के मध्य स्थित मेलागिरि श्रेणीचंदनके लिये विख्यात है।
- दक्षिण भारत में कावेरी नदी, पूर्वी घाट को काटकर होजकल जलप्रपात बनाती है।
- प्रायद्वीपीय भारत की नर्मदा, ताप्ती, दामोदर तथा स्वर्ण रेखा नदी भ्रंशजनित नदियां हैं।
- भारत में काठियावाड़ प्रायद्वीप (गुजरात) के अधिकांश भाग पर बालूका स्तूप पाए जाते हैं।
- काठियावाड़ प्रायदवीप का सर्वोच्च शिखर गिरनार / गिरपहाड़ी (गुजरात) है जो सफेद शेरों के लिए प्रसिद्ध है।
मध्यवर्ती विशाल मैदान
- हिमालय के दक्षिण में करीब 2400 किमी लंबाई में पूर्व से पश्चिम की ओर भारत के विशाल मैदान का विस्तार पाया जाता है।
- भारत का विशाल मैदान देश के संपूर्ण क्षेत्र के एक तिहाई भाग में विस्तृत है।
- भारत के विशाल मैदान का सम्पूर्ण क्षेत्रफल 7 लाख वर्ग किलोमीटर है।
- भारत के विशाल मैदान की चौड़ाई करीब 150-400 किमी तक मानी जाती है।
- विशाल मैदान में पाई जाने वाली अवसादों / जलोढ़ो की गहराई 2000 मीटर तक मानी जाती है।
- भारत के विशाल मैदान का निर्माण सिन्धु, गंगा, ब्रम्हपुत्र, तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ों से हुआ है।
- भारत के विशाल मैदान को मिट्टी की विशेषता एवं ढाल के आधार पर निम्न भागों में वर्गीकृत किया जाता है – 1. भांबर प्रदेश, 2. तराई प्रदेश, 3. बांगर प्रदेश, 4. खादर प्रदेश, 5. रेह प्रदेश, 6. भूड़ प्रदेश, 7. डेल्टाई प्रदेश।
भांबर प्रदेश
- भारत में भांबर प्रदेश का विस्तार, शिवालिक पर्वत श्रेणी की तलहटी में सिन्धु से लेकर तीस्ता नदी तक अविच्छिन्न रूप में पाया जाता है।
- भांबर प्रदेश से अभिप्राय हिमालय से उतरकर मैदानों में प्रवेश करने वाली नदियों द्वारा बिछाई गई कंकड़-पत्थर के मैदानी क्षेत्र से होता है, जहां नदियां प्राय: विलीन हो जाती हैं। इस प्रदेश की चौड़ाई 8 से 16 किमी तक होती है।
- भांबर प्रदेश के दक्षिण अपेक्षाकृत अधिक समतल महीन कंकड़ पत्थरों का प्रदेश जहां जल और आद्रता की अधिकता के कारण भूमि दलदली पाई जाती है तराई प्रदेश कहलाता है।
तराई प्रदेश
- तराई प्रदेश घने वन तथा वन्य जीवों से परिपूर्ण हैं। इस प्रदेश की चौड़ाई 15-30 किमी तक होती है।
बांगर प्रदेश
- तराई प्रदेश के पश्चात् भारत का विशाल मैदानी क्षेत्र बांगर प्रदेश कहलाता है। बांगर प्रदेश में पुराने जलोढ़ अवसाद पाए जाते हैं।
खादर प्रदेश
- बांगर प्रदेश के पश्चात् स्थित नवीन जलोढ़ों से निर्मित मैदान जहां प्रतिवर्ष बाढ़ का जल पहुंचता है खादर प्रदेश कहलाता है। खादर प्रदेश भारत के विशाल मैदानी क्षेत्र का सर्वाधिक उपजाऊ प्रदेश होता है।
रेह प्रदेश
- बांगर मिट्टी प्रदेश के उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई की अधिकता के कारण कहीं-कहीं भूमि पर नमकीन सफेद परत पाई जाती है उसे रेह या कल्लर कहा जाता है।
- भारत में रेह या कल्लर मिट्टी का विस्तार हरियाणा तथा पश्चिमी उ.प्र. के शुष्क भागों में हुआ है।
भूड़ प्रदेश
- बांगर मिट्टी प्रदेश के उन क्षेत्रों में जहां धरातल की ऊपरी उपजाऊ एवं मुलायम मिट्टी के क्षय के कारण कंकरीली उच्च भूमि पाई जाती है, उसे भूड़ प्रदेश कहते हैं।
- भूड़ प्रदेश में बालू के ढेर पाये जाते हैं।
डेल्टाई प्रदेश
- भारत में गंगा-ब्रम्हपुत्र नदियों के मुहाने के समीप डेल्टाई प्रदेश का विस्तार पाया जाता है।
- भारत का डेल्टा प्रदेश वस्तुत: खादर प्रदेश का विस्तार है।
भारत के तटीय मैदान
पश्चिमी तटीय मैदान
- भारत की तटरेखा पश्चिम में कच्छ के रन से लेकर पूर्व में गंगा-ब्रम्हपुत्र नदी के डेल्टा तक विस्तृत है।
- पश्चिम तटीय मैदान की अपेक्षा पूर्वी तटीय मैदान अधिक चौड़ा है क्योंकि पूर्व तटीय मैदान में कई नदियां डेल्टा बनाती हैं।
- पश्चिम तटीय मैदान कच्छ की खाड़ी से लेकर कन्याकुमारी अंतरीप तक विस्तृत हैं।
- पश्चिम तटीय मैदान की अधिकतम चौड़ाई नर्मदा एवं ताप्ती नदियों तक पाई जाती है।
- पश्चिम तटीय मैदान को उत्तर से दक्षिणतक सामान्यत: तीन प्रमुखउपमैदानी क्षेत्र में विभाजित किया जाता है – 1. काठियावाड़, कोंकण मैदान, 3. मालाबार मैदान।
- काठियावाड़ मैदान का विस्तार कच्छ के रन से लेकर दमन तक है। इस मैदान में माही, साबरमती, नर्मदा और ताप्ती नदियां प्रवाहित होते हुए अरब सागर में गिरती हैं।
- कोंकण मैदान का विस्तार दमन से गोवा तक (500 किमी) मुंबई में पाया जाता है। कोंकण मैदान की चौड़ाई 50-80 किमी है।
- कोंकण मैदान की पश्चिमी क्षेत्र में लावा मिट्टी का निक्षेप पाया जाता है तथा इस मैदान में साल, सागवान आदि के वृक्ष भी पाये जाते हैं। इस मैदान में आम एवं चावल की कृषि की जाती है।
- मालाबार मैदान का विस्तार गोवासे मैंगलोर तक 225 किमी की लम्बाई में पाया जाता है। इस मैदानी/ तटीय क्षेत्र में लैगून झीलों की प्रधानता है, जिसे ‘बैकवाटर्स‘ (पश्चझील) भी कहा जाता है।
- केरल में कोचीन के निकट लैगूनों की श्रृंखला पाई जाती है जिनमें ‘बेम्बानाद झील‘ प्रमुख है।
- मालाबार मैदान क्षेत्र में सुपारी, गर्म मसाले, केला, आम, चावल तथा नारियल की कृषि की जाती है।
- केरल तटीय मैदानमें भी नारियल, चावल, सुपारी, केला, गर्म मसाले इत्यादि की कृषि होती है।
पूर्वी तटीय मैदान
- भारत के प्रायद्वीपीय क्षेत्र में स्वर्णरेखा से लेकर कुमारी अंतरीप तक पूर्वी तटीय मैदान का विस्तार पाया जाता है।
- पूर्वी तटीय मैदान उत्तर से दक्षिण की ओर क्रमश: है – 1. कलिंग तटीय मैदान, उत्तर सरकार तटीय मैदान, 3. कोरोमंडल तटीय मैदान।
- कलिंग तटीय मैदान का विस्तार उड़ीसा में तट के सहारे 400 किमी की लंबाई में पाया जाता है।
- कलिंग तटीय क्षेत्र में ही चिल्का लैगून झील पाई जाती है।
- उत्तरी सरकार तट का विस्तार कलिंग तटीय मैदान के पश्चात् आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के डेल्टा तक पाया जाता है।
- उत्तरी सरकार तटीय मैदानी क्षेत्र में विशाखापत्तनम तथा मच्छलीपत्तनम् दो प्रसिद्ध बन्दरगाह हैं।
- कोरोमण्डल तट का विस्तार कृष्णा नदी के डेल्टाई क्षेत्र से लेकर कुमारी अंतरीप तक पाया जाता है।
- पूर्वी तटीय क्षेत्र पश्चिमी तटीय क्षेत्रकी अपेक्षा कम कटा-फटा होने के कारण इस क्षेत्र में प्राकृतिक पोताश्रय की कमी पाई जाती है।
भारतीय द्वीप
- भारत में कुल 247 द्वीप पाये जाते हैं, जिनमें 204 बंगाल की खाड़ी में तथा शेष 43 अरब सागर में हैं।
अरब सागर के द्वीप
- अरब सागर में पाये जाने वाले द्वीप प्राय: प्रवाली द्वीप (लक्षद्वीप समूह) हैं।
- अरब सागर में पाये जाने वाले द्वीप इस प्रकार हैं –
- गुजरात में काठियावाड़ के पास पीरम् तथा भैसला
- मुंबई के पास हैनरे, कैनरे, बूचर, स्वेलीफेंटा
- मंगलौर के पास भटकल, पीजननॉक
- खंबात की खाड़ी में वैद, नीरा, कुरूभार
- नर्मदा तथा ताप्ती नदी मुहाने के पास अलियावेट तथा खडि़यावेट।
- अरब सागर में तट के दूरवर्ती द्वीपों में लक्षद्वीप समूह प्रमुख हैं।
- लक्षद्वीप समूह का संपूर्ण क्षेत्रफल 32 वर्ग किमी है। इसमें सबसे बड़ा द्वीप लक्षद्वीप है।
- लक्षद्वीप समूह की राजधानी कावारत्ती लक्षद्वीप में स्थित है। लक्षद्वीप समूह का सबसे छोटा द्वीप अमीनीदीव है।
- लक्षद्वीप समूह में सबसे बड़ा दक्षिणतम द्वीप मिनीकोय है। लक्षद्वीप समूह प्रावाली द्वीप है, जिसमें नारियल के वृक्षों की प्रधानता पाई जाती है।
बंगाल की खाड़ी के द्वीप
- बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह प्रमुख द्वीप समूह हैं।
- अंडमान निकोबार द्वीप समूह की दूरी भारत के मुख्य भूमि से 220 किमी है, जो अर्द्ध चन्द्रकार रूप में विस्तृत है।
- अंडमान निकोबार का प्रमुख द्वीप अंडमान द्वीप समूह है।
- अंडमान द्वीप समूह के प्रमुख द्वीप क्रमश: हैं – 1. उत्तरी अण्डमान, मध्यवर्ती अण्डमान, 3. दक्षिणी अण्डमान, 4. लघु अण्डमान।
- अंडमान द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर दक्षिणी अण्डमान में स्थित है।
- निकोबार द्वीप समूह तथा छोटे अण्डमान के मध्य 100 चैनल (नहर) प्रवाहित होती है।
- निकोबार द्वीप समूह 19 द्वीपों का समूह है जिसका उत्तरी भाग कार निकोबार तथा दक्षिणी भाग ग्रेट (महान) निकाबार कहलाता है।
- कार निकोबार तथा महान निकोबार के मध्य सोमबरेरो चैनल प्रवाहित होती है।
- अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में दो ज्वालामुखीय द्वीप पाये जाते हैं – बैरन द्वीप तथा नरकोंडन द्वीप।
भारत के अन्य द्वीप
- हुगली नदी के मुहाने से दूर गंगा सागर बंगाल की खाड़ी में स्थित भारत का एक प्रमुख द्वीप है।
- बंगाल की खाड़ी में स्थित न्यू मूर द्वीप भारत एवं बांग्लादेश के मध्य प्रमुख विवादित द्वीप है।
- भारत एवं श्रीलंका के मध्य मन्नार की खाड़ी में पाम्बन द्वीप है।
- आंध्रप्रदेश की पुलिकट झील में श्रीहरिकोटा द्वीप स्थित है।
- तमिलनाडु स्थित तूतीकोरन के निकट हेयर द्वीप पाए जाते हैं, जो प्रवाली द्वीप हैं।
- असोम में ब्रम्हपुत्र नदी में स्थित माजुली द्वीप संसार का सबसे बड़ा नदी द्वीप है।
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Nitin ji Apko Slam, thanks so much for this information
Thank you very much sir ji for notes.brilliant mind sir
Sir aap mahan hai aap jaisa koi nhi.
Sir uttar pradesh lekhpal k liye adwise do.